कोमल मेरी हर हरकत को प्यार से देख रही थी…
हम दोनों वैसे ही निर्वस्त्र बेड पर लेटे थे… एक दूसरे से बाते कर रहे थे, एक दूसरे को सहला रहे थे …ओर ..एक दूसरे होंठों को चूम रहे थे. पहले दौर को लगभग 45 मिनट हो चुके होंगे, हम दोनों ही फ्रेश थे और अपनी काम इच्छा को भड़का रहे थे क्योंकि हम दोनों का दिल अभी भरा नहीं था.
कोमल मुझे रह रह कर चूम लेती, मेरे होंठों को चूसने लगती तो कभी मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगती. मैं समझ रहा था कि कोमल एक दौर और चाहती है.
इस बार कोमल ने पहल कर ही दी.. क्योंकि वो झिझक अब खत्म हो चुकी थी, कोमल मेरे ऊपर आकर मेरे होंठों को चूसने लगी… मैंने भी पूरा साथ दिया, उसे बाँहों में लेकर उसके निचले होंठ को चूसने लगा. उसकी जीभ ने मेरे मुख में दस्तक दी, मैंने स्वागत किया और उसकी जीभ को होंठों में दबा कर चूसने लगा… अपनी जीभ उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और कोमल उसको दबा दबा के चूसने लगी.
हम दोनों एक दूसरे की लार पी रहे थे, मेरे हाथ उसकी चूत को सहला रहे थे और कोमल तो लंड को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी, कभी सहलाती तो कभी मसलती तो कभी आगे पीछे करती.
उतेज़ना का दौर बढ़ रहा था मेरी उंगली चूत के अंदर थी मैंने उसको फिंगर फ़क करना शुरू कर दिया.
कोमल भी बेचैनी में मेरे होंटो को कस के चूसने लगी.. कभी बीच में रुक कर…‘आआह्ह्ह्ह… स्स्स्स्स स्साआ अह्ह्ह्ह… म्म्म म्म्माआआह्ह… ओह येस… उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह येस… ओह येस… ओह येस आशीष..आआह.. आह.. म्म्म्म्म्म और तेज.. हाँ हाँ.. आशीष अअह.. अअअर..र और तेज.’ कहने लगी।
उसकी चूत से अमृत बरस रहा था… और मेरा लंड अकड़ रहा था.
अब मेरी बारी थी… मैंने कोमल को उल्टा लेटा कर उसकी गांड को उठा दिया… अब उसकी चूत साफ दिख रही थी.. टांगों को हल्का सा चौड़ा किया और थोड़ा झुक कर उसकी चूत को चाटने लगा मुँह में लार भर के… चूत में ढेर सारा तरल अमृत था.
मैंने अपने आप को एडजेस्ट किया और लंड को चूत के मुहाने पर रख कर एक बेहराम शॉट लगाया…
कोमल… ओह्ह आई ई ई मर गई…असे दिसते आहे… थोडे मंद घालावे. आम्ही वेदना आहेत!
मैंने मराठी लिखी है पर यदि कोई त्रुटि हो तो माफ़ कीजियेगा. कोमल मराठी मुलगी थी तो वो मराठी में बहुत कुछ कह रही थी जिसको मैंने यहाँ नहीं लिखा…
बेहरमी पता नहीं क्यों मेरे अंदर आ गई. मैं जोर जोर से चूत में लंड को अंदर बाहर कर रहा था, एक हाथ से कमर को पकड़े था तो दूसरे से उसके लम्बे बाल… बस चोदे जा रहा था ‘आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह… अअह.. अअअर..र’
और फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च की आवाजें!
जब मेरा लंड चूत की जड़ तक जाता तो उसके चूतड़ से टकराकर आवाज़ आती पट पट… पट पट… पट पट… तो कभी फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह हहा हहह!
