Thursday, 2 March 2017

ट्रेन में मिली एक लड़की संग मस्ती

मैं आप सब का अपने बोल्ग में स्वागत करता हूँ 
यहाँ आप मेरी कल्पना की कहानी को पढ़ कर मज़ा ले सकते है

अभी दो दिन पहले सोमवार की बात हैमैं मुंबई से इलाहाबाद के लिए ट्रेन से  रहा था।
तब कटनी से लगभग 27-28 साल की एक विवाहिता लड़की ट्रेन के 2AC कोच में आई।
तब मैं सो रहा था साइड की सीट में… उसकी आवाज़ से मेरी आँख खुल गईदेखा कि काफी मस्त बदन की लड़की थी वो… भरे भरे चूचे
वो बातूनी बहुत थी और सामने के कूपे में सबके साथ खूब बातें करने लगी थीएक बार तो ऐसा लगा कि उन सबके साथ है।
रात के 9 बज गए थेअब हम भी उसके बात करने लग गए थे।
सारे लोग सो गए थेकरीब करीब सारा डिब्बा सो चुका थालाइट भी बंद हो गईं थी मैंने उसको अपनी सीट ऑफर कीवो मान गई। अब हम दोनों एक सीट पर थेबातें कर रहे थेउसने पर्दा पूरी तरह से कर दिया थाअब हमको कोई भी नहीं देख सकता था।
मेरा हाथ उसके पैरों को सहला रहा था।
फिर मैंने उठ कर उसी की तरफ सर कर लिया और वो मेरे हाथों में सर रख कर लेट गई। अब ग्रीन सिग्नल था पर वो नखरे बहुत कर रही थीफिर भी मैं उसको कभी माथे पर कभी गालों पर चुम्बन कर रहा थालब चुम्बन करने नहीं दे रही थी।
कभी मैं उसकी चूची को छूता करता तो वो कहतीयह गलत हैआप तो आगे ही बढ़ते जा रहे हो?
खैर मेरे पास टाइम कम था और इलाहाबाद भी आने वाला थामैंने अचानक हल्का से उठ कर उसके लबों को अपने लबों से जकड़ लिया।
वो छटपटाई और गुँ गुँ गुँ की आवाज़ करने लगी लेकिन मैंने भी नहीं छोड़ा उसको… और फिर वो भी साथ देने लगीहमने चुम्बन को खत्म किया और हल्का सा उस पर लेट कर फिर से चूमा किया और दूसरे हाथ से चूची को मसल दिया पर वो नखरे इतना ज़्यादा कर रही थीमैं समझ नहीं पा रहा था कि ऐसा क्यूँ कर रही है।
लेकिन मैं बेकाबू हो चुका थाइलाहाबाद भी आने वाला थामैंने उसको फिर से लिप किस करना शुरू कर दियाहाथों से उसकी टीशर्ट उठा दी और ब्रा के ऊपर से चूची दबाने लगा तो वो बहुत मचल रही थी पर मेरे शरीर का वज़न उसके ऊपर होने से वो ज्यादा कुछ नहीं कर पा रही थी।
मैंने ब्रा को ऊपर उठा कर चूची को मुँह में भर लिया। अब वो भी कम विरोध कर रही थी। मेरा हाथ अब फ्री थामैंने उसके लोअर में हाथ डाल दिया और सीधे चूत पर ले गया।
आअह…’ साली पूरी गीली थीसटाक से मेरी ऊँगली अंदर चली गई… आअह क्या गर्म चूत थी… क्लीन शेव चूत… अँधेरा थादेख तो नहीं पाया पर महसूस कर सकता था। मैं फिंगर फ़क कर रहा थासाथ में चूची चूस रहा था।
तभी इलाहाबाद  गया थाट्रेन प्लेटफार्म पर एंटर हो रही थीहम दोनों के बिछड़ने का पल था। मैं जैसी ही पर्दे के बाहर आयावो कुछ पल के बाद बाहर आईउसकी आँखों में नशा थाखड़े लन्ड पर धोखा हो गया था क्योंकि मैंने अपने भाई को स्टेशन पर बुला रखा था नहीं तो मैं बनारस तक चला जाता।
चलते चलते उसने अपना फोन दिया और कहा कि वो अपने फोन से मेरा नम्बर मिलाए। इस तरह हम दोनों के पास एक दूसरे का नंबर  गया।
जाते समय उसने हग किया और लबों पर एक हल्का सा चुम्बन दिया।
करीब शाम 6 बजे वो मस्त भरे बदन की हुस्न की मल्लिका मेरे आँखों के सामने थी।
हम दोनों फिर एक रेस्तराँ में जाकर बैठ गए।
मैंने पूछा- रेस्टोरेंट क्यूँ? होटल बुक कर लेते हैं।
बोली- लेट हो गया है, 7:30 मेरा ब्रदर मुझे लेने IP VIJAYA मॉल में आएगा।
मेरा तो मूड ऑफ हो गया।
फिर वो बोली- प्रोमिस, आपकी इच्छा मैं जरूर पूरी करुँगी, अभी तो मस्ती करो ना!
