Sunday, 18 March 2018

मराठी मुलगी की प्यासी चूत में लंड की सेक्सी कहानी part 2


प्यासी चूत में लंड लेने को तड़प रही मराठी मुलगी की यह सेक्सी कहानी अब बस से निकल कर होटल के कमरे में पहुँच रही है. आप भी मजा लीजिये!
हमारी आंख खुली जब सायन पहुंचने वाले थे.
क्योंकि हमको वहाँ उतरना था तो मैंने कोमल को जगाया और थोड़ी देर में हम सायन में उतर कर मरीन ड्राइव की ओर चल पड़े जहाँ हमारा सी फेस रूम बुक था.
होटल में चेक इन करके हम रूम में पहुंचे, जहाँ वो वाश रूम चली गई.. इस बीच हम दोनों के बीच कुछ भी बात नहीं हुई. कोमल नज़र नहीं मिला रही थी.
खैर वो वाशरूम से आई तो वो खिड़की से समुद्र देखने लगी. बहुत प्यारा व्यू था, मैंने पीछे से उसको हग कर के उसकी गर्दन में किस कर के पूछा- कैसा व्यू है?
कोमल धीरे से बोली- अच्छा है!
उसने मेरी बाँहों से निकलने कि कोई कोशिश नहीं की, वैसे ही खड़ी रही.
फिर घूम कर मेरी तरफ मुँह कर के बोली- आप मेरा कितनी दूर तक साथ दोगे?
मैं- जहाँ तक तुम चाहो!
कोमल- मैं बहुत अकेली फील करती हूँ, मैं चाहती हूँ आप मेरा दूर तक साथ दो… पर मेरी लाइफ में कोई टेंशन नहीं आनी चाहिए.
मैं- ओके, जैसा तुम चाहो!
कह कर मैंने उसके लबों पर हल्का सा चुम्बन किया. कोमल ने मुझे कस के पकड़ लिया या यह कहो कि बाँहों में जकड़ लिया. मैं उसको बाँहों में भर कर उठा, कोमल ने भी अपनी बाँहों का हार मेरे गले में डाल कर अपने पैरों को मेरी कमर में कस लिया, अब हम दोनों के होंठ आपस में मिलकर एक दूसरे का चुम्बन करने लगे, उसके चूचुक खड़े होकर मेरे सीने में दब गए.
चुम्बन करते करते मैं बिस्तर की तरफ बढ़ा और फिर उसे बिस्तर पर लिटा दिया.
कोमल ने मेरी तरफ देखा और बाँहों को फैला कर मुझे बुलाया. मैं भी अपने ऊपर के बदन के कपड़े उतर कर उससे पास जाकर चिपक गया और उसकी चूचियों को मसलने लगा.
‘उफ्फ्फ्फ़ आआह्ह…’ फिर उसने मुझे पकड़ कर मेरे होंठों को पीना शुरू कर दिया.
अब हम दोनों को कोई डर नहीं था कि कोई देख न ले, बेफिक्र होकर एक दूसरे के जिस्म का स्वाद ले सकते थे.
मेरे हाथ उसके कपड़ों के अंदर से ब्रा के ऊपर से चूची मसलने लगे. मैंने उसकी टीशर्ट निकाल दी, वो लाल ब्रा में कयामत सी लग रही थी… मैं ब्रा के ऊपर से ही चूची को मुँह में भर कर चूसने लगा. दूसरे हाथ से मैंने उसकी ट्रैक पेंट नीचे कर दी और पेंटी के ऊपर से ही चूत सहलाने लगा.
‘आआआ.. नहीं …आआह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह.. म्म्म्म्म्म … आआह.. आआह!’
‘लाल पेंटी ऊऊ.. गोरा बदन और लाल रंग!’ क़यामत तक याद रहेगा मुझे!’
लाल ब्रा के अंदर गोरे-गोरे और उठे हुए मम्मों के ऊपर उसके गुलाबी निप्पल भी अच्छे लग रहे थे। मैंने उसको पलट दिया, उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया. कोमल की लाल रंग की छोटी सी पेंटी पहनी थी, जिसके ऊपर से उसकी गांड मस्त और उठी हुई लग रही थी।
फिर मैंने जब उसकी पेंटी खिसकाकर उसके चूतड़ पर हाथ लगाया तो लगा कि मुलायम रुई का गोला मेरे हाथ में आ गया.. मैं उसके गुन्दाज़ चूतड़ों को मसलने लगा जीभ निकल कर उसकी पीठ पर चाटने लगा मेरे ऐसा करते कोमल का जिस्म कम्पन होने लगा, उसके मुँह से लंबी ‘आ..आह..’ की आवाज़ निकली आआह.. आह.. म्म्म्म्म्म की आवाज़ आने लगी.