अय्य… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आईईईई ईईईई, ऊऊऊ युयुयु ऊऊऊयू हाआआ अहा हह औय्या शहस हेहः ओह आह आहः
वो उम्म्ह… अहह… हय… याह…
ये दौर लम्बा चलना था… कोमल झड़ चुकी थी उसको अब उस अवस्था में खड़े रहना मुश्किल था.. तो वो लेट सी गई थी… मैंने एक तकिया उसके नीचे लगा दिया और शुरू थी मेरी चुदाई.. न रुकने वाली… बस कमर उठा उठा कर मेरे से ताल से ताल मिला कर चूत में लंड ले रही थी ‘आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह… म्म म्म्माआह्ह… ओह येस आशीष … ओह येस् आशीष…’
आ… हआआ… हुम्म हुम्म्म्म… फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च…
स्स्स्स्स स्साआ अह्ह्ह्ह… म्म्म म्म्माआआह्ह… ओह येस… ओह येस… ओह येस… ओह येस … ओह येस
आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह… अअह.. अअअर..रै और तेज
उम्म्ह… अहह… हय… याह…
काफी देर बाद मुझे लगने लगा की मैं भी कभी भी ब्लास्ट कर सकता हूँ- कोमल, मेरा होने वाला है थोड़ा और साथ दो…
सुनते ही कोमल एकदम से उछल कर पलट गई… अब चूत सामने थी… चूत से सफ़ेद सफ़ेद रस बह रहा था, मैंने देर न की और फिर से लंड उसकी टांगों को कंधों पर रख कर चूत में डाल दिया ‘आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह…’
उसके मुँह से ‘आआह्ह्ह्ह… स्स्स्स्स स्साआ अह्ह्ह्ह… म्म्म म्म्माआआह्ह… ओह येस…
मेरा रक्त संचार बढ़ चुका था, सारा खून एक जगह इकट्ठा होने को था, मेरे शॉट में भी तेज़ी आ गई थी.
उतनी ही तेज़ी से कोमल अपनी गांड उछल रही थी और मैं जोर से चीखते हुए.. उस पर ढेर हो गया.
फिर वही अहसास, चूत का खुलना बंद होना… मेरे लंड का फूलना अमृत बरसाना…
कोमल भी मुझको बाँहों में भर के मेरे मुँह को चूम रही थी.
कुछ पल में सब शांत हो गया बस सांसों का व्यवस्थित होना बाकी था!
मैं उसके ऊपर लेटे लेटे ही नींद की आगोश में कब चला गया, पता ही नहीं चला.
वो भी कुछ मेरे जैसी हालत में थी..
जब आँख खुली तो कोमल नंगी मेरे से चिपट कर लेटी थी और उसकी जाँघें मेरे पैरों के ऊपर थी और उसकी जांघ के नीचे मेरा लंड दबा था.. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि एक कमसिन कन्या को दो बार चोद चुका हूँ… वाइल्ड सेक्स हो चूका था… और ये चुदाई अब रुकने वाली नहीं थी… दो दिन थे हमारे पास…
उसका तराशा सा बदन .. निर्वस्त्र शरीर मेरी आगोश में था और मैं निर्वस्त्र उसके आगोश में.. बस लग रहा था कि ये पल यहीं रुक जायें!
और दो दिनों में कई दौर चुदाई के चले… बाथरूम, टेबल, बालकनी रूम के हर हिस्से में चुदाई हुई… वो शादी के बाद जितना 15 दिन में न चुदी थी, उससे कहीं ज्यादा इन दो दिन में चुद चुकी थी और हम दोनों का दिल नहीं भर रहा था.
जब जाने का वक़्त आया तो हम दोनों ही बेचैन हो गए…
कोमल ने अपने पापा को बताया कि देर होने के कारण बस छूट गई है तो आशीष सर अपनी कार से छोड़ने आ रहे है… और फिर रात के अँधेरे में हम दोनों ने कार में भी दो बार सेक्स किया. सुबह उसको घर छोड़ कर मैं होटल चला गया.
