Saturday 15 January 2022

मेरी यौन अनुभूति की दास्ताँ -- यौन ज्ञान का आरम्भ Part 2

 

 मेरी आप बीती........ मीना के संग सम्भोग का दूसरा अनुभव

जैसे जैसे मैं चुदाई करता रहा था वैसे वैसे मैं निरंकुश भी होता जा रहा था मस्तराम की किताबों से और नग्न फोटो वाली किताब को देख देख कर मैं उन सब को मीना मंजू और अंजू पे आजमा रहा था ये सब सिलसिलेवार मैं आपको बताऊंगा आप धैर्य रखो बस अपना लन्ड सहलाते रहो और अपनी चूत में ऊँगली करते रहो 

पर इन सब से पहले मैंने मीना को उसकी के घर पे चोदा जो अप्रत्याशित था दोनों के लिए

चुदाई मेरे पे हावी थी की मैं पढाई करना ही भूल गया और 12वी क्लास में फेल हो गया

शायद अगर मै उस रास्ते पर नहीं गया होता तो मैं कुछ और होता किसी तरह मैं 12वी पास करके इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री ले के में नौकरी पे आ गया पर जिंदगी में उतना सफल नहीं रहा जितना होना चाइये था, पर दिमाग था महत्वाकांछा थी चतुराई थी बस पढाई ठीक से नहीं की थी इस बात का मैं आज अफ़सोस करता हूँ पर आज भी 50 साल की उम्र में भी लड़कियों का आना बंद नहीं हुआ है आज भी मैं काफी महिलाओ, लड़कियां और भाभी के साथ सम्भोग में लिप्त हूँ

मेरी जीवन शैली की आपबीती काफी लम्बी है कोशिश करूँगा की आप बोर न हो

आज जब ये सब लिख रहा हूँ तो मीना और मंजू इस दुनिया में नहीं है मेरे मुंबई आने के बाद से मैं प्रयागराज से कट सा गया तो उन सब की शादी के बाद मेरा कोई संपर्क भी नहीं रहा पर उन तीनो की खबर भी मिलती रही

मैंने हर प्रदेश की लड़की चोदी वियतनाम की, फिलीपीन्स की, नेपाली, वाइट गर्ल हर तरह की लड़की को मैंने चोदा पर मीना अंजू और मंजू जैसी कोई नहीं मिली वैसे बात करे तो बंगाली लड़की सब से अच्छी लगी क्युकी उनकी स्किन में एक अलग नशा होता है उसके बाद पंजाबी लड़की और फिर गुजराती

इस बीच मुझे मीता से प्यार हो गया उस समय एक इण्टर कॉलेज कॉम्पिटीशन में मेरा गवर्नमेंट इण्टर कॉलेज और मीता का स्कूल क्रॉसवेथ को झाँसी में जाना था मैं और मीता दोनों ही उसमे जा रहे थे साथ में वीनम थी  दोनों ही पढ़कू किस्म की लड़की थी पर मेरी आंख मीता पर थी मुझे हर हाल में उसको अपने प्यार के बारे में बताना था पर वो जब सामने होती तो मेरी बोलती बंद हो जाती गांड फट जाती मैं कुछ बोल नहीं पता तब मीता मेरी हालत पे मुस्कुरा देती वीनम मुझे हौसला देती पर मैं कभी कह नहीं पाया उस ट्रिप पे भी मौका था समय था एकांत भी था पर कह नहीं पाया मेरे दिल में उससे शादी की खवाइश थी जो पूरी नहीं हुई आज भी मैं उसको ढूंढता हूँ फेस बुक पे पर वो कही नहीं मिली वीनम से भी उसका कोई संपर्क नहीं था ये मेरा पहला और आखरी असफल प्रेम था उस उम्र में हर नौजवान और नवयुवती को विपरीत लीग के प्रति आकर्षण जरूर होता है और 80 के दशक में तो प्यार इज़हार करने का एक ही तरीका था वो है लव लेटर या फिर उसकी सहेली के माध्यम से अपनी बात कहना, घूमना फिरना किसी रेस्त्रां में जाना मूवीज वो भी एक साथ तो एक सपने जैसा होता था हाँ ग्रुप में हो तो शायद हो सकता था ज्यादातर स्कूल को-एजुकेशन के नहीं थे कोचिंग क्लास एक माध्यम था या फिर स्कूल की छुट्टी में कभी बात बन सकती थी

एक शाम मीना ने बताया की कल उसकी मम्मी एक दिन के लिए दो बहिनो के साथ अपने घर मिर्ज़ापुर जा रही है कुछ काम से मीना इसलिए नहीं जा सकती थी क्युकी उसे घर, पापा और प्रिंटिंग प्रेस की देखभाल करनी थी मुझे समझ में ही नहीं आया की ये चुदाई का मौका है जबकि मीना समझ गई थी शायद इसे आप मेरी मासूमियत या बेवकूफी कह सकते है

खैर, अगले दिन जब मैं मीना के घर गया तो वो नीचे प्रेस में थी पापा किसी काम से बाहर गए थे सो मीना बोली की तुम ऊपर चलो मैं आती हूँ थोड़ी देर में मीना आई और मुझे बाँहों में भर लिया और मेरे होंठ को चूसने लगी मैंने भी उसका साथ दिया मेरे हाथ खुद बखुद उसकी चूची पर चले गए मीना मेरा हाथ पकड़ अपने कमरे में ले गई और खुद बाहर जा के दरवाज़ा बंद कर आई

आते ही वो मेरी शर्ट उतरने लगी और फिर मेरे निप्पल को चूसने लगी उफ्फ्फ्फ़ एक बारगी तो करेंट्स दौड़ गया मेरे जिस्म में, साला लन्ड तो उछल सा गया मैंने भी उसका सर अपने निप्पल पे दबा दिया साथ ही मेरे हाथ उसकी गांड को दबाने दबाने लगा

मीना को मेरे ज्यादा जल्दी थी उसने मेरे कपडे तेजी से उतारे  और मेरे लन्ड को पकड़ कर सहलाने लगी मैंने भी उसके कपडे उतारे एक बात जो मैंने तुरंत समझी वो ये थी मीना की चूत पे आज एक भी बाल नहीं था बिलकुल सफ़ेद, चूत लिप्स थोड़े से बाहर दिन का हल्का उजाला था कमरे में पर्याप्त रौशनी थी सो मैं उसके जिस्म को अच्छे से देख प् रहा था जहाँ मेरे जिस्म  बाल थे वही मीना का बदन चिकना था  उन्नत चूची चूची के बीचों बीच एक कथई रंग का बड़ा सा गोल सर्किल और उसके बीच तने हुए निप्पल, पतली कमर, चूतड़ में भरपूर मांस, कजरारी आंखे और लाल सुर्ख होंठ  मंजू के मुकाबले मीना ज्यादा जवान थी उसका बदन भरा हुआ था  मैंने भी उसको पकड़ के उसकी चूची में मुँह दे दिया गर्म तो मैं था ही वैसे भी चिकनी चूत देख कर लन्ड भी कुलांचे मर रहा था मीना को गोद में उठा कर बिस्तर पे लिटा दिया और खुद उसके ऊपर आ के उसकी चूची में मुँह लगा कर उसे चूसने लगा

आह्हः आशु अह्ह्ह्हह उफ्फफ्फ्फ़ धीरे रे रे रे रे रे

मेरा दूसरा हाथ उसकी चूत को सहलाने लगा मीना भी दोतरफा वॉर नहीं झेल पा रही थी चूत बिलकुल गीली थी उसे मैंने चूची चूसने के साथ फिंगर फ़क करना शुरू कर दिया

आह्हह्ह ओह्ह्ह आऊचच्च्च खा जा आह्ह्ह मैं मर गयी ईईईइ आःह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ़ तू तो बहुत मस्त है रे

आआ आआअहहह एम्म्मएम्म्म और जोर से चूसो याआआआ मैं भूखे बच्चे की तरह उसके चूचियाँ चूसने लगा।

आशु, बड़ा अच्छा  आआअहहह लग रहा है आआहईईईई

हाययय आऊऊच्…… उइ मां आहाह्ह। श्श्श्ष्ह्ह्ह्वाऊउ हाय्य्य्यश्श्श्श्शह्ह्ह्ह्ह्

एक ऊँगली जो चूत के रस में डूबी थी मेरी सटासट अंदर बाहर हो रही थी तभी मैं उसकी चूत में अपनी दो ऊँगली डाल दी

मीना चीख सी पड़ी

उइ मां मर गयी ईईईइ पर कुछ ही पल में उसकी चीख सिसकारी में बदल गई

आआईई म्म्माआआआआअ मरर गैईईईईईईईई…’आशु, धीरे से करो आआआऐईईईईईइ न बहुत दर्द होता है पर अच्छा लग रहा है चूची चुसवाने के साथ चूत में ऊँगली मीना ज्यादा नहीं झेल पाई और उसके चूतड़ उछली पीठ हवा में थे और आआआआअ गैईईईईईईईई आआआआअ कहते हुए वो एकदम से शांत पड गई  हर बार की तरह मेरा पूरा हाथ हथेली सब चूत के रस से भीग गई  मीना ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होठ चूसने लगी मेरा लन्ड उसकी चूत पे रगड़ खा रहा था मीना ने आंख खोली और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई 

और फिर मेरे ऊपर आ कर अपनी भरी भरी चूचिया मेरे सीने से रगड़ने लगी

दूसरे लण्ड को चूत के दरार में सेट कर लिया मुझे मज़ा आ रहा था ।

मीना चूत को लण्ड से रगड़ रही थी मैं भी अपनी गांड उचका रहा था इन्ही सब में मेरा लण्ड अचानक उसकी चूत में चला गया मीना तो चिहुंक सी गई उसी समय मेरी गांड भी उछल गई तो आधा लण्ड चूत में चला गया मीना एक बरगी उछल सी गई और मुँह से चीख सी निकल गई आआआऐईईईईईइ न बहुत दर्द होता है और फिर एकबारगी सीधी हो के बैठ गई अब मेरा लण्ड उसकी कसी चूत में फसा था और मीना लम्बी लम्बी सांसे ले रही थी मुझै याद है मैंने नीचे से अपनी गांड उछालने लगा ऐसे करने से लण्ड चूत से भर आता फिर तेज़ी से अंदर चला जाता मेरे पैर, जांघ  और लण्ड के आसपास काफी लिसलिसा सा गीला गीला सा हो गया

हम दोनों अब तक इतना तो समझ ही गए थे की ऐसे भी लण्ड चूत में डाल कर भी चुदाई कर सकते है ये एक नया अनुभव था थोड़ी देर तक वैसे ही लण्ड और चूत का मिलन होता रहा

अब मीना भी अपने चूतड़ उछाल कर उछलने लगे और नीचे से मैं भी अपनी गांड उछाल रहा था मीना के चूतड़ जब मेरी जांघ से टकराते तो फट फ़ट फट पट पट पट पट के आवाज़ आने लगी मीना की चूचिया उछल रही थी बाल बिखरे थे उफ्फ्फ आप इमैजिन करो लन्ड के ऊपर उछलती कमसिन काया की और भरपूर चूची वाली लड़की कैसी लग रही होगी

आआआऐईईईईइ म्मम्मा गईईईईईईईस्सस्सस…’आऐईईईइ आआऐईईईईईइ आह्हः अहह उफ्फ्फफ्फ्फ़ उफ्फ्फ्फ़

 मेरा लन्ड चूत के भीतर अंदर तक जा के उसकी बच्चेदानी तक जा रहा था " उस समय तो पता नहीं था कालांतर बाद में पता चला" चुदाई के बाद मीना ने भी बताया की लन्ड अंदर जा के ऐसा लग रहा था की मुँह से निकल आयेगा