मैंने पूछा- कब वापिस जाओगी?
वो बोली- कल!
मैने कहा- मेरे साथ चलो?
तो वो बोली- हाँ ठीक है!
मैने तुरंत ही उसकी एक टिकट 2AC में बुक कर दी, थोड़ी देर मैं वहाँ रुका, हमने कॉफी और स्नैक्स लिए, फिर कुछ शॉपिंग की, फिर एक दूसरे को हग किया।
तब वो बोली- मुझे विश्वास नहीं होता कि मेरे एक बार कहने पर आप इलाहाबाद से बनारस गएआप सच में अमेजिंग हो!
अगले दिन उसने बनारस से ट्रेन पकड़ी और मैंने इलाहाबाद छिवकी से.. जब मैं उसकी बर्थ पर पहुँचा.. तो वो सो रही थी। पूरा कूपा खाली था.. मैंने उसके गाल पर हल्के से चुम्बन लिया.. तो वो उठ गई, बोली- आपके वापस जाने के बाद मुझे माइग्रेन (सर दर्द की बीमारी) उठा था.. जो अभी भी है।
मैंने उसको चाय पिलाई.. साथ में पूरी सब्जी भी खाने को दी और उसके बैग से दवा निकाल कर उसको दी।
इतना सब होने के बाद वो फिर से सो गई।
दोस्तो, मेरा तो मूड ऑफ हो गया.. सोचा क्या था.. हो क्या रहा है।
मैंने अपने लण्ड को तसल्ली दी और मैं मोबाइल में गेम खेलने लगा।
करीब दो घंटे बाद वो जगी.. तब तक सतना आने वाला था, कूपे में भी एक-दो लोग गए थे, कुल मिला कर खड़े लण्ड पर धोखा हो चुका था।
आग दोनों तरफ लगी है
हम लोग वैसे ही बात कर रहे थे।
माधुरी- आपको मुंबई में काम है क्या?
मैं- नहीं.. कोई खास काम नहीं है.. कल पहुँचना होगा.. तो ऑफिस तो जाऊँगा नहीं।
माधुरी- आप तो जानते ही हो कि मेरी एक दोस्त की आज शादी है.. आप भी चलो।
मैं हैरान हो गया, मैं समझ गया कि आग दोनों तरफ लगी है।
तब तक जबलपुर गया.. हम दोनों ही उतर गए।
स्टेशन पर उसकी सहेली उसको लेने आई थी, वो मेरे को देख कर चौंक गई। फिर वो माधुरी को एक तरफ ले जा कर बात करने लगी। बीच-बीच में मेरी तरफ देख कर मुस्कुराती थी।
थोड़ी देर में वे दोनों मेरे नजदीक आईं और हम तीनों उसकी कार में बैठ कर उसके घर की तरफ चल पड़े।
घर जा कर फ्रेश हो कर शादी में चले गए।
वहाँ माधुरी अपनी सहेलियों में बिज़ी थी, मैं उसका इंतज़ार करता रहा।
करीब 11 बजे वो अपनी उसी सहेली के साथ आई.. हम तीनों ने खाना खाया और बात करने लगे।
उसकी सहेली ने हमें मौका दिलाया
तभी वो सहेली बोली- यार माधुरी.. तुम दोनों थक गए होगे.. ऐसा क्यों नहीं करते कि घर जा कर आराम करो.. मैं तो सुबह तक यहाँ रुकूँगी.. क्यों राहुल जी?
मैं- ऐसा कुछ नहीं है.. हम सब भी यहाँ रुक सकते हैं.. मेरे को कोई प्रॉब्लम नहीं है।
सहेली- माधुरी देखो.. राहुल जी तुम्हारा कितना ख्याल रख रहे हैं और तुम हो कि उनका ख्याल नहीं रख रही हो।
माधुरी ने हल्के से मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा आँखों ही आँखों में पूछा- घर चलें?