कोमल भी जॉब के बहाने थोड़ी देर जॉब करके मेरे होटल आ गई, जहाँ फिर चुदाई का दौर चला पर इस बार सिर्फ एक ही बार चुदाई हुई. हम दोनों बात करते रहे, शाम को कोमल घर चली गई और मैं वापस मुंबई आ गया और इस धुआँधार ट्रिप के बाद तो मुझे और कोमल को चुदाई का चस्का लग गया, जब मेरा या उसका मन करता, मैं औरंगाबाद चला जाता दिनभर चुदाई के कई दौर चलते.. उसको सेल्स ट्रेनिंग, सेल्स मीटिंग के बहाने पुणे या मुंबई बुला लेता और हम एक दूसरे के निर्वस्त्र जिस्म में खोकर प्यास बुझाते!
दोस्तो, यह रिश्ता बहुत दिन तक चला… तकरीबन तीन साल… फिर उसका हस्बैंड लौट आया, हमारा मिलना कम हो गया पर मैं उसे भूल नहीं पाया, आज भी उसके साथ बिताये पल भूलते नहीं हैं, आज उसकी एक बेटी भी है और वो अपने पति के साथ खुश है, कभी कभार बात हो जाती है.. पर मैं उसकी जिंदगी को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता! और यही मेरा उससे पहले मुंबई ट्रिप में किया गया वादा था कि उसकी लाइफ में मेरी वजह से कोई टेंशन नहीं आएगी.
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको यह चूत में लंड की सेक्सी कहानी… अपने विचार कहानी से सम्बंधित, अपने अनुभव से सम्बंधित, मेरे ईमेल पर जरूर भेजना.
मैं एक अच्छा सलाहकार भी हूँ, आप मेरे से सेक्स सम्बन्धी, जीवन सम्बन्धी परेशानियों का हल पा सकते हैं… आपकी हर बात मेरे तक ही सीमित रहेगी.
rahulsrivas75@gmail.com
हम दोनों वैसे ही निर्वस्त्र बेड पर लेटे थे… एक दूसरे से बाते कर रहे थे, एक दूसरे को सहला रहे थे …ओर ..एक दूसरे होंठों को चूम रहे थे. पहले दौर को लगभग 45 मिनट हो चुके होंगे, हम दोनों ही फ्रेश थे और अपनी काम इच्छा को भड़का रहे थे क्योंकि हम दोनों का दिल अभी भरा नहीं था.
कोमल मुझे रह रह कर चूम लेती, मेरे होंठों को चूसने लगती तो कभी मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगती. मैं समझ रहा था कि कोमल एक दौर और चाहती है.
इस बार कोमल ने पहल कर ही दी.. क्योंकि वो झिझक अब खत्म हो चुकी थी, कोमल मेरे ऊपर आकर मेरे होंठों को चूसने लगी… मैंने भी पूरा साथ दिया, उसे बाँहों में लेकर उसके निचले होंठ को चूसने लगा. उसकी जीभ ने मेरे मुख में दस्तक दी, मैंने स्वागत किया और उसकी जीभ को होंठों में दबा कर चूसने लगा… अपनी जीभ उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और कोमल उसको दबा दबा के चूसने लगी.
हम दोनों एक दूसरे की लार पी रहे थे, मेरे हाथ उसकी चूत को सहला रहे थे और कोमल तो लंड को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी, कभी सहलाती तो कभी मसलती तो कभी आगे पीछे करती.
उतेज़ना का दौर बढ़ रहा था मेरी उंगली चूत के अंदर थी मैंने उसको फिंगर फ़क करना शुरू कर दिया.
कोमल भी बेचैनी में मेरे होंटो को कस के चूसने लगी.. कभी बीच में रुक कर…‘आआह्ह्ह्ह… स्स्स्स्स स्साआ अह्ह्ह्ह… म्म्म म्म्माआआह्ह… ओह येस… उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह येस… ओह येस… ओह येस आशीष..आआह.. आह.. म्म्म्म्म्म और तेज.. हाँ हाँ.. आशीष अअह.. अअअर..र और तेज.’ कहने लगी।
उसकी चूत से अमृत बरस रहा था… और मेरा लंड अकड़ रहा था.