मीना थोड़ी देर में में ही हाफने लगी तो मैंने उसको नीचे ले लिया और एक झटके में लन्ड उसकी चूत में उतार दिया मीना तो आनंद के साथ चीख पड़ी

आऐईईईइ आआऐ ईईईईईइ माआआअ मार्रर्र्र ग आआआईईईईईई उफ्फ्फ्फ़ ईइआआईईईईईईईईइ ऊऊऊऊईईईम्म्म्माआआअ माआआआअ

अह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह उई उई उई आह जोर से से से से आ आ आ शु शु शु

उफ्फ्फ्फ़ अच्छा छा  छा छा छा लग रहा है  तेज़ करो ना हाँ हाँ हाँ हाँ

ईईईईईइ उफ्फ्फ्फ़   … आआह आआ आआऐईईईइ आआअह्ह ह्हहऊऊह्ह्ह्हूऊऊऊऊ

मीना की चीख तेज होती गई वो- ओह हाँ और तेज़  मुझे और तेज़ और तेज़ करो ना …  पर मा आ....म...मैं.....हा हाँ अ आ करो हाँ और करो आह....आ …जल्दी जल्दी अहहह उफ्फ़ आह आह आह

फचा...फच फच फचा फच फचा फच फचा फच फचा फच पूरा लन्ड सटासट चूत के अंदर बाहर  हो रहा था

फचा फच फच फचा फच पट पट पट पट की आवाज़ मेरे अंदर ऊर्जा भर देती

मेरा लहू भी एक जगह एकत्र होने लगा मुझे भी समझ में आ गया की मेरा रस निकलने वाला था मैंने लन्ड चूत से निकल कर लन्ड हिलाने लगा और सारा सफ़ेद सफ़ेद गाढ़ा रस मीना के पेट पे गिरा दिया कुछ रस उछल के मीना के होंठ और और चेहरे पे भी जा गिरा

जैसा की हर बार होता था की मेरे जिस्म में जान ही नहीं बची थी मैं वैसे ही मीना के ऊपर गिर गया मीना भी बाँहों में भर कर मेरे बाल को सहलाती रही थोड़ी देर मैं जब मीना के जिस्म से उठा तो देखा की चादर पे ढेर सारा गीला गीला धब्बा था मीना की चूत पे भी सफ़ेद सा लिसलिसा सा लगा था  

चूचियों पे ढेर सारे लाल लाल स्पॉट थे मतलब लव बाईट थे

मीना ने उठ के टॉवल से अपना जिस्म साफ़ किया साथ ही साथ मेरी लन्ड भी पोछ दिया

फिर हम दोनों कपड़ा पहन के बैठ गए मीना दूध ले के आ गई और बोली तुम रुको मैं नीचे से आती हूँ

करीब 15 मिनट के बाद वो ऊपर आई बोली पापा लेबर के साथ डिलीवरी देने गए है करीब एक घंटे में आएंगे

और इस एक घंटे में हम दोनों ने एक बार और धुआंधार चुदाई की फिर मैं घर आ गया

मेरे और मीना के बीच अब एक अलग सा रिश्ता हो गया था जब मौका मिलता हम चूमा चाटी, चूची दबाना, लन्ड सहलवाना या चुदाई कर लेते 

इन सब के बीच मंजू और अंजू के साथ भी मेरा कुछ ऐसा ही चल रहा था फिर एक दिन मैंने बोला मंजू को की मुझे अपना लन्ड तुम्हारी चूत में डालना है

एक बात और मंजू में एक और खासियत थी की वो लन्ड चूत चुदाई जैसे शब्दों का प्रयोग खुल के कर लेती है वो मेरे साथ बातों में इस तरह के शब्दों को बोला करती थी जबकि मीना काफी सोफेस्टिकेटेड लड़की थी उसको ये सारे शब्द पता था पर वो नाम नहीं लेती थी वो सांकेतिक भाषा में या अंग्रेजी में नाम लेती थी मीना वैसे भी कान्वेंट से पढाई की थी उसकी इंग्लिश काफी अच्छी थी जबकि मंजू और उसकी बहन सरकारी स्कूल में पढ़ते थे

इसी बीच मुझे एक ऐसी चित्र वाली किताब हाथ लगी जिसमे एक अँगरेज़ लड़की चूचिओं के बीच लन्ड को फॅसा के रखी थी ऐसे ही फोटो में लन्ड को चुम रही थी वही लड़की फिर बाद में लन्ड पूरा उसके मुँह के अंदर था

ये सारी फोटो मैंने मीना और मंजू को भी दिखाई जहाँ मीना ने इसे गन्दा बताया वही मंजू ने बहुत उत्साह के साथ मज़े ले के देखा

आशु -- मंजू हम लोग भी ऐसा करे

मंजू -- हाँ एक बार करके देखेंगे

मंजू के साथ चुदाई का मौका नहीं लग रहा था बस ऊपर ऊपर से मज़ा ले रहे थे और रात को लन्ड हिलाता रस निकल देता

आईने एक बार मीना को बोला की ''मुझे मंजू के साथ चुदाई करनी है कुछ मदद करो ना''

मीना -- अच्छा बता क्या करू मैं तेरे लिए

आशु -- कुछ एकांत दिलवाओ ना

मीना -- अच्छा देखती हूँ

मंजू को भी मेरे साथ मस्तराम की कहानी पढ़ने और सम्भोग की पिक्स देखने का शौक लग चूका था  मीना को इन सब में मज़ा नहीं आता था फिर एक दिन मेरे को इंग्लिश की मस्तराम मिली जिसको मैंने मीना को दिया इसमें मीना को मज़ा आया किताब में चूत चुदाई, गांड मारना, लन्ड चूसना  चूत चूसना भी था जो हम दोनों के लिए नया था

दिन ऐसे ही निकल रहे थे इस बीच मीना की शादी की भी बात चीत चल रही थी मंजू और अंजू एक साथ चूमा चाटी भी चल रही थी जहाँ मंजू चुदने के लिए बेक़रार थी वही अंजू को इन सब का शायद पता नहीं था नाहीं ही मैं उसके साथ ज्यादा कुछ करता मेरा मन तो मंजू को चोदने का था

मेरी मदद के लिए मीना ने मंजू को अपने साथ रखना शुरू कर दिया जिससे मुझे और मंजू को ज्यादा मौके मिलने लगे मीना के साथ चुदाई ने मुझे काफी परिपक्व बना दिया था मेरी मासूमियत थोड़ी ख़तम सी हो गई थी

मेरे को इस बात का डर रहता था की ये सब किसी को पता न चल जाए मीना के घर वो मंजू के साथ हमको छोड़ कर बाहर चली जाती थी शुरू शुरू में में मंजू डरती थी फिर जब  मैंने उसे समझाया की मैंने ही मीना से याचना की है की मुझे तुमसे मिलाने में मदद करे तो उसका भी डर कुछ काम हुआ पर ऊपर ऊपर से हम दोनों की मज़ा नहीं आ रहा था

हम दोनों ही चुदाई के लिए तड़प रहे थे ऐसे में मीना का घर फिर काम आया मीना की मौसी की शादी थी सो मीना को और उसके पापा छोड़ कर

 पूरा परिवार शादी से करीब ३ दिन पहले चले गए प्रेस और पापा के खाने की वजह से मीना रुक गई ये सब बात मुझे पता थी क्युकी हमारी भी उसके परिवार से रिश्तेदारी थी इस बार मैं जनता था की ये मौका है मीना और मंजू को चोदने का, मेरा मन मंजू जो चोदने का ज्यादा था

खैर उस दिन कॉलेज न जा के मैं घर पे ही रुक गया करीब ११ बजे मीना के प्रेस में काम करने वाला आया और बोला की मुझे बुला रही है कुछ सामान मांगना है, मैं भी इंतेज़ार में बैठा था सीधा मैं चला गया फिर हम दोनों ने करीब एक घंटे तक धुआंदार चुदाई की मीना भी मेरी चुदाई से खुश थी सो मैंने मंजू के साथ के लिए बोल दिया

मीना -- आशु वो अभी तेरा सह नहीं पायेगी वो छोटी है और तेरा काफी बड़ा है

आशु -- अपने भी तो सह लिया था ना आपको तो कुछ नहीं हुआ

मीना -- अरे मैं उससे बड़ी हु काफी तेरा लेने के लिए मेरी जान निकल गई थी, उस दिन कितना दर्द हुआ था तेरे को पता है ना चीख निकलवा दी थी तूने मेरी, उसकी तो बहुत छोटी सी होगी ऊपर ऊपर से मजा ले कहीं लेने के देने ना पड़ जाये

आशु -- प्लीज मदद करो ना अगर वो नहीं ले पायेगी तो मैं नहीं करूँगा कोशिश तो करने दो ना एक बार, वादा मैं जबरदस्ती नहीं करूँगा

मीना मेरे बार बार कहने पे मान गई

मीना -- अच्छा ठीक है कह कर

मीना के पापा लंच के बाद कई सरकारी ऑफिस में जाते थे काम के सिलसिले में और करीब देर शाम लौटते थे सो करीब 2 से 7 का टाइम हम दोनों के लिए बहुत अच्छा था

मीना की चुदाई करके मैं घर पंहुचा तो थोड़ा सो गया फिर उठा तो देखा मीना माँ के साथ बैठी है तो माँ बोली मीना के घर चला जा वो अकेली है और प्रेस में काम बहुत है उसकी मदद कर दे

यहाँ फिर याद दिला दूँ की यदि लड़की, स्त्री यदि चाहे तो आपको हज़ार मौके देगी की आओ मुझे चोद दो वरना आप लाख कोशिश कर लो आप उसको उसकी सहमति के बिना उसे चोद नहीं पाओगे जब तक वो न चाहे

हम मर्दों की भगवान ने भी एक खूबी दे रखी है और वो है उसके इशारो को समझना ही  लड़कियों को समझने की उनके इशारों को समझने कीहर लड़की आपको इशारे देगी की वो आपको पसंद करती है

कभी आपको पॉजिटिव इशारा देगी साथ ही साथ आपको निगेटिव इशारा भी देगी क्युकी वो कभी नहीं चाहती की आप उसको पहल करता हुआ देखे कोई भी लड़की के लिए वो सबसे ख़राब स्थिति होती है की आप उसको चरित्रहीन समझे या उसके पहल पे आप उसको बारे कुछ गलत अनुमान लगाए  

आपको करना यही की पॉजिटिव इशारों के बारे में सोचे और निगेटिव इशारो को इग्नोर करे वो आपको बार बार कुछ ऐसा करके मौका देगी की आप पहल करे और यदि आप पहल कर गए तो आप उसका प्यार उसका जिस्म सब कुछ पा सकते है वरना आप हाथ मलते रह जाओगे इसमें कोई शक नहीं की लड़की हम लड़को से ज्यादा सयम और तेज़ दिमाग रखती है वो आपको कुछ ऐसे मौके उपलब्ध करा देगी की आप उसको चुम सके उसके बदन को सहला सके उसको प्यार से बाँहों में भर कर उसको मैं तुमसे प्यार करता हूँ कह सके ये एक ऐसा विषय है की पूरी एक किताब लिखी जा सकती है

1.   आप में धैर्य होना चाहिए उतावलापन लड़की को अच्छा नहीं लगता पर दूसरी मुलाकात में आपको ये अवश्य दर्शा देना चाहिए की आप उसकी कदर करते है 

2.   आपको उसके साथ बात करते समय लड़की को बोलने का ज्यादा मौका देना चाहिए और ऐसा दर्शाना चाहिए की आप उसकी बात को ध्यान से सुन रहे है और उसमे आप को बहुत आनंद आ रहा है उसको कभी ये नहीं लगना चाहिए की आप  उसकी बातों पे ध्यान नहीं दे रहे है या उसकी बातों को काट कर अपनी बात कह रहे है