फिर मैंने उसकी गर्दन पर चुम्बन करना चालू कर दिया। कोमल के मुँह से सिसकारी निकल गई- स्स्स्स आशीष आह्ह्ह..आआआ.. नहीं…
मैंने पेंटी उतार दी और फिर से उसकी पीठ पर चाटने लगा, चुम्बन लेने लगा, कभी काट लेता… उसकी आआह.. अह्ह अह्हह अह्ह अह्ह्ह… उम्म अम्म… उम्म..’ सीत्कार निकलने लगी।
मैंने उसके चूतड़ पर प्यार से हाथ फेर दिया.. जोर से दबा दिया, झुक के चुम्बन किया, चूस लिया उसके मस्त भर भरे चूतड़ों को.. बेचैनी के आलम में दांत से काट लिया.
कोमल- आउच… क्या कर रहे हैं आप?
मैंने देखा कि उसके चूतड़ पर एक लाल रंग का खून का थक्का जम सा गया है.
लाल निशान गोरा बदन… उफ्फ्फ… क्या कहूँ, कंट्रोल नहीं हो रहा था!
पर बहुत दूर तक जाना था मुझे तो कण्ट्रोल तो करना ही था!
कपड़े उतर चुके थे… उसको पलट कर मैंने उसके नंगे जिस्म पर निगाह फेरी तो मेरा लंड उछल सा गया… बेपर्दा कोमल का कमाल का हुस्न, तराशा हुआ बदन, पतली कमर, मदमस्त जाँघें, तने हुए निप्पल गुलाबी से और उनके चारों ओर बड़ा सा भूरा घेरा… न चाहते हुए भी उफ्फ निकल ही गया!
कोमल आँखें खोल कर मेरे चेहरे का हर रंग बदलते देख रही थी… वो धीरे से उठी और मेरा लोअर उसने खींच दिया. मेरा जॉकी जिसमें मेरा लंड छुपा था, उसका उभार नज़र आ रहा था. लंड का टोपा थोड़ा सा ऊपर झांक रहा था.
कुछ ही पलों में मेरा जॉकी कहीं दूर पड़ा था, मेरा 6 इंच का लंड कोमल के हाथ में था.
उसने मुझे धीरे से धक्का दे कर लिटा दिया और मेर ऊपर आकर लेट गई… दो निवस्त्र जिस्म आपस में मिल गए थे.
अब बारी मेरी सिसकारी की थी, कोमल मेरे निप्पल को मुँह में भर कर चूसने लगी… मेरे मुँह से ‘आआह्ह्ह्ह… स्स्स्स्स स्साआ अह्ह्ह्ह… आआह्ह… ओह येस… ओह येस… ओह येस… ओह येस बेबी सक इट… ओह येस बेबी सक इट’ जैसी आवाज़ें निकलने लगी।
कोमल जंगली बिल्ली बन गई थी.
‘जंगली बिल्ली’ यही नाम देना चाहूंगा कोमल को… उसका अंदाज़ बहुत आक्रामक था, वो मेरे जिस्म को चूम रही थी, चूस रही थी, काट रही थी, मेरे जिस्म में लव बाईट बनते जा रहे थे और मैं सिसकारी भर रहा था.. दर्द भरे मज़े से!
आज मेरे मुँह से से वो आवाज़े निकलवा रही थी जो मैं कभी मैं अपने सेक्स पार्टनर से सुनता था- आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह…आआह्ह ओह्ह ओ आआह्ह… ओह येस कोमल स्स्स स्साआ अह्ह्ह्ह… उफ्फ अहह आह्ह आआह्ह ओह्ह ओ ओ ओ आह अहह कोमल… आआह्ह… ओह येस… ओह येस… ओह येस बेबी सक इट… ओह येस बेबी सक इट… आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह… अअह.. अअअर..रे और तेज को.. म.. .ल मेरे को काट लो चूस लो!