अब मेरी बारी थी… मैंने कोमल को उल्टा लेटा कर उसकी गांड को उठा दिया… अब उसकी चूत साफ दिख रही थी.. टांगों को हल्का सा चौड़ा किया और थोड़ा झुक कर उसकी चूत को चाटने लगा मुँह में लार भर के… चूत में ढेर सारा तरल अमृत था.
मैंने अपने आप को एडजेस्ट किया और लंड को चूत के मुहाने पर रख कर एक बेहराम शॉट लगाया…
कोमल… ओह्ह आई ई ई मर गई…असे दिसते आहे… थोडे मंद घालावे. आम्ही वेदना आहेत!
मैंने मराठी लिखी है पर यदि कोई त्रुटि हो तो माफ़ कीजियेगा. कोमल मराठी मुलगी थी तो वो मराठी में बहुत कुछ कह रही थी जिसको मैंने यहाँ नहीं लिखा…
बेहरमी पता नहीं क्यों मेरे अंदर आ गई. मैं जोर जोर से चूत में लंड को अंदर बाहर कर रहा था, एक हाथ से कमर को पकड़े था तो दूसरे से उसके लम्बे बाल… बस चोदे जा रहा था ‘आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह… अअह.. अअअर..र’
और फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च की आवाजें!
जब मेरा लंड चूत की जड़ तक जाता तो उसके चूतड़ से टकराकर आवाज़ आती पट पट… पट पट… पट पट… तो कभी फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह हहा हहह!
अय्य… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आईईईई ईईईई, ऊऊऊ युयुयु ऊऊऊयू हाआआ अहा हह औय्या शहस हेहः ओह आह आहः
वो उम्म्ह… अहह… हय… याह…
ये दौर लम्बा चलना था… कोमल झड़ चुकी थी उसको अब उस अवस्था में खड़े रहना मुश्किल था.. तो वो लेट सी गई थी… मैंने एक तकिया उसके नीचे लगा दिया और शुरू थी मेरी चुदाई.. न रुकने वाली… बस कमर उठा उठा कर मेरे से ताल से ताल मिला कर चूत में लंड ले रही थी ‘आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह… म्म म्म्माआह्ह… ओह येस आशीष … ओह येस् आशीष…’
आ… हआआ… हुम्म हुम्म्म्म… फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च…
स्स्स्स्स स्साआ अह्ह्ह्ह… म्म्म म्म्माआआह्ह… ओह येस… ओह येस… ओह येस… ओह येस … ओह येस
आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह… अअह.. अअअर..रै और तेज
उम्म्ह… अहह… हय… याह…
काफी देर बाद मुझे लगने लगा की मैं भी कभी भी ब्लास्ट कर सकता हूँ- कोमल, मेरा होने वाला है थोड़ा और साथ दो…
सुनते ही कोमल एकदम से उछल कर पलट गई… अब चूत सामने थी… चूत से सफ़ेद सफ़ेद रस बह रहा था, मैंने देर न की और फिर से लंड उसकी टांगों को कंधों पर रख कर चूत में डाल दिया ‘आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह…’
उसके मुँह से ‘आआह्ह्ह्ह… स्स्स्स्स स्साआ अह्ह्ह्ह… म्म्म म्म्माआआह्ह… ओह येस…
मेरा रक्त संचार बढ़ चुका था, सारा खून एक जगह इकट्ठा होने को था, मेरे शॉट में भी तेज़ी आ गई थी.
उतनी ही तेज़ी से कोमल अपनी गांड उछल रही थी और मैं जोर से चीखते हुए.. उस पर ढेर हो गया.