3.   आप कभी भी उसके भविष्य का प्लान इत्यादि ऐसी बाते ना करे नहीं अपनी राम कहानी सुनाने बैठ जाए  क्युकी लड़की को आप में उत्सुकता है आप कैसे दिखते है कितना पैसे वाले है या भविष्य में क्या करेंगे उन सब में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं होती  अपने कई बार देखा होगा किसी खूबसूरत लड़की का बॉयफ्रेंड उसके मुकाबले बिलकुल सी खूबसूरत नहीं होता मतलब की हुर के गले में लंगूर वाली कहावत से समझ ले

ऐसे कई पॉइंट है की आपको महसूस होगा की लड़की आप को मौके दे रही है की आप पहल करो आओ मुझे बाँहों में भर के जी भर के प्यार करो मेरे जिस्म से खेलो मेरे तन को रगड़ रगड़ के चोदो पर हम लड़के इस में ही खुश होते है शेखी बघारते है की फलां लड़की को मैंने पटा लिया पर इन सब में हम लड़के भूल जाते है की उस लड़की ने आपको कितने मौके दिए की आप उसको पटा सको

तो दोस्तों अगर आप के मन भी कोई शंका है तो आप हमको ईमेल से पूछ सकते है या बात कर सकते है   

मेरी आप बीती -- मंजू की पहली चुदाई

जब मैं मीना के घर पंहुचा तो मीना अपने कमरे में थी और वो सलवार सूट में थी वो भी उसके जिस्म में बिलकुल फिट उसकी चूचिया उभर के दिख रही थी मस्त जाँघे सलवार में चमक रही थी मैंने मीना को बाँहों में भर लियाऔर उसके रसीले होंठ को चूमने लगा मीना भी साथ देने लगी पर मीना ने बीच में ही रोक दिया और बोला मंजू आती होगी

मैं नीचे जा रही हूँ काफी काम है तुम यही बैठो और हाँ जो भी करना आराम से करना अगर वो तुम्हारा अंदर न ले पाए तो बरदस्ती मत डालना और उस अलमीरा में निरोध रखा है लगा लेना बगैर उसके मत करना ऐसा समझा के वो नीचे जाने लगी तो

मैंने उसको बाँहों में भर के फिर से चूमने लगा मीना का मन भी चुदने का था फिर भी वो बोली मुझे जाने दो

पर मैं नहीं माना उसकी सलवार का नारा खोला और उसको वही बिस्तर में लिटा के उसकी पैंटी भी उतार दी और उसकी चूत में दो ऊँगली घुसा दी मीना चिहुंक सी गई आह्हह्ह ओह्ह्ह आऊचच्च्च मीना की चूत भी लगातार रस छोड़ रही थी और मेरा लन्ड भी पूरा सॉलिड तना हुआ था मैंने उसकी अलमारी से निरोध निकला और लन्ड पे चढ़ा के उसकी चूत में एक बार में ही उतार दिया

मीना -- आआअहहह रहा है आआहईईई ओह्ह्ह आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह  कह कर

उसने अपने पैरों को फैला दिया और मैं दनादन धक्के लगाने लगा ओए अह्ह्ह आह्ह्ह्हआह्ह

मैंने भी ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी मीना भी मेरा साथ चूतड़ उछाल कर देने लगी

चूत का पानी से लन्ड सटासट अंदर बाहर होने लगा फचा फच  फचा फच फचा फच फचा फच फचा फच फचा फच की आवाज़ गूंजने लगी

मेरी जांघ जब मीना की गांड से टकराती तो पट पट पट पट पट पट पट पट पट की जोर से आवाज़ आती

आह्हह्ह ओह्ह्ह आऊचच्च्चआशु तू बहुत अच्छा है … आह्ह्ह मैं मर गयी ईईईइ आःह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ़ तू तो बहुत मस्त है रेओह्ह्ह आह्हह्ह

दोनों ही कुछ ज्यादा ही उत्तेजित थे कोई दस मिनट्स की ताबड़तोड़ चुदाई में दोनों का रस निकल गया जैसे ही मैं उठा मीना तेज़ी से उठ कर अपने कपडे के साथ बाथरूम में घुस गई कुछ मिनट् में बाहर आई तो उसने मुझे बोली मज़ा आ गया और फिर मेरे को चुम कर नीचे चली गई में वही बैठ कर टीवी देखने लगा

लड़कियां और सेक्स मेरी जिंदगी के हिस्सा बनते जा रहे थे और पढाई पीछे छूट रही थी इतने दिनों के सेक्स का खेल और किताबी ज्ञान एवं संजय के दिए ज्ञान से मैं काम कला में माहिर होता जा रहा था मीना और हम कई बार चुदाई का खेल खेल चुके थे और हर बार एक नया अनुभव हम दोनों को मिलता और आज मैं उन सारे ज्ञान का उपयोग मंजू पे करने वाला था

तभी मीना और मंजू दोनों ऊपर आ गई फिर मीना ने किचन से एक गिलास दूध ले के आई और बोली दोनों मिल के पी लेना कह कर मुस्कुराने लगी फिर वो बोली दोनों बहुत मेहनत करनी है दूध से ताकत आएगी

और हाँ मैं नीचे जा रही हूँ आशु मंजू को ज्यादा परेशान मत करना जो भी करना प्यार से करना आल दी बेस्ट कह कर मीना नीचे चलेगी जाते जाते अपना कमरे का दरवाज़ा भी उड़का गई

अब हम दोनों अकेले थे और मैंने देखा मंजू के गाल शर्म से लाल थे

मंजू -- मीना दी क्या कह रही थी आराम से करना

आशु -- अरे वो कह रही थी चुदाई प्यार से करना

मंजू -- धत

मीना को मैंने अपने ऊपर खीच कर उसके रस से भरे होंठ को चूसने लगा मंजू भी मेरे से लिपट गई और मेरे ऊपर के होंठ पे किस करने लगी, मेरे हाथ उसकी छोटी पर भरपूर चूची को दबाने लगे

आह्ह आआ ऊओऊऊच ऊउईइम्म्मां

मंजू धीरे धीरे गर्म होने लगी मंजू ने स्कर्ट और एक ब्लाउज सा पहना था मैंने ब्लाउज के बटन खोलने शुरू कर दिए

आह।। आह आह आआआऐईईईईइ म्मम्मा गईईईईईईईस्सस्सस

मीना का सफ़ेद ब्रा खोल के उतार दिया उफ़ उसकी छोटी सी चूची छोटे से निप्पल और सुर्ख गुलाबी ऐरोला  मैंने भी उसको मुँह में भर लिया

अह्ह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह्हह उफ्फफ्फ्फ़ अह्ह्ह

धीरे से मैंने दांतों से निप्पल को काट रहा था

ईईईईइ आऊच च ची आह्हः धी धी  रे रे रे  आ आ शु

मीना के साथ का अनुभव मेरे काम आ रहा था एक हाथ मैंने उसकी स्कर्ट में डाल दिया और उसकी चिकनी जांघो को सहलाने लगा

अह्ह्ह्ह आशु अच्छा लगा रहा है करते रहो इफ़फ़फ़फ़फ़ उफ्फ्फफ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह प्यार से चुसो ना ना ना

मेरे हाथ उसकी चूत तक पहुंच रहे थे पर मैं उसकी चूत को छू नहीं रहा था मंजू भी अपनी गांड उठा देती जब मेरे हाथ चूत के आस पास होते

ओह्ह्ह्ह आशु ये क्या हो रहा है चींटी से दौड़ रही है बदन में, मेरे कपडे उतार दो ना

सुन कर मैंने मंजू से कहा की तुम खुद उतरो और उसको बिस्तर से उठा के खड़ा कर दिया

मंजू पहली बार मेरे सामने नंगी नहीं हो रही थी पर आज उसके गाल में शर्म की लालिमा सी थी, शायद मैंने पहले नोटिस नहीं किया था

मंजू ने अपनी स्कर्ट उतार दी आप पैरों को क्रॉस कर के चूत को छुपाने लगी और अपनी बाहें से चूची छुपा ली मंजू पैंटी में मस्त लग रही थी उस समय शायद इतनी डिज़ाइनर ब्रा पैंटी नहीं आती थी या ये कहो जो माँ ने खरीद के दे दी वो पहन ली

मंजू जिसने अभी 18 बसंत पुरे किए थे बड़ी बड़ी आँखे खिलता हुआ बदन लम्बी गर्दन कंधे तक बाल, सीने पे दो गोल तनी हुई चूचियां उसपे उभरे हुए पिंक निप्पल और निप्पल के साथ छोटा सा गुलाबी ऐरोला सपाट पेट पतली और चिकनी तंग भरी हुई जाँघे और पैरो के बीच में त्रिभुज और अनछुआ बदन पैंटी में छिपी और उभरी हुई बुर उफ्फ्फ्फ़ क़यामत सा नज़ारा पैंटी पे गीलापन

मंजू का जिस्म मीणा से कुछ अलग नहीं था पर दोनों में एक अंतर था की मीणा का बदन परिपक्व था और और मंजू कोमल सी थी जिसके जिस्म को सिर्फ आशु ने छुआ था और आज कामदेव ने दोनों को मौका दिया था की दोनों एक हो जाये

मैंने मंजू को अपने पास बुलाया तो मंजू सर नीचे करके धीरे धीरे मेरे पास आई मैंने उसको बाँहों में भर लिया उसकी छोटी पर भरपूर उभरी हुई चूची मेरे सीने में दब गई उफ्फफ्फ्फ़ क्या अहसास था नरम रुई के सामान पर कड़क चूचियां मक्खन सा चिकना बदन चिकनी पतली टांगे अपने उसकी चिकनी जाँघे जो अभी पूरा आकर नहीं ले पाई थी पर भरी हुई थी

मैंने अपनी हाथो से उसकी जांघो को सहलाया

अह्ह्ह्हह ह ह ह ह

मेरे हाथ पीछे गए पेंटी में लिपटे चूतड़ को हथेली में भर कर भींच लिया

उफ्फ्फ्फ़ ये कामुक अहसास

इसमें कोई शक नहीं की मंजू को आज जो मिलने वाला था वो दर्द भरा अहसास होगा, पर उस दर्द के बाद उसको आनंद सम्पूर्णता परिपक्वता स्त्री होने का सुख भी मिलने वाला था सम्भोग से मिलने वाला आनंद किसी भी आनंद से कहीं ज्यादा होता है

मैंने उसके चूतड़ को सहलाते हुए उसकी गांड को कुरेदना शुरू कर दिया उफ्फ्फ्फ़ आह्हः आहआ  ह ह ह ह

चूत से पानी रिस कर गांड तक आ रहा था

जो मेरे हाथों को गिला कर रहा था मंजू की सिसकारियां थमने का नाम नहीं ले रही थी पैंटी कब उसके तन से अलग हो गई उसको खुद पता नहीं चला एक अक्षत यौवन मेरी आँखों के सामने नग्न था मेरा लन्ड पुरे शवाब था मैंने भी अपने कपडे उतार दिए और नग्न अवस्था में मंजू से लिपट गया मंजू के दोनों पैर मेरे कमर से लिपट गए उसकी बाहें मेरे बदन से लिपट गई लन्ड ने चूत पे दस्तक दी 

एक मादक सुर की आवाज़ आई आ आ शु शु शु कुछ हो रहा है

चूत चाटना लन्ड चुसवाना गांड मरना ग्रुप सेक्स स्वैपिंग, क्या होता है, इस सब का उस समय पता ही नहीं था

तभी मैंने देखा की मीना दरवाज़े के ओट से हम दोनों को देख रही है हम दोनों की नज़र मिली तो तो वो मुस्करा दी और थम्स अप कर के चली गई मैंने मंजू की चूचिओं को चूसना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची की मसलने लगा