उसकी आँखों की चमक देख कर मैंने भी इशारा किया- हाँ..
उसकी सहेली हम दोनों के इशारा देख रही थी.. वो हँसते हुए बोली- अब जाओ भी.. मैं यहाँ सबको संभाल लूँगी।
मैं- थैंक्स..
सहेली- कोई जरूरत नहीं.. जबलेनाहोगा तो मांग लूँगी।
मैं आश्चर्य से पूछा- क्या मांग लूँगी?
सहेली- ‘थैंक्समांग लूँगी.. और आप क्या समझे?
यह कह कर वो अश्लील भाव से हँसने लगी।
माधुरी के गोरे गाल बिल्कुल गुलाबी हो रहे थे।
फिर हम दोनों उसकी कार लेकर घर की ओर निकल गए।
घर पहुँचे तो उस समय रात के 12 बज रहे थे। हम दोनों रास्ते भर चुपचाप रहे.. बीच-बीच में एक-दूसरे को देखते और माधुरी शर्मा कर दूसरी तरफ देख कर कार ड्राइव करने लगती।
हम दोनों ही आने पल की सोच रहे थे.. मैं खुद को कम्फर्टेबल महसूस नहीं कर रहा था। माधुरी लाल और पीले कलर की डिजायनर साड़ी में थी और उसने एक डीप गले के ब्लाउज़ पहना था जिसमें वो काफी खूबसूरत और सेक्सी दिख रही थी। उसकी चूचियां तनी हुई और माँसल दिख रही थीं.. खुला हुआ गोरा पेट मेरे को उत्तेजित कर रहा था।
ये वो बातें थीं.. जो रास्ते भर मैं सोचता या देखता आया।
घर में घुस कर दरवाजा बंद करके माधुरी सीधी टॉयलेट चली गई और मैं वहीं सोफे में बैठ कर टीवी देखने लगा। तभी माधुरी आई और मेरे बगल में बैठ गई।
उसने पूछा- कॉफी?
मैं- हाँ..
अब और इन्तज़ार नहीं
माधुरी किचन में जा कर कॉफी बनाने लगी.. मेरे से अब इंतज़ार करना मुश्किल था।
मैं उठ कर किचन में चला गया.. माधुरी ने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर से कॉफी बनाने में लग गई।
तभी पीछे से मैंने उसको हग कर लिया और अपने गर्म होंठ उसकी गर्दन पर रगड़ने लगा।
माधुरी- आह राहुल.. क्या कर रहे हो.. रुको भी.. कॉफी गिर जाएगी।
पर मैं अब कुछ सुनने को तैयार नहीं था। मेरे लण्ड उसकी गाण्ड को टच कर रहा था। मेरे हाथ उसके खुले पेट को सहलाने लगे थे और मैं पागलों की तरह उसको पीछे से किस कर रहा था।
ब्लाउज़ के आस-पास खुले जिस्म को मैं लगातार चूमे जा रहा था।
माधुरी- रुको ..
मैं- अब इंतज़ार नहीं होता डियर.. अब मत तड़पाओ.. भी जाओ..
यह कह कर गैस बंद करके उसको बांहों में उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया। मैं अपने ऊपर के कपड़े उतार कर उसके ऊपर गया और उसके लबों को चूसना शुरू कर दिया।
वो भी बेचैन थी.. उसके हाथ मेरी नग्न पीठ पर कस गए। दोनों ने एक-दूसरे को किस करना.. चूमना शुरू कर दिया।
अब दोनों ही एक-दूसरे के जीभ को चूस रहे थे.. एक-दूसरे के मुँह के अन्दरएक्स्प्लोरकर रहे थे।
माधुरी की आँखें बंद थीं, उसके गोरे गालों की लालिमा मेरे को उकसा रही थी, साड़ी का पल्लू हट गया था, उसकी चूचियां जो 36D की थीं.. अब मेरी आँखों के सामने थीं।
उसके चूचियों के बीच का कटाव देख कर मेरे होंठ खुद खुद वहाँ चले गए। मेरे होंठों के स्पर्श होते ही माधुरी के मुँह से एक जोर की आवाज़ आई- अह्ह्ह.. ओह्ह्ह.. राहुल मत करो प्लीज़..