कोमल का एक हाथ मेरे जिस्म को सहला रहा था तो दूसरा लंड को मसल रहा था. लंड में तनाव था, हार्ड था, फुल मूड में था लंड!
कोमल नीचे सरकती हुई आई और मेरे लंड के आस पास चूमने लगी… काटने लगी…
बर्दाश्त से बाहर थी उसकी हरकतें… फिर भी मैं तड़पते हुए कण्ट्रोल कर रहा था ‘हय… याह… अह हहा हहह!’ मेरा दिल कर रहा था कि मेरे लंड को कोमल मुँह में लेकर चूसे और कोमल थी कि मुझे तड़पा रही थी.
अचानक कोमल में मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया.
‘आऊ वो आह्ह उफ्फ्फ ये आ आआ आ आ ह ह ह बे बे बी…’ उसने मेरे लिंग की चमड़ी नीचे खिसकाई और मेरे गुलाबी लंड के टोपे पर थूक से सनी जीभ को चारों तरफ फेरा- उफ़ उफ्फ्फ आह्ह आआह्ह्ह्ह!
कभी वो पूरा लंड मुँह में लेकर चूसती तो कभी लंड के टोपे को चूसती, पूरा लंड गीला सा हो गया था, उसकी लार पूरे लंड पर बह रही थी.
‘कोमल.. मेरी जा जा न… चूसो और चूसो… उफ्फ्फ्फ़…’
वो मेरी गोटियों को मसलने लगी.
‘उफ्फ्फ आआह्ह…’ मेरे अंदर का प्रेशर बढ़ने लगा, लगने लगा कि मैं अब रोक नहीं पाऊँगा.
‘कोमल, मैं अब रुक नहीं पाउँगा.. मेरा हो जायेगा!’
कोमल ने मेरी तरफ देखा.. मुस्कुराई और फिर जोर जोर से चूसने लगी.
‘आअह्ह आह्ह्हह अह्ह्ह हहह हहह उफ्फ फ्फ्फ…’ मैंने सोचा कि शायद वो पीना चाहती है.
मेरा जिस्म भी थरथराने लगा, कंपाने लगा, तभी कोमल ने लंड को मुँह से निकला और मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत को रगड़ने लगी. चूत की दरार में लंड फिसल फिसल कर रगड़ रहा था, उसकी चूत भी पानी बहा रही थी.
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कोमल जोर जोर से मेरे निप्पल को चूसने लगी ‘अह्ह्ह कोमल आअह्ह कोमल… और जोर से आअह्ह्ह उफ़ कोमल…’
मैंने उसके चूतड़ को पकड़ कर मसल दिया… उसके चूतड़ को लंड पे दबा कर चांटे मारने लगा.
कम्पन के साथ मेरे शरीर ने लावा उगल दिया… मैंने कोमल को कस कर भींच लिया.
रह रह कर लंड फुदक फुदक के लावा उगल रहा था… मेरा जिस्म हल्का होता चला गया.
मैं कोमल को बाँहों में भरे गहरी सांसें ले रहा था, कोमल भी आँख बंद करके मेरे सीने पर रखे थी. कोमल साथ में अभी भी अपनी कमर और चूतड़ को मेरी कमर से रगड़ रही थी. मेरे सारे चिपचिपे से लावे की मालिश कर रही थी.
‘ओफ्फ फ्फ्फ…’ क्या फीलिंग थी… ऐसी चुसाई मेरे जीवन में कभी नहीं हुई. सच कहूँ तो ऐसी जंगली बिल्ली मेरी लाइफ में आई ही नहीं!
ऐसा आक्रमक अंदाज़ तो सिर्फ मेरा होता था.
कोमल- मेरा भी हो गया!
मैं- क्या?
कोमल- हाँ, मेरा भी दो बार हो गया!
मैं- सच?
कोमल- हाँ.. आपका ये बहुत अच्छा है, गणेश (उसका पति) का आप जैसा ही है पर काफी काला है, आपका ऊपर का गुलाबी सा देख कर ही मेरा हो गया.
मैं- अच्छा? इतना अच्छा लगा तुमको?