मंजू -- आ आ आ ह ह ह ह ओ ओ ओ ओ उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ सी सी सी ओओओ ओ धीरे धीरे मत चुसो उह उह उह उह उह दर्द करता है धीरे

आह्ह आह्हः  आह्ह आह्हः आह्ह आह्हः

उफ्फफ्फ्फ़ उफ्फफ्फ्फ़ हाँ हाँ हआ ओफ ओफ ओफ आ आ आ आ हह हह ह ह ह ह ह ह

मेरे चूची को चूसना निरंतर चालू था कभी एक चूची तो कभी दूसरी चूची, गोरी गोरी चूची में मेरे लव बाईट से लाल हो चुकी थी

मेरे हाथ उसकी चूत जिस पे रेशम से बाल थे उससे खेल रहे थे क्लूटोरियस को सहलाना मसलना

आह उफ्फ्फफ्फ्फ्न उफ्फफ्फ्फ़ आह्ह आह्हः ओ ओ ओ ओ आई ई ई    ई आशु कुछ निकल रहा रहा है

चूत का पानी पूरी चादर को गिला कर दिया था

मेरी ऊँगली चूत के छेद को ढूंढ़ने लगी चूत का रस में भीगी ऊँगली को देर नहीं लगी चूत का द्वार ढूंढने में

स्टॉक से मेरी ऊँगली चूत के अंदर चली गई

आई ई ई    ई मारो गे क्या

पर वहशीपन चरम पे था

उसकी चीख ने मेरा उन्मांद और बढ़ा दिया

उन्मांद और वहशीपन ये सब मर्द में स्वाभाविक रूप से होता है और सम्भोग के समय सामने आता है, इसके लिए कहीं से ज्ञान लेने की जरूरत नहीं पड़ती यहाँ मैं ये कहूंगा की मर्द थोड़ा आक्रामक , डोमिनेटिंग सा हो जाता है वो अपनी पार्टनर को मसल देना चाहता है और स्त्री को भी उसके हाथों मसला जाना अच्छा लगता है

सटासट सटासट मेरी ऊँगली चूत के अंदर बाहर हो रही थी

आह आह आह आह की मादक शोर

फिर दूसरी ऊँगली भी चूत के अंदर

ममी ई ई ई मर गई ई ई  ई बचा लो मुझे  मीना मुझे बचा लो मुझे नहीं करना कुछ

मादक सिसकारियों का शोर तेज़ था सो उसके ऊपर लेट कर मैंने उसके होंठों को चूसने लगा

और गांड उठा कर लन्ड को चूत पे रगड़ने लगा

मंजू सिर्फ घुटी घुटी सी आवाज़ निकल पा रही थी गूँ गूँ गूँ गूँ उ उ उ उ उ उ उ

मीना भरे बदन की उम्र में भी मंजू से ज्यादा थी मेरा लम्बा लन्ड लेने में उसकी भी चीख निकल गई थी तो मुझे पता था की मंजू जरूर चीखेगी तो मैंने नारियल तेल अपने लन्ड में लगाया जिसको मीना वही रख कर गई थी

चूत तो गीली थी फिर भी तेल मैंने लगा दिया दूसरे हाथ को नीचे ले जा कर मैंने लन्ड पकड़ा और उसको चूत पे रगड़ने लगा चूत के द्वार पे लन्ड को टिकाया चूतड़ को पीछे किया मंजू के होंठों से अपने होंठ चिपकाए और एक तेज़ झटका आधा लन्ड चूत के अंदर समां गया

मंजू की एक तेज़ चीख उसके मुँह के अंदर ही घुट के रह गई

मंजू दर्द से बिलबिला गई आंखे सफ़ेद सी हो गई मैंने रुक कर उसके बदन को सहलाता रहा चूची चुसता रहा धीरे धीरे मंजू होश में आने लगी किला फतह हो चूका था पर मंजिल दूर थी

मैंने उसके होटों को आज़ाद कर दिया था

मंजू लगातार रो रही थी आँखों से पानी गिर रहा था

१८ साल का अधखिला यौवन और एक भरपूर लन्ड दर्द तो होना ही था

मंजू सुबकते हुए --- आशु निकाल लो बहुत दर्द कर रहा है

पर मैं बिना कुछ बोले उसकी चूची को चुसता रहा कुछ मिनट के बाद मंजू का रोना और बोलना बंद हो गया पर मैं बिना कुछ बोले उसकी चूची को चुसता रहा कुछ मिनट के बाद मंजू का रोना और बोलना बंद हो गया उम्म्ह अहह हय याह…’ सिसकारियाँ भरने लगी। उसने अपनी टांगों को मेरी कमर के इर्द-गिर्द लपेट लिया था।मेरा लन्ड उसकी छोटी सी चूतके अंदर फसा हुआ था ऐसा लग रहा था लण्ड मेरा किसी  के जबड़े में फसा हुआ है लण्ड पे चूत की पकड़ खुलते और बंद होते महसूस कर सकता था

माने आधे से ज्यादा लन्ड एक बार बाहर खींचा और एक झटके में पूरा अंदर कर दिया

अःह्हह अःह्ह अहह उईईई माँआअ आअ आअ आअ आअ अहह उफ्फ्फ आआ आआअहहह

ओओओओओ उफ्फ्फ आ आ ह ह ह ह

मैंने धीरे धीरे लन्ड को चूत के अंदर बाहर करना शुरू किया तो मंजू की चूत ने ढेर सारा रस छोड़ दिया

मेरा लन्ड आसानी से चूत में फिसलने लगा

मंजू की चीख अब सिसकारी और मादक आवाज़ में बदल गई

आ आ आ शु शु शु शु आ च च च च छा छा छा छा लग रहा है

अंदर गुदगुदी हो रही है

मेरा लन्ड पिस्टन की भांति चूत में अंदर बाहर हो रहा था

हा हाँ अफ आ आह्ह्ह ओह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ़उईई मम्म्म

मेरा लन्ड अंदर जाता तो मेरी जांघ उसके उठे हुए चूतड़ से टकरा के मस्त शोर करती

पट पट पट पट पट पट पट पट पट चट चट चट चट चट 

आह यह यह यह ये ये ये उफ्फ्फ उफ्फ्फ ओ ओ ओ ओ ओ ओ आह आह आह ये ये ओ ओ ओ उफ़ उफ़ उफ़ ओ ओ ओ ओ ओ

आह्ह्ह्हह्ह तेज करो आशु शु शु

आह आह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ ये ये ये ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओमेरी गांड पीछे जाती और फिर आगे जा कर चूत में घुसने की कोशिश करती

करीब दस मिनट्स तक वैसे ही चोदता रहा फिर मैं अलग हुआ

चारपाई के किनारे खींच कर खड़ा कर के और पीछे घुमा के उसका सर गद्दे पे दबा दिया

उसकी गांड उभर के बाहर आ गई और जब तक मंजू कुछ समझती तब तक मैंने एक निरोध निकाल के लन्ड पे चढ़ाया और चूत में लन्ड उतार दिया

उई ईई ई ई ई ई ई ई माँ  मर र र र र र र गई ई ई ई

मैंने एक हाथ से उसकी कमर और दूसरे हाथ से उसके बाल पकडे और फिर दनादन उसकी चूत पे लन्ड का प्रहार करना शुरू किया

अब आप सोच रहे होंगे ये सब मैंने कैसे किया तो मैं आपको बता दू की मस्तराम की किताब में ही पढ़ कर किया था

चारपाई भी हिलने लगी

चू चू चू चू चू चू चू चू चू पट पट पट पट चट चट चट चट

अह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह आह आआहईईईई

फच-फच फच-फच फच-फच फच-फच

मेरी झांटे चूत के लिसलिसे से रस में भीग कर सफ़ेद झाग बन चुकी थी कुछ ऐसा ही हल मंजू की चूत का था गांड और चूत के आस पास सब सफ़ेद सफ़ेद सा हो गया था और उसकी जांघो से होता हुआ नीचे गिर रहा था

उसकी जांघें चौडा करके मैं दे दनादन धक्के लगाने लगा

उई ईई ई माँ मर र र गई ई ई ई बचा लो मुझे मीना दी बचा लो

एई एई एई आह आह आह उफ्फ्फ

ओ ओ ओ ओ आह आह आह ये ये

मंजू में तो ताकत बची नहीं थी और मेरे अंदर उबाल सा आने लगा था

मैंने भी अपने शॉट तेज कर दिए और कुछ दस एक धक्कों के बाद मैं तेज आवाज़ के साथ उसपर ढह गया

हालत ये थी के मंजू मेरे नीचे दबी हुई कराह रही थी और मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी की मैं ऊपर से उठ जाऊ

तभी मुझे किसी ने हिला के अलग कर के चारपाई पे धकेल दिया और मंजू को पलट के मेरे बगल में लिटा दिया मेरी अधखुली आँखों से देखा की मीना थी और फिर मैं नींद की आगोश में चला गया

और करीब दस मिनट्स के बाद मीना ने मेरे चेहरे पे पानी फेक कर जगाया

और इन दस मिनट्स में क्या हुआ

मीना ने मंजू को सहारा दे कर बाथरूम ले गई वह उसको अच्छे से नहला कर उसकी चूत की सफाई की और सेकाई की उसको कपडे पहनने में मदद की उसको दर्द की गोली दी उसको ले जा कर स्टडी रूम में सुला दिया

मैंने भी अपने को साफ किया अपने कपडे पहने और मीना को किस कर के घर आ गया और सो गया

तो ये थी मेरी और मंजू की चुदाई जिसमे मीना ने सहयोग किया

देर शाम उठा तो देखा अंजू माँ के साथ बैठी थी उसके हाथ में किताब थी तो मैं समझ गया की ये कुछ पूछने आई है

माँ खाना बनाने की तयारी कर रही थी पापा अभी आये नहीं थे दोनों भाई भी नहीं दिख रहे थे तो मैं अंजू को ले कर अंदर अपने स्टडी रूम में चला गया अंदर जाते ही अंजू मेरे से लिपट कर मेरे होठ चूसने लगी और अपनी अधखिली चूचिया मेरी छाती से रगड़ने लगी

उसका एक हाथ ने जैसे ही मेरे लन्ड को दबाया तो मेरी आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह निकल गई

अंजू -- क्या हुआ

आशु - कुछ नहीं

अंजू - बताओ न

आशु - कुछ झल्ला के कहा न कुछ नहीं हुआ

अंजू - एक बात पूछू ये मंजू को क्या हुआ है

मैंने चौंककर पुछा क्या हुआ

अंजू - कुछ नहीं मीना दी के घर से आ कर सो गई और मैंने देखा उसकी गर्दन में लाल लाल निशान है

आशु - तो मेरे से क्यों पूछ रही हो मीना दी से पूछो

अंजू - नहीं पूछ सकती न तुम बता दो ना

आशु -- मुझे नहीं पता

पर मेरा दिमाग बहुत तेज चल रहा था सोच रहा था की अगर अंजू को समझ में आ रहा है तो इसकी माँ को को भी समझ में आएगा

दिल में एक डर सा बैठ गया

मुझे कुछ न बोलते देख कर अंजू गुस्से में वहां से चली गई

डर के मरे मैं दो दिन तक किसी बात नहीं की ना ही मैं खेलने गया

दो दिन बाद खुद मीना ने मुझे बुलाया

मीना - क्या हुआ तुमको

आशु - कुछ तो नहीं

मीना - मतलब निकल गया तो मेरे से बात करना बंद कर दिया

आशु - मतलब कैसा मतलब

मीना - मंजू को मिलाने का

मैं चुपचाप खड़ा रहा और फिर अंजू वाली बात उसको बता दी

मीना - मैंने तुमसे कहा था की मंजू छोटी है तुम्हारा सह नहीं पायेगी पर तुम तो जानवर जैसे बन गए थे उसके साथ कितनी बेहरहमी से उसके साथ किया मैंने देखा सब, उसके नीचे से कितना खून निकला पता है तुमको