मेरे हाथों ने उसकी चूचियों को ग्रिप में ले कर दबाना-मसलना शुरू कर दिया।
माधुरी की आवाज़ भी बढ़ने लगी- ओह्ह आअह्ह.. रुक्को .. उअहहह..
तब तक मेरे दूसरे हाथ ने पीछे जा कर उसके ब्लाउज़ को खोलना शुरू कर दिया। माधुरी ने भी सहयोग किया और अगले ही पल ब्लाउज़ एक कोने में पड़ा था।
जालीदार लाल ब्रा में कसे उसकी तनी हुई चूचियां उसको बहुत मादक बना रही थी। मैं भी इंतज़ार नहीं कर पाया और ब्रा के ऊपर से ही मैंने उसकी एक चूची को मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
चाहते हुए भी शायद वोआह.. ओह्ह..’ करने लगी। उसके हाथों की पकड़ मेरे बालों में कसने लगी। वो उत्तेजना में छटपटा रही थी। उसके मुँह से मादक सिसकारियाँ निकल रही थींओह्ह आह.. रुको .. क्या कर रहे हो.. प्लीज मत करो ..’
उसके नाख़ून मेरी नग्न पीठ पर धंस रहे थे.. जो पीड़ा कम और आनन्द ज्यादा दे रहे थे। उसकी अधखुली साड़ी अस्त-व्यस्त हो रही थी.. जिसको मैंने हटा दिया। अब वो मात्र ब्रा और पेटीकोट में थी। नारी सुलभ लज़्ज़ा उसकी आँखों में थी।
मेरे हाथ उसके बदन में रेंग रहे थे.. मेरे होंठ उसके नग्न जिस्म को चूस रहे थे। मेरी आँखों में वासना और प्यार दोनों था, मेरा लण्ड पैन्ट के अन्दर कुलबुला रहा था।
मैंने उसको पीठ के बल लिटा दिया और उसके जिस्म के हर अंग को चूसने लगा। उसकी मचलती सिसकारियाँ मुझे पागल बना रही थीं।
उसका पेटीकोट थोड़ा ऊपर हो गया था उसमें से झाँकती सफ़ेद पिंडलियाँ.. मक्खन सी चिकनी जाँघें.. मैं बरबस उन पर आकर्षित होकर उसे चूमने लगा।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
माधुरी- राहुल आहह.. बस भी करो आअह्ह..
योनि की महक
मैं अपनी पूरी जीभ निकाल कर उसकी रान को चाटने लगा।
धीरे-धीरे मैं ऊपर को बढ़ रहा था.. जहाँ उसकी लाल पैंटी पहरेदार बन कर खड़ी थी। लाल पैंटी के ऊपर से ही मैं उसकी योनि की महक लेने लगा।
आह दोस्तो.. मदहोशी सी छा गई.. क्या महक थी!
मैंने उसका पेटीकोट का नाड़ा खींचकर उसका पेटीकोट पैंटी सहित एक बार में ही उतार दिया।
अब वो पूर्णतया नग्न थी मेरे सामनेमैंने उसकी आँखों में देखा.. नारी-सुलभ लज़्ज़ा से उसने आँखें बंद कर लीं.. अपनी जांघों को भींच लिया, चूचियों को अपने हाथों से छिपा लिया।
उसकी इस अदा पर मुझको बहुत प्यार आया।
माधुरी मेरे सामने नग्न हो चुकी थी
मैंने भी अपनी पैन्ट उतारी और उसके ऊपर लेट कर उसको चुम्बन करने लगा।
माधुरी का बदन ढीला पड़ने लगा, वो भी मुझको चुम्बन कर रही थी।
चूत में उंगली
हम दोनों एक-दूसरे की जीभ को चूस रहे थे। मैंने उसके बेपरवाह होने का फायदा उठाया और अपना हाथ उसकी जांघों के बीच में दे दिया, फिर थोड़ा नीचे कर उसकी चूची को मुँह में भर कर चूसने लगा।
माधुरी मेरे दो तरफ़ हमलों से पागल हो रही थी।
वह जोर-जोर सेअह.. आह.. ऊह.. मम्म..’ की आवाजें निकालने लगी।
मेरी उंगली उसकी चूत को सहला रही थी और मुँह में उसकी एक चूची थी। मैं कभी उसकी चूत के लिप्स को खींचता और कभी उसको जोर से रगड़ देता।
माधुरी- आह आह.. स्स्सस.. राहुल अब बस करो.. मत तड़पाओ आओ ..