कोमल- गणेश मुझे कुछ भी करने नहीं देता था, सब कुछ वही करता था, कभी जब मैं शुरू करती थी तो वो बीच में रोक कर मुझे लिटा कर मेरे अंदर आ जाता था, मैं मन मार के रह जाती थी, कुछ नहीं कह पाती थी, सोचती थी कि वो क्या सोचेगा! पर आपने मुझे नहीं रोका, दर्द सह कर भी मुझे वो करने दिया जो मैं चाहती थी. थैंक यू!
मैं- कोमल जिंदगी में पहली बार मुझे ऐसा मजा आया! जो आवाजें मैं आज तक सुनता था, वो आवाजें आज तुमने मेरे मुँह से निकलवा दी… तुमने मुझे जीवन भर का आनन्द दे दिया, तुम्हारा मन नहीं करता सेक्स करने का?
कोमल- बहुत करता है… बिस्तर पर करवटें बदलती थी, मोबाइल में मूवी देखती थी.. उंगली से रगड़ती थी पर सकून नहीं मिलता था! फिर आप को देखा मैंने… पहली बार में मुझे आप बहुत अच्छे लगे, आपका अंदाज़, बात करने का अंदाज़. पता नहीं क्यों मैं आपकी तरफ एक आकर्षण सा महसूस करने लगी थी. पहली ही बार में आप मुझे अच्छे लगे थी.. पर ये सब मैंने नहीं सोचा था!
मैं- तुमको यह नहीं लगा कि मैं तुमसे उम्र में काफी बड़ा हूँ और तुम बहुत कमसिन सी हो?
कोमल- मुझे अपने से उम्र में बड़े लोग पसंद हैं, मेरे पति भी मेरे 11 साल बड़े हैं.
मैं- ओह्ह्ह तुमको बुरा तो नहीं लग रहा है न!
कोमल- नहीं, बल्कि मुझे न जाने क्यों कल घर से निकलते हुए ऐसा लग रहा था कि कुछ होने वाला है… पर ये सब हो जायेगा, नहीं सोचा था! बस में आपके बदन की खुशबू ने मुझे विचलित कर दिया था, मेरा मन कर रहा था कि आप कुछ करो… पर लड़की हूँ न, आपसे कह नहीं पाई, पर आप सब समझ गए जब आपने अपनी गर्म सांसों से मेरे ऊपर वार किया तो मैं बह गई, मैं चाहने लगी कि आप मुझे प्यार करो!
कोमल एक साँस में वो सब कह गई जो वो चाह रही थी.
हम लोग इसी तरह बात करते हुए एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे!
जिस्म दोनों के निर्वस्त्र थे हम दोनों के भीतर नई ऊर्जा का संचार हो चुका था, अब मेरी बारी थी..
मैं कोमल के ऊपर आ गया और उसके लब चूसने लगा, साथ ही साथ उसके बदन को सहला रहा था, कोमल अब मचलने लगी थी.
मैंने अपने होंठ उसके होठों पर चिपका दिए और उसके गुलाबी होठों का रसपान करने लगा, कोमल भी मेरे होठों को पीने लगी, मैं उसके कभी ऊपर के होठों को चूसता तो कभी नीचे के होठों को। करीब दस मिनट तक मैं उसके होठों में चिपका रहा यार उसके होंठ थे ही इतने रस से भरे तो कैसे छोड़ देता!
तभी जंगली बिल्ली ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मुझे बेसब्री से चूसने लगी- हुम्म हुम्म्म्म!
मेरे हाथ उसकी चूचियों पर थे, मैं उन्हें दबा रहा था, मसल रहा था, धीरे धीरे मैं नीचे सरक रहा था और जंगली बिल्ली मेरे सर के बालों को पकड़ कर नोच रही थी.
‘आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊह्ह आह…’
उसकी नाभि पे मैंने अपनी उँगलियों को घुमाना चालू किया तो कोमल मचल गई. फिर मैंने अपनी जीभ को नाभि की गहराई में ले जा कर उसे चाटना शुरू किया.
कोमल हर पल मचल रही थी, सिसकारियों से कमरा संगीतमय था- ओह्ह्ह उफ्फ फ्फ्फ़ क्या कर रहे हो आप? रुको ओ ओ ओ ओ बस करो प्लीज!
कोमल के जिस्म का एक एक अंग मैं चूमना चाहता था मैं चाह रहा था कि उस बिल्ली को इतना तड़पा कर मज़ा दूँ कि वो मेरी दूर तक साथी बनी रहे.