मैं फिर चुप खड़ा रहा

मीना - चुप क्यों हो

आशु - क्या बोलू पता नहीं क्या हुआ था मुझे अब कैसी है मंजू

मीना अब ठीक है अच्छा हो जो उसकी माँ उस दिन घर पे नहीं थी वरना हम तीनो की खैर नहीं थी

मीना और मंजू दोनों ही मेरे चुद रही थी और किसी को कानो कण खबर नहीं थी, मीणा समझदार थी, तो वो काफी सावधानी ब्रैट लेती थी पर मंजू में बचपना बहुत था सो वो कई बार जाने अनजाने में हरकत कर जाती थी और वो भी सब के सामने  इसका संधान भी मीणा ने ही किया वो उसको समझने लगी और धीरे धीरे मंजू में भी परिपक्वता आ गई महीने में दोनो की तीन तीन बार तो चूत चोद ही लेता था  और अंजू से भी ओरल का मज़ा ले लेता था   होली में हम सब ने काफी मस्ती की तीनो की चूत चूची अच्छे से रगड़ी और लाल रंग से रंग दी

मेरी यौन अनुभूति की दास्ताँ -- यौन ज्ञान का आरम्भ Part 1

 मेरी यौन अनुभूति की दास्ताँ -- यौन ज्ञान का आरम्भ Part 1 

ये कहानी शुरू होती है वर्ष 1985 में एक जवान होता लड़का जो जो मात्र 16-17 साल का था जिसका नाम उसका नाम मत पूछिए पर लोग उसे आशु बुलाते थे आशु ने 11वी कक्षा में साइंस साइड में दाखिला लिया था वो अपने 3 भाइयों में सबसे छोटा था गोरा चिटा लम्बा उस ज़माने के अमिताभ बच्चन जैसे लम्बे बाल बाल रखता था जी हाँ मैं आपको अपने बारे में ही बता रहा हूँ

मैं आशु इस समय मैं 50 साल का हूँ अब मैं उतना आकर्षक नहीं दीखता, बाल काफी चले गए तोंद निकल आई, रंग भी दब गया, हाँ बचपन में मैं अपने मोहल्ले का सबसे खूबसूरत बच्चा था, एक चीज़ जो मेरी सदा साथ रही वो थी मेरे बात करने की कला मेरा अंदाज़ और मेरी शैतानियां, 

अनगिनत लड़किया मेरे जीवन में बचपन से ही मेरे इर्दगिर्द रही, शंकरी, लिपिका, मीना कंचन प्रीति मोहिनी आभा अंजू, मंजू, रंजू मोनिका ये कुछ नाम है जिनके साथ मेरा बचपन और जवानी की शुरुआत बीता कुछ मेरे से बड़ी थी तो कुछ हमउम्र और कुछ मेरे से छोटी थी, मेरे भरे और फुले हुए गोरे गाल और पिंकिश रेड होंठ मेरे खूबसूरती में चारचांद लगाते थे मेरे गाल बहुत ही भरे हुए थे जो भी आता मेरे गाल खींच कर चला जाता काफी सारी लड़कियां मेरी जिंदगी का एक अहम् हिस्सा रही है जब से होश संभाला तब से बहुत सी लड़कियां मेरे इर्दगिर्द रही और इसी कारण पढाई मेरी बहुत ख़राब रही पर आज 50 बसंत देख चुकने के बाद भी मेरे जीवन में लड़कियों आना कम नहीं हुआ है खैर..... 11TH तक आते आते मुझे मस्तराम की कहानी पढ़ने का शौक लग चुका था साथ ही न्यूड, सम्भोग वाली किताबों का भी चस्का लग चुका था ईश्वर की दया से उस उम्र में भी मेरा लण्ड मेरे अन्य दोस्तों के मुकाबले ज्यादा ही बड़ा था तब मेरे लण्ड के सुपाड़े के ऊपर की स्किन पीछे नहीं होती थी और जोर लगा के खींचो तो दर्द होता था जबकि मेरे यार दोस्तों के लण्ड की चमड़ी बिना किसी दर्द के पीछे हो जाती थी, उस समय की नंगी फोटो में भी सारे लण्ड की चमड़ी पीछे ही होती थी

सेक्स सम्भोग की जानकारी भी आधी अधूरी होती थी उस समय एक कुछ किताब आती थी जो फुटपाथ पे मिला करती थी नाम था मस्तराम अंग्रेज़ी में डेबोनियर आती थी जिसमे काफी नग्न तस्वीर होती थी यदा कदा प्ले बॉय जैसी भारतीय किताबे चित्रों वाली मिल जाती थी पर दोस्तों सेक्स फिर भी था, भले डर के साये में था पर था लोग मौका निकाल भी लेते थे चूत चुदाई का,

ज्यादातर स्कूल को-एजुकेशन के नहीं थे पर मिलन फिर भी होता था गांव के खेतों में होता था वही शहरों में छुप्पन छुपाई या कोचिंग क्लास के नाम पर, उस ज़माने में मस्तराम की किताब 5 रुपए (ठीक से याद नहीं) में आती थी और वापस करने पर 1 रूपया किराया देना होता था और ऐसी गन्दी किताबे हमको फुटपाथ पे मिला करती थी यकीं मानिये आज भी कुछ किताबे मेरे पास अभी भी रखी हुई है

खैर 16-17 साल की उम्र में सेक्स जैसी सामग्री से हम सब दोस्त दो चार हो चुके थे मेरा एक दोस्त था संजय वो गाँव से था तो वो बताता की गाँव में वो लड़कियों की चूचियां दबा देता है रात के अँधेरे में खेलते वक़्त वो ऐसा करता था वो तो यहाँ तक बताता था की उसने बुर पे भी हाथ लगाया है पढाई लिखाई से कोई हमारा सरोकार नहीं था स्कूल और ट्यूशन में जो पढ़ लिया वही बहुत थीं

ये सारी बातें मेरे शहर इलाहाबाद जो अब प्रयागराज है वहां की है

मेरी यौन अनुभूति की दास्ताँ ----- अंजू और मंजू के संग पहला स्पर्श

मेरे घर (जीरो रोड पर था), के आस पास बंगाली मद्रासी कायस्थ बनिया मुस्लमान इत्यादि फॅमिली रहती थी तकरीबन हर घर में लड़के और लड़कियां थे जो तकरीबन एक ही उम्र के थे जिस लड़की के जिस्म का सब से पहले मैंने जायजा लिया वो थी अंजू करीब 1 साल मेरे से छोटी थी उसकी चूचियों  में उभर आना शुरू हुआ था मेरे घर में दो छत थी एक छत की सीढ़ी के नीचे एक कुठरिया सी थी जहाँ हम लुक्का चुप्पी खलते वक़्त छुपा करते थे उस कोठरिया में गोबर के कंडे भरे होते थे एक बार मैं और अंजू दोनी ही उस कोठरी में छुप गए चुकी वहां गोबर के कंडे भरे थे तो इतनी जगह नहीं थी की दो लोग आसानी से खड़े हो सके ऐसे में अंजू मेरे सीने से चिपक के खड़ी थी  मेरे हाथ उसकी कमर में थे और उसकी पीठ मेरे सीने से चिपकी थी मेरा लण्ड उसके चूतड़ को टच करते ही खड़ा हो गया था जो उसको चुभ रहा था अंजू एक नादाँ लड़की थी उसको सेक्स का तो पता नहीं था फिर भी ये अहसास हर लड़की को होता है और वो है औरत और मर्द का अंतर, अचानक मेरे हाथ उसकी उभरती हुई चूचियों पे चले गए मेरे दोनों हाथ उसकी चूचियों में थे और उसको अपने पास खींच कर अपने लण्ड को उसकी गांड से चिपका लिया मेरी गरम सांसे उसकी गर्दन और जिस्म को गरम कर रही थी, बेशक वो 15 या 16 साल की हो होगी पर थी तो लड़की ही, उसको मेरे लण्ड का अहसास और मेरे हाथो में उसकी चूचिया जिन पर मेरे हाथों का दबाव था उसका बदन कांपने लगा था तो वो फुसफुसाती से आवाज़ में बोली...'आशु कोई आ जायेगा'

मैं बोला 'ऐसे ही खड़ी रहो वरना हम पकडे जायेंगे और आऊट हो जायेंगे' धीरे धीरे फुसफुसाती सी आवाज़ के बीच मेरे होंठ उसकी गर्दन को टच करने लगे उफ्फ्फ्फ़ उसका जिस्म गरम था मेरा भी गरम था उतेज़ना में मेरा जिस्म कांपने सा लगा था पहला स्त्री सुख था मेरे हाथ खुदबखुद उसकी छोटी से उभरती चूचियों को मसलने लगे.. अंजू बोली 'आशु मत करो कोई आ जायेगा आह ह ह दर्द हो रहा है'

इतनी देर में सब घर जाने की आवाज़ देने लगे तो हम दोनों भी एक एक करके बाहर आ गए यकीं मानिये वो आनंद के पल आज़ भी इतने साल बाद दिमाग में तरोताज़ा है

इस घटना के बाद तो जैसे मेरे को खुली छूट मिल गई मेरी हिम्मत भी खुल गई अंजू की एक बड़ी बहन थी मंजू जो मेंरे से बड़ी थी उसकी चूचियां तो भरपूर थी होठ भी लाल थे मेरे तरह.. वो मेरे को बहुत पसंद करती थी और मेरे बात करने का बहाना ढूंढती थी कभी पढाई तो कभी कुछ। चुकी आस पास के सारे घर वाले एक परिवार की तरह ही रहते थे कोई भी लड़का या लड़की किसी के भी घर कभी भी जा सकता था हम सब कहीं भी खाना खा लेते थे

अंजू मंजू का घर 3 मंजिला था चौथी मंजिल छत थी तीसरी और चौथी मंजिल में कोई आता जाता नहीं था सो वो दोनों फ्लोर हम सब के लूका छुप्पी, क्रिकेट, स्टेपो जिसे इक्खट दुख्हट भी कहते थे कैरम, कंचे, गुल्ली डंडा, गुड्डा गुड़िया या कोई और गेम, खेलने के लिए हम सब की पसंदीदा जगह थी क्युकी हमारे शोर से किसी को यहाँ परेशानी होती थी ना ही हमको कोई परेशान करता था सबसे बढियाँ जगह थी और पूरा मोहल्ले के लड़के लड़कियां रोज़ शाम को वहां हुड़दंग मचाते थे एक बात बोलू मेरे मोहल्ले के सारे लड़के बहुत सीधे थे सेक्स का ‘स’ भी उनको पता नहीं था मैं पढाई में जरूर पीछे था पर सेक्स के मामले में उनसे कहीं आगे था सो जैसे ही थोड़ा अँधेरा होने लगता तो मैं लुक्का छुप्पी का गेम शुरू कर देता अंजू तो मेरे साथ छुपने का बहाना ढूंढती थी ऐसे ही एक शाम मेरे साथ मंजू एक बंद अँधेरे कमरे में छिप गयी मेरे पास मौका था अंजू के साथ के अनुभव का, मंजू और मैं अँधेरे कमरे में एक लोहे की अलमारी के पीछे छिपे थे हमारे बदन बिलकुल सटे हुए थे मंजू की चूचिया मेरे सीने में दबी थी मेरे हाथ उसके कमर में थे एक तरह से कह सकते है की वो मेरी बाँहों में थी मेरा हाथ सरकता हुआ उसकी चूतड़ तक चला गया मेरे 5 इंच का लन्ड खड़ा हो कर उसकी जांघों के बीच में दस्तक देने लगा मैंने उसके चूतड़ को दबा कर अपने और पास खींच लिया मंजू ने सर उठा के मेरे तरफ देखा पर बोली कुछ नहीं मैंने फुसफुसाती आवाज़ में कहा की 'हिलो मत नहीं तो कोई हमको देख लेगा' मंजू उस वक्त ब्रा पहनने लगी थे  मेरे एक हाथ अभी भी उसके चूतड़ को पकडे थे तो दूसरा हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे तब ही पता चला की मंजू ने ब्रा पहन रखी है