मैंने उसका हाथ अपने जॉकी के ऊपर रखा.. तो पहली बार उसने हटा लिया, मैंने फिर उसका हाथ पकड़ा और अपने लण्ड पर रख कर उसे दबाने का इशारा किया।
इस बार उसने हाथ नहीं हटाया और बस ऐसे ही उसको पकड़े रही।
तभी मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाल दी, माधुरी इस हमले को तैयार नहीं थी और उसके मुँह सेआहनिकल गई।
मैंनेफिंगर-फ़कशुरू कर दिया।
माधुरी कुनमुनाई- स्स्स्स हाँ.. बस करो ना..? कितना तरसाते हो..
माधुरी ने मेरा लण्ड सहलाना शुरू कर दिया था।
मैंने भी मौका देख कर अपना जॉकी निकाल फेंका, माधुरी के सामने मैं भी नग्न था। मेरा लम्बा लण्ड देख कर उसकी आँखें फ़ैल सी गईं।
चूत चुसाई
मैं उसकी जांघों के बीच कर बैठ गया और उसकी दोनों टांगें फैला कर उसके चूतड़ के नीचे एक पिलो लगा दिया.. जिससे उसकी चूत उभर आई।
अब झुकते हुए मैं उसकी चूत को अपनी पूरी जीभ निकाल कर चाटने लगा.. जिससे वो ज्यादा गर्म होने लगी।
माधुरी- आहह.. उउह.. उउह..
धीरे से मैं 69 में हो गया मेरा लण्ड उसके होंठों को टच कर रहा था।
अनजाने में उसका मुँह खुला और मेरा लण्ड उसके मुँह में था।
एक बात है दोस्तो.. शादीशुदा नारी को चोदने का अलग ही मज़ा है.. उसको मालूम होता है कि मर्द क्या चाहता है।
हम दोनों ही उत्तेजना के सागर में गोते लगा रहे थे.. हम धीरे-धीरे चरम की तरफ बढ़ रहे थे, हमारी घुटी-घुटी सी आवाजें हम दोनों की काम ज्वाला को भड़का रही थींहिस्स..ईह ऊहह.. आह.. हम्म आह.. स्स्स्स..’
तभी मुझको लगा कि माधुरी का बदन कांपने लगा है, मैं समझ गया कि वो अब नज़दीक है। मेरी जीभ और तेजी से उसकी चूत में घर्षण करने लगी।
तभी माधुरी ने कस कर मेरे सर को जांघों में बांध लिया.. कि मुझको साँस लेना मुश्किल हो गया।
वो कई बार चूतड़ उछाल कर शांत हो गई।
पर अभी मेरा नहीं हुआ था, मैंने उसकी चूत का रस चाट-चाट कर पी लिया, मैंने पूरी चूत को चाट कर साफ कर दिया और फिर उसके ऊपर आकर उसकी चूची को मसलने लगा, कभी मैं उसके निप्पल को खींचता.. तो कभी जोर से काट लेता।
कुछ ही पलों बाद माधुरी फिर से तैयार थी और मैं भी!
एक बार फिर मैंने उसकी चूत को चाट कर गीला किया और लण्ड को चूत के मुहाने पर लगा कर रगड़ने लगा।
वो अपनी चूत में लंड लेने को बेचैन हो रही थी
माधुरी बेचैन थी और मैं उसको तड़पा रहा थाराहुल डाल भी दो.. अब क्यों तड़पा रहे हो.. आओ राहुल फ़क मी.. राहुल..’
मैंने भी देर करना उचित नहीं समझा और धीरे से धक्का लगाया और लण्ड का टोपा उसकी चूत के अन्दर जा कर फंस गया।
माधुरी- अह्ह्ह्ह्ह.. ओह माँ ओई.. अहह अहह.. आह.. धीरे से राहुल.. आपका बहुत मोटा है.. आराम से करो..