मैं जैसे जैसे नीचे आ रहा था, कोमल के दोनों पैर खुलते जा रहे थे, मैं सर उठा कर कोमल को दिन के उजाले में देखने लगा.
उफ्फ्फ… उसका बदन पूर्णतया विकसित 32 साइज की चूची.. पतली कमर, गोरा बदन और चेहरे पे बिखरी जुल्फें…
मेरा लंड भी अकड़ सा गया.
उसकी सफाचट चूत में बहुत हल्के से रोयें जैसे बाल के साथ फूली हुई चूत चूत लबों के बीच में एक लम्बी रेखा… आह्ह्ह्ह क्या नज़ारा है! मैंने झुक कर चूम लिया और जीभ से चाट लिया.
और नीचे आया, कोमल के पैरों को और फैलाया, उसके चूतड़ों के नीचे एक तकिया लगा दिया, चूत अब उभर कर सामने थी और मेरे होंठों ने उसको चूमा तो कोमल एकबारगी उछल सी गई ‘आआहऽऽ …आआऽऽऽ… ऊऊऊऊ… ऊओफ्फ!
मेरे होंठ उसकी गीली और चिकनी चूत के लबों में पहुंच कर उस रस का स्वाद लेने लगे… कोमल की चूत की चिकनाई में वासना से भरे बुलबुले भी उभर आये थे, जैसे चूत में रस का मन्थन हो रहा हो।
चूत से पानी बह रहा था और मैं उस अमृत रस को पी रहा था. कोमल की चूत का मुख खोल कर जीभ मैंने चूत के अन्दर तक चाटना शुरू किया चूत का दाना फूल कर लाल हो गया था। बार बार होंठों से चूसने के कारण कोमल के तन की आग भड़कने लगी थी और वो सेक्सी सेक्सी आवाजें निकालने लगी- आह्ह… आह… ऊऊ ऊऊ… ईई ईश शर… आआआआ… ऊऊओफ़ फफ… ऊऊऊ फफ फअआ ह्ह्ह!
कोमल की आवाज़ तेज़ होती गई और मेरी जीभ चूत के अंदर जाकर गोल गोल घूम कर उसकी चुदाई कर रही थी. कोमल मचल रही थी, काँप रही थी, सिसकारियाँ भर रही थी- अय्य… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आईई ईई, ऊऊ युयुयु ऊऊऊयू हाआआ अहा हह उफ्फ शस हेहः ओह आह आहः
कोमल मचली जोर से कांपी और शांत हो गई.. मेरे मुँह पे एक अमृत रस की फुहार रह रह कर आने लगी जिसको मैं आराम से चाट चाट कर पी रहा था.
कोमल शांत हो चुकी थी.
मेरा लंड तैयार था और उसकी चूत लंड लंड पुकार रही थी, मैंने उसके ऊपर आकर उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया, कोमल ने भी साथ दिया, एक हाथ नीचे ले जा कर लंड को चूत की दरारों में घिसना चालू किया तो कोमल के तन में भी जान आ गई, उसकी कमर उचकने लगी, मैं समझ गया कि वो अब तैयार है.
मैंने नीचे आकर उसकी चूत में लंड को रगड़ा फ़िर कंडोम चढ़ाने लगा ही था कोमल ने मना कर दिया- नहीं ये नहीं.. बाद में… मेरे सेफ दिन हैं.
मैंने कोमल के बात मान कर लिंग को चूत के द्वार पर टिका दिया. लंड को रगड़ते हुए एक बार फिर से कोमल को देखा, हमारी नज़रें मिली पर उसने शर्मा कर अपनी आँखें बंद कर ली.
अगले पल मैंने उसके कंधे पकड़े और थोड़ा दबाव बढ़ाया, लंड का टोपा अंदर प्रवेश किया था कि कोमल के चेहरे का रंग बदलने लगा, मुँह खोल कर वो जोर से साँस लेने लगी, मेरा लंड धीरे धीरे चूत की गुफा में प्रवेश करता गया.
कोमल- उफ्फफ्फ अह्ह्ह थोड़ा धीरे… आह्ह..सी.. सीअ.. अह ह उम्म्ह
उसने कस कर एक हाथ से चादर को पकड़ लिया और दूसरे हाथ से मेरे कंधों को पकड़ा.