मैंने बोला.. 'मंजू तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो' कह कर उसके गाल पे एक चुम्मी ले ली  मंजू के तो मेरे होठ के स्पर्श से ही सिसकारी निकल गई  मंजू ने कुछ बोला तो नहीं पर वो मेरे से और चिपक गई उसकी उभरी हुई चूचियां मेरे सीने में दब गई फिर तो उस अध् कचरी सेक्स की किताबों का ज्ञान से मैंने उसको गर्दन और यहाँ वहां चूमने लगा मंजू कसमसाने सी लगी शायद उसका पहली बार था मेरे हाथ अभी भी उसको चूतड़ों को दबाने में व्यस्त थे खैर ये पांच मिनट हम दोनों की जिंदगी के बेहतरीन पन्ने थे पर इसके बाद हम दोनों को जब भी मौका मिलता हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में भर लेते और गालों में किस करते तब हम दोनों को लिप किस का पता नहीं था फिर एक दिन एक किताब मस्तराम वाली में मैंने लिप किस के बारे में पढ़ा चूत और  लन्ड को सहलाना पढ़ा, मेरे साथ अब अंजू और मंजू दोनों पट चुकी थी और मैं दोनों के साथ मज़ा ले रहा था खैर ये सब ज्यादातर गेम के दौरान ही होता था अंजू और मंजू दोनों ही मेरे साथ छिपने का बहाना ढूंढती थी एक बार दोनों ही मेरे साथ थी तब मैंने दोनों के साथ ही मजा लिया पर उन दोनों की जानकारी में आये बिना,

खैर मैं अब आगे बढ़ना चाहता था मतलब लिप किस या चूत सहलाना ऐसे में एक दिन मौका मिल गया मंजू के घर हम सब तीसरी मंजिल में ही खेला करते थे क्युकी छत के दरवाज़े पे ताला होता था ऐसे में एक दिन मंजू ने दिन में ही वो ताला खोल के रख दिया था जैसे ही हम सब के छिपने की बारी आई तो मंजू ने मेरा हाथ पकड़ के छत की और चल पड़ी ये कहिये की अनजाने में मंजू ने मुझे ये मौका दिला दिया

मंजू ने जैसे ही दरवाज़ा बंद किया मैं उसकी पीठ से चिपक गया और अपना खड़ा लन्ड उसकी गांड में सटा दिया मेरे हाथ उसकी चूचिओं तक पहली बार पहुंच गए मंजू पलट के मेरे से चिपक गई मुझे कस के बाँहों में लिपटा लिया उसने जैसे ही सर उठा के देखा मैंने दोने हाथो से गाल पकड़ के उसकी होठों से अपने होंठ चिपका दिए मंजू की हाइट मेरे कन्धों तक ही थी मंजू कसमसाई पर मैंने उसके होंठों को छोड़ा नहीं धीरे धीरे उसने भी मुझे किस करना शुरू कर दिया मेरे एक हाथ आज़ाद हो कर उसके कुर्ते के अंदर चला गया पहली बार उसके नग्न जिस्म का स्पर्श कर रहा था पीठ से होते हुए मेरे हाथ उसकी चूचियों तक पहुंचने लगे

चुकी छत पे कोई आता नहीं था सबको मालूम था की ताला लगा होता है सो हमको डर भी नहीं था मेरे हाथ उसकी चूचियों तक पहुंच गए आज उसने ब्रा नहीं पहनी थी सो पहली बार मैंने जिंदगी में चूचियों का स्पर्श किया उफ्फ्फ वो अहसास आज तक जिन्दा है मैं जोर जोर से उसको मसलने लगा.. मंजू....धीरे आशु दर्द होता है अंजू के मुकाबले मंजू समझदार और भरे शरीर की थी मैंने अपने निक्कर की चैन खोल कर अपना लन्ड बाहर निकाल लिया और उसके हाथ को पकड़ कर लन्ड पे रख दिया जैसे ही मेरे लण्ड पे उसका हाथ गया उसने हड़बड़ा के छोड़ दिया पर मैंने दोबारा उसका हाथ फिर से लण्ड पे रख दिया इस बार उसने हाथ तो हटाया नहीं पर उसकी गर्म हथेली ने मेरे लण्ड का आकार बढ़ा दिया मैंने भी गर्म होकर उसकी चूचियों को जोर से मसल दिया मंजू के मुँह से चीख निकल गई... आआह आउच आशु क्या करते हो पर पहला अनुभव दिल मेरा धाड़ धाड़ करके आवाज़ कर रहा था होश तो था नहीं पर जो भी हो रहा था दोनों को ही मज़ा आ रहा था

कहते हैं ना की सेक्स किसी को सिखाना नहीं पड़ता खुदबखुद आ जाता है और मंजू मेरे लण्ड को खुद ही आगे पीछे करने लगी उफ्फफ्फ्फ़ पहली बार पता चला की लण्ड को आगे पीछे भी करते है

न जाने मैंने कब और क्यों उसकी चूचियों को मुँह में भर लिया और चूसने लगा अब हालात ये थे की मैं मंजू की चूची चूस रहा था और मंजू मेरा लण्ड आगे पीछे कर रही थी

मंजू उफ्फफ्फ्फ़ आआह आए आ आ आ व उफ़ आशु आशु आए मत करो जैसी आवाज़ों से मेरी उतेज़ना बढ़ रही थी,, कोई 5 या 7 मिनट ये सब खेल चला

मंजू अचानक से जोर जोर से कंपाने लगी उसके हाथ मेरे लण्ड पे कस के फिर कंपते हुए उसने जोर से और जल्दी जल्दी लण्ड हिलाने लगी और मेरी सांसे तेज़ होने लगी मेरे जिस्म में अकड़न सी होने लगी ऐसा लगने लगा सारा खून एक जगह आ गया और फिर अचानक मेरे लण्ड से निकलते सफ़ेद सफ़ेद सा गाढ़े रस उसकी हथेली भर गए साथ ही मंजू भी एक जोरदार साँस भर कर मेरे जिस्म पर झूल सी गई

अजीब सी फीलिंग थी मंजू का तो पता नहीं पर मुझे अचानक थकान सी महसूस हुई

मंजू बोली 'ये क्या था'?

मुझे ‘क्या पता’

मंजू.. 'क्यों नहीं पता तुम्हारे में से निकला है तुमको तो पता होगा'

मैं बोला 'नहीं मुझे नहीं पता ऐसा पहली बार हुआ है'

मंजू 'सच में नहीं पता?

हाँ सच में नहीं पता

खैर हम दोनों उसके बाद एक एक करके नीचे आए गए पर मेरे दिमाग में वो सफ़ेद सफ़ेद  ही घूम रहा था सुबह स्कूल में सबसे पहले मैंने संजय से बात की (क्युकी संजय हमारे ग्रुप में सबसे अनुभवी था) तब पता चला की उसे वीर्य कहते है और इसी से बच्चा पैदा होता है और लण्ड को आगे पीछे करने को मुट्ठ मरना कहते है  याने की हस्तमैथुन ये सारी जानकारी मेरे लिए बिलकुल नई थी  सो इस तरह मैंने हस्तमैथुन करना शुरू किया मस्तराम की किताब और मुठ मरना मेरा सबसे नया शौक था छत पे जा के मैं ये सब करता था एक दो बार पकड़ा भी गया माँ के द्वारा मार भी खाई पर बात माँ तक ही ये बात रही

मंजू और अंजू के साथ मेरी रासलीला जारी थी पर दोनों की बुर मैंने ना देखि थी या छुई थी एक शाम मैंने मंजू को पटाया की एक बार फिर से छत पर चले मंजू मुस्कुराई और पुछा क्यों? तो मैंने बोला एक बार फिर से उस दिन वाला खेल खलते है जैसा की मैंने आपको बताया की मंजू मेरे से बड़ी और समझदार ज्यादा थी सो उसको सेक्स का बहुत कुछ पता था

तब मंजू बोली 'नहीं मेरे को नहीं खेलना वो गन्दा खेल' उस दिन तुमने मेरा हाथ गन्दा कर दिया था तुम बहुत गंदे हो पर बहुत साल बाद समझ में आया की पर मंजू मेरा इम्तिहान ले रही थी या चिढ़ा रही थी या ये कह लो मज़े ले रही थी 

पर उस शाम मंजू के साथ एक और नया अनुभव हुआ

जैसे ही शाम हुई हम दोनों प्लान के मुताबिक छत पर जा के छिप गए मंजू से मैं चिपक गया और उसको किस करने लगा आज मंजू भी साथ दे रही थी उसने खुद ही मेरे लण्ड को को निकाल लिया  और हिलने लगी मैंने भी उसकी कुर्ती ऊपर की और उसकी चूची चूसने लगाने आज भी ब्रा नहीं पहनी थी तभी नीचे एक लड़के को चोट लग गई तो हम दोनों को नीचे आना पड़ा सो कुछ ज्यादा नहीं हो पाया मुझे गुस्सा भी बहुत आया दो दिन बाद अंजू मेरे सुबह सुबह घर आई की मैं उसको एक लेसन समझा दूँ क्युकी उसका टेस्ट था  मूड न होने के बावजूद मुझे जाना पड़ा फिर मैं कुनमुनाता हुआ उसके घर गया तो देखा की मंजू स्कूल जाने की तैयारी कर रही है और उसकी माँ दोनों का टिफ़िन बना रही थी आलस्य मुँह से मैं अंजू को लेसन समझने लगा थोड़ी देर में अंजू तैयार होने चली गई और जैसे ही मैं वापस जाने को हुआ तो मंजू ने आकर मेरे से कहा की स्कूल से आ कर मैं उसके घर आ जाऊ इतना कह के वो मुझे गाल में चुम के भाग गई मुझे कुछ समझ में नहीं आया की क्या हुआ फिर मैं भी स्कूल चला गया दोपहर को जब आया तो माँ ने बोला की मंजू आई थी तेरे को हलवा खाने को बुलाया है

मैं जब मंजू के घर पंहुचा तो देखा की मंजू एक फ़िरोक पहन बैठी थी तब उसने बताया की अंजू और उसकी माँ चाचा के घर गई है मंजू ने जा के दरवाज़ा बंद किया और मुझे हलवा ला के दिया कसम से मैं बुद्धू इतना की मुझे उस वक़्त भी इतना समझ में नहीं आया की ये सुनहरा मौका है हम दोनों के लिए क्युकी करीब 2 घंटे हम दोनों को कोई डिसट्रब करने वाला नहीं था

मैं हलवा ले कर मंजू के कमरे में गया तो देखा मंजू बिस्तर पर लेटी थी मैं भी वही उसके पास लेट गया तो मंजू मुस्कुराती हुई मेरे ऊपर आके मुझे किस करने लगी

यकींन मानिये यदि लड़की का मन है आपके साथ सेक्स करने का तो वो लड़की बिना कहे आपको इतने मौके दिलवा देगी की आप उसके साथ सम्भोग या ओरल सेक्स कर लोगे मर्द या लड़के को पता ही नहीं चलेगा की उसको मौका उस लड़की ने खुद दिलवाया है और हम लड़के इस बात पर खुश होते है की मैंने उस लड़की को पटा लिया मैंने आज उसको किस किया या चूची दबाई या फिर उसके साथ सम्भोग कर लिया, आज ये बात मैं अपने अनुभव से कह सकता हूँ