अब सिर्फ और सिर्फ कमरे में सिसकती.. मचलती और कामुक आवाज़ों का शोर था।
मेरा लण्ड उसकी चूत में फिट हो चुका था, माधुरी आँख बंद करके मुझे अपने अन्दर समेट रही थी, सांसों को थाम रही थी।
मैंने झुककर उसकी चूची को मुँह में भर लिया। फिर मैंने उसके निप्पल को मुँह में ले लिया और चूसने लगा।
वोआआह्ह.. ह्हह्ह.. हाआआ.. आह्हह्ह.. ह्हहाह्ह.. ह्हह..’ कर रही थी।
मैं उसे चूसता ही रहा.. उसके चूतड़ में हरकत शुरू हो गई।
मेरा लण्ड भी हरकत में गया।
दोस्तो क्या चूत थी उसकी.. मस्त 36 D साइज की चूची.. मेरे हर धक्के से उछल जाती थीं.. वो सिसकारी भर रही थीअहाआआ अस्स..’
मेरे लण्ड के प्रहार से वो सिसकारी भर केऊऊऊउ माँ.. इऊऊउ ऊईईई ..मा.. गया अआअ आआआ..’ जैसी आवाज़ निकाल रही थी।
मैं थोड़ा रुक गया तो माधुरी बोली- रुक क्यों गए.. करो .. मज़ा रहा है.. ऐसे तो कभी मेरा पति नहीं करता है.. वो तो कुछ झटकों में ही खल्लास हो जाता है.. पर तुम तो मस्त चुदाई करते हो.. करो राहुल।
वो मुझसे मिन्नतें करने लगीऔर देर मत करो.. जल्दी शुरु करो..’
यह सुन कर मेरा जोश बढ़ गया, मेरा लण्ड.. जो आराम से चूत में बैठा था.. उसे भी जोश गया।
मैंने फिर से पूरे लण्ड को निकाल कर बेदर्दी से धक्का लगा कर उसकी चूत में घुसा दिया।
वो इस बार जोर से चिल्ला उठी- आआ आआआ आआअह्ह ऊउई ईईई..
मैं समझ गया कि अब उसको मज़ा रहा है।
कुछ मिनट तक मैं उसको उसी पोजीशन में चोदता रहा।
उसे भी मजा रहा था.. वो अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर मुझसे चुदवा रही थी।
मैंने उसे और जोर से चोदना शुरू कर दिया, थोड़ी देर बाद वो झड़ गई और शान्त पड़ गई लेकिन मेरा नहीं हुआ था मैंने लण्ड निकाला.. उसकी पैंटी से लण्ड और चूत को पोंछ कर उसको घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी सूखी चूत में लण्ड घुसा दिया।
बाहर से सूखी चूत और मेरा सूखा लण्ड जैसे ही चूत में घुसा.. वो जोर से चिल्लाई- रा..हु.... धीरे से यार.. क्यों बेदर्द बन कर कर रहे होमज़ा रहा है और प्यारा-प्यारा दर्द भी हो रहा है.. आह्ह.. कसम से मैंने ऐसा कभी नहीं महसूस किया।
मेरी स्पीड बढ़ती गई.. वोआआह्ह.. ह्हह्ह.. ह्हह..’ करती रही।
जैसे ही मेरी ठोल पड़ती.. वो सिसकारी भरने लगती- अहाआआ अस्सस्स.. शह्हह्हस..
कुछ मिनट के बाद वो बोली- मैं झड़ने वाली हूँ..
मेरा लण्ड चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था, मेरे हर धक्के पर वो चिल्ला रही थीऊऊऊउ माँ..इऊऊउ ऊईईई मा
मैं कभी उसकी चूची को चूसता.. तो कभी उसके निप्पल को काट लेता.. चुदाई लगतार चल रही थी.. लण्ड चूत के अन्दर-बाहर हो रहा था। मेरे अंडकोष चूत के होंठों को चूमते हुए ठोक रहे थे।
मैंने स्वर्गानन्द में गोते लगाते हुए अपने कूल्हे ऊपर उठा-उठा कर लण्ड को अन्दर-बाहर किए जा रहा था।
उसके छूट जाने की बात को सुन कर भी मैं उसे चोदता रहा।
 
एक मिनट के बाद मुझे भी लगा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ, मैंने कहा- थोड़ा रुको.. मेरा भी हो जाएगा.. कहाँ निकालूँ?