आप सभी लोग जानते हैं कि यदि चूत में काफी दिन तक लंड का प्रवेश न हो तो चूत पुनः अपना आकार वापस लेने लगती है, यह कुदरती है.
धीरे धीरे मेरा दबाव बढ़ता गया, लंड चूत में जाने लगा, कोमल की बंद आँखों से पानी आ गया था, वो जोर जोर से साँस ले रही थी, चेहरा लाल हो गया था और फिर कुछ पलो में मेरा लंड चूत में पूरा अंदर चला गया.
कुछ पल को रुक कर मैंने अपनी स्थिति को एडजेस्ट किया और कोमल को भी संभालने का मौका दिया. अब तक चूत मेरे लंड के हिसाब से अपने को एडजेस्ट कर चुकी थी.
मैंने एक बारगी लंड निकाला और इस बार चूत पे एक दमदार झटका दिया और लंड एकबारगी पूरा चूत के अंदर..
कोमल- उफ्फ फ्फ्फ धीरे आ आ आ आ शू शू उफ्फ फ्फ्फ उम्म्ह… अहह… हय… याह…
चूत में लंड की यह हिंदी सेक्सी कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
फिर तो बिना रुके मेरी स्लो स्पीड से मेरा लंड कभी चूत के अंदर तो कभी बाहर… अब कोमल भी मदहोश हो कर सिसकारी भर भर पागल हो रही थी, उसके चूतड़ भी मेरे साथ मेरे साथ उछल रहे थे, मैं भी जोर सी सांसें ले रहा था- ओह्ह ओह्ह्ह आह!
वो कामुक आवाजें निकालने और कहने लगी- सी.. सीअ.. अह ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह उअह उउउ..
मैं दम साधे शॉट पे शॉट लगाए जा रहा था.
कोमल मुझे खींच कर मेरे होंठ को चूम कर चूसने लगी, दूसरा हाथ मेरी कमर को कस के पकड़े थी- फक्क मी.. आआह.. आह.. म्म्म्म्म्म और तेज .. अअह.. अअअर!
कोमल का शरीर बार बार झटके लेने लगता था, मेरा अनुभव बता रहा था कि वो दो बार पानी छोड़ चुकी थी.
मैं उसको लेते हुए पलट गया और अब कोमल मेरे ऊपर थी.. मैंने उसके चूतड़ को पकड़ा और ऊपर उछाला…
और मेरा लंड बाहर.. और उतनी तेज़ी सी उसे नीचे खींच लिया.
‘मर गई ई ई ई ई धी ई रे आशू ओफ़्फ़्फ़ मर गई मैं… धीरे आशू! मेरा लंड एकबारगी अंदर तक मुझे और उसको दोनों महसूस हुआ. कोमल भी चूतड़ उछालने लगी थी मेरे हाथों का सपोर्ट उसके रिदिम को बरकार रखे था ‘आ…ह आआआ आआआ… हुम्म हुम्म्म्म!’
फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च की कुछ आवाज़े कमरे में गूंजने लगी… कभी फच्च फच्च फच्च तो कभी पट पट पट… एक न थमने वाला शोर!
मैंने उसको थोड़ा अपनी ओर खींचा ओर थोड़ा उठ कर उसकी चूची को मुँह में भर के चूसने लगा. उफ्फ्फ़… उछलती चूचियों को मुँह में भरना आअह्ह!
कोमल की सांसें उखड़ने लगी तो मैंने उसको फिर से पलट दिया, उसके ऊपर आकर मिशनरी स्टाइल में चूत में लंड घुसा दिया.
मैंने फिर शॉट पे शॉट कभी अंदर कभी बाहर ‘ओह्ह कोमल आह्ह आह उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ ये ये हुम्म हुम्म्म्म…’
कोमल भी मस्त हो कर चुदवा रही थी
मैं कभी उसकी चूची चूसता तो कभी चूत पर हाथ ले जाकर चूत का किनारा रगड़ता ओर इसका नतीजा यह हुआ कि अब कोमल फिर से झड़ने को तैयार थी.
कोमल की मदमाटी आवाज़ ‘अय्य… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आईई ईईईई, ऊऊऊ युयुयु ऊऊऊयू हाआआ अहा हह औय्या शहस हेहः ओह आह अहह… याह… हाय हाय रे… आऽऽऽह ओऽऽऽह ओह्ह्ह आशु … हाऽऽऽय… जोर से मेरा हो जायेगा!