खैर मंजू ने जब किस करने लगी तो मैं भी जोश में आ गया और उसके  चूतड़  को  जोर  से  पकड़ लिया नीचे उसने निक्कर पहनी थी वो भी उसके चूतड़ से चिपकी थी उसके नंगे जिस्म के स्पर्श में मेरा लण्ड अकड़ सा गया मंजू ने एक हाथ से मेरी निक्कर (हाफ पेंट) का बटन खोल कर नीचे सरका दिया मेरा लण्ड उछाल के बाहर आ गया माने पहले भी कहा है की मंजू मेरे से ज्यादा जवान और समझदार थी शायद सेक्स और स्त्री पुरष के सम्बन्धो का भी बहुत ज्ञान था सो उसने मेरे लण्ड को आगे पीछे करने लगी मेरी आंख आनंद से बंद हो गई फिर मैं भी उसकी चूची दबाने लगा इस बीच उसने मेरी शर्ट भी उतार दी और मेरे सीने को किस करने लगी मैंने भी जोश में उसकी फ्रॉक भी उतार दी आज उसने ब्रा पहनी थी सफ़ेद रंग की सूती कपडे की मैंने भी उसको नीचे गिरा के उसके ऊपर आ गया और उसकी चूचियों को दबाने और चूसने लगा मंजू आअह्ह्ह्ह  आए  उफ़ जैसी कुछ आवाज़े निकल रही थी  तभी उसने मेरा एक हाथ पकड़ के अपनी बुर पे रख दिया मुझे गीले पन का अहसास हुआ मेरा शरीर एक दम से गनगना सा गया पहला स्पर्श बुर का  मैं सब कुछ छोड़ कर एकदम से बैठ गया

और उसको देखने लगा मेरे को उसको इस तरह देखने से मंजू ने अपनी आँखों को अपने हथेली से बंद कर लिया पर मुझे इन सब बातों से मतलब नहीं था मस्तराम की किताबों में जो तस्वीर देखि थी आज मैं उसका साक्षात् दर्शन करने वाला था

गोरा बदन सफ़ेद ब्रा में कसी हुई बड़ी सी चूची फिर पतली सी कमर और चौड़े से कूल्हे फिर चिकनी सी सिल्क सी जाँघे उफ्फ्फ क्या नज़र था अभी भी मैं बूत बना बैठा था की मंजू ने निक्कर उतरने का इषारा किया तब होश आया और मैं धीरे धीरे उसकी निक्कर उतारने लगा उफ्फ्फ जैसे जैसे निक्कर नीचे हो रही थी मेरी आंखे बड़ी होती जा रही थी पहले हलके हलके रेशम से भूरे बालों के दर्शन फिर जांघों से कटाव की लकीर और फिर गुलाबी सी बुर जिसमे एक चीरा सा लगा था ऊपर का थोड़ा उभरा हुआ और वो चीरा दोनों चूतड़ को अलग करने वाली लकीर में विलुप्त हो गया था

उफ्फ्फ्फ़ इतने से ही मेरे लण्ड से पानी निकलने लगा मेरा लण्ड अभी भी मंजू के हाथ में था मैंने धीरे से बुर को स्पर्श किया उफ्फ्फ्फ़ कितनी गरम थी बुर के नीचे से पानी निकल रहा था लिसलिसा सा मैंने एक ऊँगली से चूत के बीचे के लकीर में से सहलाई जैसे ही मेरी ऊँगली ने चूत को टच किया मंजू उछल सी गई पीठ और चूतड़ उठ गये अंदर कुछ गुलाबी सा दिखा उत्सुकता में उसको फैला के देखने लगा दो छोटे छोटे से लिप्स एंड पूरी गुलाबी उसके नीचे एक बहुत छोटा सा छेद जिसमे से कुछ लिसलिसा सा पानी निकल रहा था मेरे सारी ऊँगली उसमे सन गई मैं वैसे ही उस लकीर के बीच में अपनी ऊँगली कभी ऊपर से नीचे तो कभी नीचे से ऊपर, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था दिमाग सुन्न सा हो गया था

मंजू की कराहती फुसफुसाती आवाज़े ही सुनाई दे रही थी

अहह......अहह.......अहह............आह....ओह्ह........ओह्ह..............उफ्फ्फ्फ़..हाँ..हाँ....हाँ ऐसे ही करो उफ़ करते रहो वी....ईश.....ईश....ईश....आह.....आशु...आशु ऐसे ही करो

वो जैसा बोलती रही मैं करता रहा

पर इसी बीच मेरी ऊँगली का गीलापन और उस छेद में से निकलता पानी के कारन मेरी ऊँगली उस छेद के अंदर हलके से चली गई

मंजू की चीख निकल गई ओह्ह माँ मैंने झट से ऊँगली हटा ली मैंने देखा की मंजू की आंखे लाल हो गई थी आँखों से पानी आ रहा था

मैंने पुछा क्या हुआ?

मंजू बोली बहुत तेज़ दर्द हुआ

मंजू ने मुझे अपने ऊपर खींच कर मेरे लिप्स को चूसने लगी मेरे चूतड़ को जोर जोर से दबाने लगी कुछ पल हम दोनो ऐसा ही करते रहे फिर उसने मेरा हाथ पकड़ा और उसकी छेद पर मेरी ऊँगली रख दी, मुझे समझ में नहीं आया की जब इतना दर्द हुआ तो वो क्यों ऐसा करने को कह रही है फिर भी उसके हाथ का दबाओ से मेरी ऊँगली थोड़ी से अंदर गई 

मंजू -- आअह्ह्हु ई ई ई ई ई ई आइ माँ मैंने ऊँगली निकालनी चाही पर मंजू ने निकलने नहीं दी कुछ पल के बाद उसने हाथ से पकड़ के मेरी ऊँगली निकली और फिर से ऊँगली जोर से दबा दी  एक बार फिर मंजू चीखी क्युकी इस बार करीब आधी ऊँगली अंदर गई थी

मंजू - ओफ़्फ़्फ़....आह्ह ह ह ह ई ई ई ई ई ई आइ माँ यस हाँ उफ्फ्फ

एक दो बार उसने ऐसे ही किया तो मेरी पूरी ऊँगली अंदर चली गई अब तक मुझे भी समझ में आ गया था की उसको ऊँगली अंदर बाहर करने से मज़ा आ रहा है सो मैंने खुदबखुद ऊँगली अंदर बाहर करने शुरू कर दी मंजू ने मेरे हाथ से अपना हाथ हटा लिया और सिसकारी भरने लगी उसकी गर्दन इधर उधर होने लगी उसके चूतड़ उछलने लगे

मंजू बोली आशु थोड़ा तेज़ और जल्दी जल्दी करो मेरी भी स्पीड बढ़ गई मेरी ऊँगली सटासट उसकी चूत में अंदर बाहर होने लगी मेरा पूरी हथेली चूत के पानी से चिपचिपाने लगी

फिर मंजू एक तेज़ आवाज़ के साथ बिलकुल शांत हो गई पर उस छेद से ढेर सारे लिसलिसे पानी को मैंने महसूस कर लिया पर आज पता है की वो मंजू का एक लड़के के साथ पहला ओर्गेस्म था

थोड़ी देर के बाद मंजू ने मुझे लिटा दिया और मेरे लण्ड को पकड़ के आगे पीछे करने लगी मेरे तो आनंद की कोई सीमा ही नहीं थी और कुछ ही पलों में उसकी हथेली मेरे सफ़ेद गाढ़े रस से भर गई मैं भी निढाल होकर पड़ा था मंजू भी मेरे बगल में लेटी थी  थोड़ी देर में मंजू ने बोला कपडे पहन लो और ये सब किसी से मत कहना

फिर मैंने कपडे पहन के बचा हुआ हलवा खाया और हाथ वगैरह धो कर घर आ गया सो ये था एक जवान होते लड़के और लड़की के बीच का पहला ओरल सेक्स या हस्तमैथुन

अब जब भी हमको मौका मिलता हम दोनों कुछ ऐसा ही करते पर मैं सोचा करता था की किताब की फोटो में तो लण्ड चूत में जा के गायब हो जाता है पर वो जाता कहाँ है ऐसे में काम आया संजय उसने बताया की चूत में एक छेद होता उस छेद में हम ऊँगली या फिर लण्ड डाल सकते है और लण्ड डाल के आगे पीछे करने से लण्ड से वीर्य निकलता है जो चूत में जा के बच्चे को जनम देता है

आज सोचता हूँ तो बहुत हंसी आती है अपने आधे अधूरे ज्ञान पर, पर शायद हर लड़का या लड़की कुछ इसी तरह से सेक्स का ज्ञान प्राप्त करता है हर लड़की या लड़के के पास एक संजय जैसा दोस्त होता है जो उसको सेक्स का ज्ञान देता है

पर ये कहानी अभी शुरू हुई थी अंजू से और मंजू से हो कर अंजू तक फिर आ गई थी मंजू के साथ मिले ज्ञान को मैं अंजू के साथ दोहराना चाहता था

मंजू के एग्जाम आ रहे थे तो हमारे खेलने के समय में उसको एक मास्टर जी पढ़ाने आने लगे तो मंजू का हमारे साथ खेलने आना लगभग बंद ही था जिसके कारण मैं बेचैन रहने लगा अब चस्का तो लग ही चूका था, ऐसे में अंजू मेरे काम आई मैंने अंजू के साथ कुछ करने की सोची, इतने दिन से हम मंजू और अंजू जो खेल, खेल रहे थे उसके कारण मैंने महसूस किया किया की अंजू की चूचियो का आकर थोड़ा बदल चूका है,

साइंस का छात्र होने के कारण एक दिन 3rd फ्लोर का फ्यूज मैंने निकाल दिया और जब हमने छुप्पन छुपाई खेलना शुरू किया तो मैं उसका हाथ पकड़ के 3rd फ्लोर पे ले आया और उसी अलमीरा के पीछे छुप गया हम दोनों के मुँह आमने सामने थे और अंजू मेरे से चिपक के खड़ी थी अंजू की हाइट मंजू से ज्यादा थी तो वो मेरे मुँह तक आ रही थी, थोड़ा मैंने इंतेज़ार किया फिर उसके चूतड़ पकड़ के मैंने अपने से चिपका लिया उसके गर्दन पे अपने होंठ रख दिए अंजू कसमसा के दूर होने लगी पर पीछे अलमारी और मेरी मजबूत पकड़ से वो हिल भी नहीं पाई मैं उसके चूतड़ दबा दबा के गर्दन को चूमता रहा अंजू के सांसे तेज़ हो गई थी एक प्रकार से उसको भी मज़ा मिलने लगा था फिर मैंने धीरे धीरे उसकी फ्रॉक को उठाना शुरू किया अंजू ने एक नाकाम कोशिश मेरे को रोकने की की तब तक काफी अँधेरा हो चूका था पर इस अँधेरे में हम दोनों एक दूसरे को देख पा रहे थे मैं बाहर निकला पर उसको अलमीरा के पीछे ही रहने दिया उसकी फ्रॉक और समीज़ उठा के उसके उभरती चूचियों को मुँह में भर लिया उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ मेरा लण्ड गनगना सा गया मेरा दूसरा हाथ उसकी चड्ढी के अंदर चला गया उसके हलके हलके रोये थे चूत गीली थी मैं चूची चूसते हुए उसकी बुर को सहला रहा था कभी पूरी लकीर में ऊँगली फेरता तो कभी छूट के होंठ को सहलाता गेला गीला लसलसा सा पानी उसकी छूट से बह रह रहा था  अंजू के सांसे तेज़ हो गई आह आअह्ह्ह्ह हहह हहह उफ्फ्फ्फ़