माधुरी- अन्दर ही निकालो.. मेरा सेफ टाइम है।
अब माधुरी के कूल्हे तेजी से चलने लगे, एक मिनट बाद उसकी चूत बिल्कुल जकड़ गई और मेरा लण्ड उसी के अन्दर फंस कर रह गया, चूत का मुँह खुल और बंद हो रहा था, उसकी कमर ऊपर सी हो गई.. पैरों से उसने मुझको बांध लिया।
मैं समझ गया कि वो दोबारा झड़ने को हो चुकी है और अब वो देर तक नहीं रुक पाएगी।
कुछ धक्कों के बाद मेरा संयम का बाँध भी टूट गया और मैंने जोरआहहलहकहते हुए अपना सारा माल उसकी चूत में निकाल दिया। उसने भी उसी पल मुझे जोर से जकड़ लिया और भी साथ में ही झड़ गई।
मेरी और उसकी सांसें असामान्य थीं.. सो हम दोनों ही पता नहीं कितनी देर तक वैसे ही पड़े रहे।
फिर मैं उठ कर बाथरूम गया.. और लण्ड को साफ करके अच्छे से धोया और वापस कर उसके बगल में लेट गया।
मैंने उसको बाँहों में ले लिया उसके बालों में कंघी करता हुआ पूछा- माधुरी तुम ठीक तो हो ?
माधुरी- हम्म.. हाँ ठीक हूँ.. राहुल तुम सच में बहुत अच्छे लवर हो.. जानते हो मेरा पति कभी भी इतना कुछ नहीं करता और इतनी देर तो वो अन्दर रख भी नहीं पाता और जैसे उसका हो जाता है.. वो पीठ फेर कर सो जाता है, मुझे तब बहुत ख़राब लगता है।
दोस्तो, कभी सेक्स के बाद अपने पार्टनर को अकेला मत छोड़िए.. इस तरह का व्यवहार उसको पीड़ा पहुँचाता है।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
दूसरी बार चूत चुदाई
माधुरी की शर्म अब मिट चुकी थी.. वो वैसे ही नग्न मेरी बाँहों में सिमटी पड़ी थी।
मैं उसके चूची और निप्पल से खेल रहा था, वो मेरा लण्ड सहलाते हुए बातें कर रही थी।
मेरा लण्ड एक बार फिर सर उठाने लगा था, वो भी गर्म हो रही थी।
मैंने उसकी आँखों में देखा तो वो चमक रही थीं।
मैंने उसकी चाह देखी तो मैं समझ गया कि उसका एक बार फिर मन है चूत चुदवाने का!
दोस्तो, अच्छे सेक्स पार्टनर की लवर की यही पहचान है.. जो अपने पार्टनर की आँखों की भाषा.. उसके जिस्म की भाषा को समझ कर उसके कहे बिना सब कुछ समझ ले।
एक बार हम फिर से एक-दूसरे की बाँहों में खो गए। किस.. चुम्मा चाटी.. काटना मसलना चूसना.. लव बाईट देना.. वो सब करते हुए एक बार फिर हम दोनों ने सम्भोग की पराकाष्ठा को पा लिया और बेसुध से एक-दूसरे की बाँहों सो गए।
फिर 4 बजे मेरी आँख खुली.. मेरी ट्रेन 5 बजे की थी।
मैंने माधुरी को जगाया जो अभी भी नग्न थी।
वो अपनी हालत देख कर पहले शरमाई और उठ कर बाथरूम में चली गई।
बिस्तर पर उसका कामरस और मेरा रस बिखरा पड़ा था, चादरों की सिलवटें रात भर की चुदाई की दास्तान बयान कर रही थीं।
मैंने अपना सामान पैक किया, तब तक माधुरी भी बाहर गई।
अब वो नाइटी में थी, मैंने उसको बाँहों में लिया.. हल्के से किस करके बोला- मेरी ट्रेन का टाइम होने वाला है।
माधुरी- राहुल मैं तुमको कभी भूल नहीं पाऊँगी.. यह रात मेरी ज़िंदगी की सबसे यादगार और हसीन रात थी.. जब भी तुम इधर से गुजरो.. मुझे याद कर लेना और मैं तुम्हारी बाँहों में जाऊँगी।
यदि आप हमसे संपर्क करना चाहते है तो मेरे को ईमेल कर सकते है 
coolccolboy69@gmail.com,

2 comments:

  1. Harrah's Hotel & Casino, Reno, NV, USA - Mapyro
    Harrah's 구리 출장마사지 Hotel 여주 출장안마 & Casino Reno is an 군포 출장마사지 MGM Resorts Luxury Destination with 4-Star hotels, casino, conference facility, 계룡 출장안마 shopping, dining, shopping, 통영 출장안마

    ReplyDelete