फिर वही अहसास, चूत का खुलना बंद होना… मेरे लंड का फूलना अमृत बरसाना…
कोमल भी मुझको बाँहों में भर के मेरे मुँह को चूम रही थी.
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मैं उसके ऊपर लेटे लेटे ही नींद की आगोश में कब चला गया, पता ही नहीं चला.
वो भी कुछ मेरे जैसी हालत में थी..
जब आँख खुली तो कोमल नंगी मेरे से चिपट कर लेटी थी और उसकी जाँघें मेरे पैरों के ऊपर थी और उसकी जांघ के नीचे मेरा लंड दबा था.. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि एक कमसिन कन्या को दो बार चोद चुका हूँ… वाइल्ड सेक्स हो चूका था… और ये चुदाई अब रुकने वाली नहीं थी… दो दिन थे हमारे पास…
उसका तराशा सा बदन .. निर्वस्त्र शरीर मेरी आगोश में था और मैं निर्वस्त्र उसके आगोश में.. बस लग रहा था कि ये पल यहीं रुक जायें!
और दो दिनों में कई दौर चुदाई के चले… बाथरूम, टेबल, बालकनी रूम के हर हिस्से में चुदाई हुई… वो शादी के बाद जितना 15 दिन में न चुदी थी, उससे कहीं ज्यादा इन दो दिन में चुद चुकी थी और हम दोनों का दिल नहीं भर रहा था.
जब जाने का वक़्त आया तो हम दोनों ही बेचैन हो गए…
कोमल ने अपने पापा को बताया कि देर होने के कारण बस छूट गई है तो आशीष सर अपनी कार से छोड़ने आ रहे है… और फिर रात के अँधेरे में हम दोनों ने कार में भी दो बार सेक्स किया. सुबह उसको घर छोड़ कर मैं होटल चला गया.
कोमल भी जॉब के बहाने थोड़ी देर जॉब करके मेरे होटल आ गई, जहाँ फिर चुदाई का दौर चला पर इस बार सिर्फ एक ही बार चुदाई हुई. हम दोनों बात करते रहे, शाम को कोमल घर चली गई और मैं वापस मुंबई आ गया और इस धुआँधार ट्रिप के बाद तो मुझे और कोमल को चुदाई का चस्का लग गया, जब मेरा या उसका मन करता, मैं औरंगाबाद चला जाता दिनभर चुदाई के कई दौर चलते.. उसको सेल्स ट्रेनिंग, सेल्स मीटिंग के बहाने पुणे या मुंबई बुला लेता और हम एक दूसरे के निर्वस्त्र जिस्म में खोकर प्यास बुझाते!
दोस्तो, यह रिश्ता बहुत दिन तक चला… तकरीबन तीन साल… फिर उसका हस्बैंड लौट आया, हमारा मिलना कम हो गया पर मैं उसे भूल नहीं पाया, आज भी उसके साथ बिताये पल भूलते नहीं हैं, आज उसकी एक बेटी भी है और वो अपने पति के साथ खुश है, कभी कभार बात हो जाती है.. पर मैं उसकी जिंदगी को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता! और यही मेरा उससे पहले मुंबई ट्रिप में किया गया वादा था कि उसकी लाइफ में मेरी वजह से कोई टेंशन नहीं आएगी.
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको यह चूत में लंड की सेक्सी कहानी… अपने विचार कहानी से सम्बंधित, अपने अनुभव से सम्बंधित, मेरे ईमेल पर जरूर भेजना.
मैं एक अच्छा सलाहकार भी हूँ, आप मेरे से सेक्स सम्बन्धी, जीवन सम्बन्धी परेशानियों का हल पा सकते हैं… आपकी हर बात मेरे तक ही सीमित रहेगी.
rahulsrivas75@gmail.com
CHODU BNANE KI. CHO:
ReplyDeletethanks
DeleteRahul ji aap meri story likhoge
ReplyDeleteBhejo
DeleteAap telegram pe bhejo @pops410210
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