मैंने जोर जोर से शॉट लगाने शुरू किया अपने मन को एकाग्र किया जिससे मैं भी उसके साथ झड़ जाऊँ…
दो नग्न जिस्म पसीने से सराबोर… कोमल के बिखरे बाल उसके चेहरे पर… कुछ और शॉट… कुछ और चुम्बन…
मैं उत्तेजना में धक्के लगाये जा रहा था और उनकी चूत का पानी फ़च फ़च की आवाज कर रहा था।
कोमल मुझे जकड़े जा रही थी, हर पल कोमल की पकड़ बढ़ती जा रही थी… मुझे लगा कि कोमल अब झड़ने वाली हैं… मैंने उनकी चुची से हाथ हटा दिया।
तभी कोमल ज़ोर से चिल्लाई- जल्दी… आऽऽऽह… मैं गई… आह रे… मैं गई… आशू … मुझे कस लो…
कह कर उसने मुझे जकड़ने की कोशिश की ओर मैंने भी उसी जकड़न में दो ओर धक्के मारे ओर अह्ह्ह उफ्फ्फफ्फ्फ़… आऽऽऽह के आवाज़ करते हुए अपना सारा अमृत उसकी चूत में छोड़ दिया.
हम दोनों एक दूसरे को जोर से जकड़े हुए थे… उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी छोड़ रही थी… मेरा लंड रह रह कर फूलता ओर अमृत को छोड़ता!
कुछ पलों तक यह सिलसिला चलता रहा.
मेरी सांसें काबू में नहीं थी… मैं जोर जोर से सांसें ले रहा था, कोमल तो निढाल सी मेरे को जकड़े हुए पड़ी थी.
कुछ पल और बीत गए, कुछ जान वापस आई… कुछ हरकत हुई हम दोनों के नग्न जिस्म में… लंड के पास से कुछ बहता सा लगा… ओह्ह्ह चूत ओर लंड के रस अद्भुत संगम.. इतना अमृत तो आज बहुत दिन बाद निकला था!
मैं थोड़ सा उठा था कि लंड सिकुड़ कर बाहर आ गया बेचारा लंड बेजान सा, जो एक जीत के बाद भी हारा हुआ सा लग रहा था.
मैं कोमल के बगल में गिर गया, वो भी गहरी सांसें ले रही थी…
हम दोनों एक दूसरे की बाहों में थे… आँखें बंद किये हुए… सिर्फ एक दूसरे की तेज़ धड़कन को सुनते रहे!
थोड़ी देर बाद…
मैं- कोमल तुम ठीक तो हो न?
कोमल- हम्म!
कह कर मेरे होंठों पे चुम्बन देकर अपनी मौजूदगी का अहसास कराया उसने!
मैं- चुप क्यों हो?
कोमल- आप कुछ पूछो मत… बस मुझे आनन्द के इस समुन्दर में गोते लगाने दीजिये! आप बहुत कमाल के हैं… मैंने ऐसा कुछ भी नहीं सोचा था पर आपने मुझे न जाने कितने सारे अहसास करा दिए..
मैं- सच.. क्यों ऐसा क्या कर दिया मैंने?
कोमल- क्या नहीं किया आपने… आपने मुझे वो करने दिया जो मैं करना चाहती थी!
मैं- ओह्ह्ह… और?
कोमल- आपने मुझे इतनी बार डिस्चार्ज करवाया, इतना तो मैं अपने पति के साथ एक बार में नहीं हुई.
मैं- सच में… वो दिख रहा था, महसूस हुआ मुझे!
कोमल.. थैंक्स आपका!
मैंने बिना कुछ बोले एक फ्रेश टॉवल लिया और वाशरूम में गर्म पानी से गीला करके सबसे पहले उसकी चूत को अच्छे से साफ किया, फिर अपने लंड को भी ठीक से साफ किया.
सम्भोग के बाद साफ टॉवल से चूत ओर लंड को ठीक से साफ करना चाहिए गर्म पानी में डूबी टॉवल से, अगर वो उपलब्ध न हो तो वाशरूम में जाकर साफ पानी से धो लेना चाहिए. यह आपको किसी भी यौन संक्रमण से बचाता है.
 ये सिलसिला जारी रहेगा.......... leave ur comments

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