अंजू... आशु छोड़ो मुझे उफ्फ्फ................आ....आ....हह.....हह....आह क्या कर रहे हो मत करो कुछ हो रहा है मुझे आह आह आह उफ्फ्फ हिश हिश आ आ आ ह ह ह ह करते हुए वो भी मंजू की तरह शांत हो गई पर उतना पानी उसकी चूत से नहीं निकला जितना मंजू की चूत से निकला था

मैंने भी उसको छोड़ दिया अंजू तो जैसे होश में आ गई और वो फ्रॉक ठीक करते करते भागने को हुई पर तब तक मैं लण्ड अपना निकाल चूका था सो उसका हाथ पकड़ के अपने खड़े लण्ड पे रख दिया  अंजू तो एक दम से हड़बड़ा सी गई पर उसने हाथ नहीं हटाया  अंजू मेरे लोहे सा टाइट लण्ड को दबा दबा के देखने लगी अंधेरे में वो एक काला सा लकड़ी की टहनी जैसा लग रहा था जैसा की मैंने कहा सेक्स सीखाना नहीं पड़ता अंजू भी ने मेरे लण्ड की चमड़ी को आगे पीछे करना शुरू कर दिया

आशु.... ये तुमको कैसे पता चला

अंजू... मैंने मंजू को तुम्हारे साथ ऐसा करते देखा है

ये एक धमाका था मेरे लिए मैं सोचता था की मैं बिलकुल सेफ गेम खेल रहा हूँ पर अंजू सब देख रही होगी ऐसा तो सपने में भी नहीं सोचा था

अंजू.. तुम हमेशा मंजू के साथ छिपते थे तो मुझे गुस्सा आता था एक दिन मैं छत का ताला खुला देखा तो मैं समझ गई की तुम आज मंजू के साथ ऊपर छिपोगे तो मैं खेल शुरू होते ही तुमसे पहले छत पर आ के छुप गई और फिर तुम दोनों को वो सब करते देखा जो तुम अभी मेरे साथ कर रहे थे और जब तुम दोनों कपडे ठीक कर रहे थे तो मैं नीचे आ गई

मुझे बिलकुल भी अहसास नहीं था की ये छुटकी भी जलन करती होगी, और इतनी तेज होगी, पर कुछ साल बाद समझ में आ गया की लड़किया जिसको चाहती है उसकी छोटी सी छोटी बात और हरकत पे नज़र रखती है

मेरा लण्ड तो तैयार ही था थोड़े देर की मुठ में ही मेरा रस निकाल गया

अंजू ने उठ के मेरे होंठों पे किस करना शुरू कर दिया मैं भी उसको चूमने लगा फिर हम दोनों नीचे आ गए

इस तरह मैं अंजू और मंजू एक दूसरे को खुश करते हुए अपने अपने एग्जाम में पास हो के अगले साल में प्रवेश कर गए पर सम्भोग नहीं कर पाया अंजू की चूचियां भी आकार ले चुकी थी उसके चूतड़ भी मेरे दबाने से गोल और मस्त हो गए थे मंजू पे और जवानी चढ़ गई थी मंजू ने ही बताया की उसकी ब्रा का साइज़ 30 से 32 का हो गया है

लगातार मुठ मरवाने के कारण मेरे लण्ड का साइज भी बढ़ गया था और लण्ड की चमड़ी भी अब पीछे होने लगी थी साथ ही मेरा लण्ड भी पहले से मोटा हो चूका था क्युकी मेरा लण्ड अंजू की हथेली में अब पूरा नहीं आता था अंजू भी अब ब्रा पहनने लगी थी कुल मिला के ये करीब १८ महीने ने हम तीनो के लाइफ के बहुत मस्त और कामुक थे

जहाँ तक मैं सोचता हूँ उस वक़्त न इंटरनेट था न मोबाइल ना ही टेक्नोलोजी इतनी थी पर सेक्स जरूर था मोहल्ले के सब बच्चे एक साथ मिल कर पढाई करते खेलते थे अपनापन बहुत था

करीब करीब हर लड़के और लड़की को सेक्स का ज्ञान कुछ इसी तरह दोस्तों से आस पास की लड़की से मिलता है 

मंजू को कभी पता नहीं चला की मैं अंजू के साथ भी वैसा ही खेल खेल रहा हूँ मंजू ने ये भी बताया की वो मेरे लण्ड को अपनी चूत के अंदर लेना चाहती है पर कोई ऐसा मौका नहीं मिला जो कुछ मिला तो हम दोनों ही कुछ कर नहीं पाए

मीना मेरे से एक मकान छोड़ कर रहती थी 21 साल की भरपूर मस्त युवती गेहुआं रंग बड़ी बड़ी चूचियां और मस्त गांड वाली थी उसको मैं दीदी कहता था उसके साथ रिश्तेदारी भी थी वो मेरे मामा की चचेरी साली थी

ऐसे ही एक अँधेरी शाम मैं अपनी छत पर मंजू को चुम रहा था चूची दबा रहा था तो मैंने देखा की मीना छत पर खड़ी हम दोनों को गौर से देख रही है मैं डर सा गया और तुरंत नीचे आ गया मंजू के साथ

मेरी यौन अनुभूति की दास्ताँ ----- मीना के संग पहला सम्भोग

शंकरी प्रीति और कंचन ये हम सब में काफी बड़ी थी सिर्फ मीना ही मेरे से करीब ३ साल करीब बड़ी थी बाकि सब हमसे काफी बड़ी थी

मीना का मुझे मंजू के साथ देखा जाना मेरे लिए डर का कारण था मीना ने मुझसे कुछ बोला तो नहीं पर मुझे घूरती रहती थी करीब 1 महीना बीत गया मेरा भी डर काफी कम हो चूका था

मैं पहले भी कहा है की लड़कियां खुद मौके दिलवाती है की हम लड़के उसका फायदा उठा सके पर इस बात को समझ न सके

मीना बी एड कर रही थी तो उसको एक दिन के लिए करीब 30 km फाफामऊ से आगे एक गांव में एक दिन के लिए पढ़ाने जाना था तो मीना ने अपने घर में मुझे साथ ले जाने के लिए बोला किसी को ऐतराज़ तो होना ही नहीं था सो हम दोनों उसके पापा की प्रिया स्कूटर से चल पड़े थोड़ा दूर जाते जी मीना मेरे से चिपक के बैठ गई उसकी भरी हुई चूचियां मेरी पीठ से चिपक सी गई मेरे तो तनबदन में आग लग गई पर मैं शांत रहा

मीना -- आशु उस दिन क्या हो रहा था

मेरी तो गांड फट गई जिस बात का डर था वही हो गया फिर भी मैंने अनजान सा बन के पुछा 'किस दिन दीदी'

मीना -- ज्यादा बन मत उस रात मंजू के साथ, कब से चल रहा है ये सब?

आशु -- जी जी वो वो

मीना -- ये क्या जी जी लगा रखा है ठीक से बता

आशु -- बस पहली बार था

मीना -- देख झूट मत बोल मैं सबको बता दूंगी

मेरी तो फट के हाथ में आ गई

आशु --  सॉरी दीदी आगे से ऐसा नहीं करूँगा

मीना -- देख वो अभी वो बहुत छोटी है

तभी मैं बोल पड़ा अरे नहीं दीदी वो बड़ी है आपकी तरह, पर तुरंत मुझे गलती का अहसास हो गया

मीना -- अच्छा तुमको कैसे पता की वो बड़ी है मेरी तरह मतलब तू मेरे को भी ताड़ता है मेरे को भी गौर से देखता है

आशु -- अरे नहीं दीदी मेरा वो मतलब नहीं था

मीना -- तो फिर क्या मतलब था देख आशु मेरे से झूट नहीं बोलना मेरे को सच सच बता क्या क्या देखा उसका

आशु -- कुछ नहीं दीदी सिर्फ किस किया

मीना -- देख आशु सच बोल क्या क्या देखा नहीं तो घर जा के उसकी और तेरी मम्मी को सब बता दूंगी

आशु -- नहीं दीदी ऐसा मत करना नहीं तो बहुत मार पड़ेगी

तो फिर सच बोल कह कर मीना ने मुझको फुसलाया देख मैं तेरे से मैं बड़ी हूँ तेरी मदद कर दूंगी मंजू को तेरे से मिलवाने में इतना कह के वो अपनी चूचियां मेरी पीठ में दबा दी, अब तक जो लण्ड डर के मरे सिकुड़ के बैठा था वो फिर से सर उठाने लगा इतना तो मुझे भी समझ में आ गया था की मीना घर में कुछ नहीं बताएगी फिर भी मैंने उसको न बताने की ठान ली

मीना कभी धमकी देती तो कभी फुसलाती पर मैं टस से मस नहीं हुआ कुछ भी नहीं बोला तब तक हम दोनों गांव पहुंच गए मैंने भी शांति की साँस ली

उस सरकारी स्कूल में एक जर्जर ईमारत थी वो भी मिटटी की गांव में सब ने हम दोनों का स्वागत किया मीना ने मुझे छोटा भाई कह कर गांव वालों से मिलवाया गुड़ और पानी पी कर मीना पढ़ाने लगी मैं इधर उधर घूमने लगा पर मेरे दिलो दिमाग में मीना की चूचिया चुभती हुई महसूस हो रही थी पर वो बड़ी थी सो डर भी था मन में फिर भी मैंने किस्मत आजमाने की सोची मंजू, अंजू, और मस्तराम की किताबों का ज्ञान और संजय का दिया ज्ञान सब एक साथ आजमाने की सोची 

डर के मारे गांड तो फट रही थी फिर भी अपनी आदत से बाज़ नहीं आ रहा था मैं दोपहर को हम दोनों ने साथ में लाया खाना खाया साथ ही उसकी चूचियों को जी भर के देख रहा था उस दिन मीना ने सलवार सूट पहना था जिसमे उसकी चूचिया उभर कर दिख रही थी मीना भरपूर जवान थी गेहुँए रंग की थी, पतली कमर, जांघ भी भरी भरी थी बाल भी लम्बे थे घने काले बाल मेरा मन उसकी चूचियों को पीने का होने लगा तो मैंने जानभूझ कर उसको छूने की कोशिश की

शाम 4 बजे करीब हम दोनों वहां जब निकल रहे थे तो स्कूल के व्यक्ति बोला की क्या आप अगले हफ्ते सोमवार और मंगलवार दो दिन और आ सकती है हमारी एक टीचर को दो दिन के लिए जाना है बदले में हम आपकी बुक में अच्छा से लिख देंगे मीना बोली की मुझे घर में पूछना पड़ेगा

तो वो व्यक्ति बोला चाहे तो आप अपने भाई के साथ रूक सकती है हम एक कमरे और खाने की व्यवस्था कर देंगे

मीना बोली पापा से पूछना पड़ेगा ये सुन कर उसने मीना को सरपंच का फ़ोन नंबर दिया बोला आप सरपंच जी को बता देना

इन सब के बीच 5 बजने वाले थे तब हम वहां से निकले और हम लोग वापस चल पड़े

मीना -- तू बोर हो गया होगा

आशु -- नहीं दीदी

मीना -- क्या दीदी दीदी लगा रखा मीना बोल न मैं तेरे से ज्यादा बड़ी नहीं हूँ

आशु - जी

तब तक मैं इतना तो समझ ही चूका था की मीना आसानी से मेरे से पट जाएगी

मीना -- आशु बता न मंजू के साथ क्या किया तूने

मैं कुछ बोला नहीं फिर भी सोच लिया कुछ इस तरह बताया जाए की मीना को लगे की इन सब में बहुत मज़ा आता है और उसका भी दिल करे और मीना के लिए मेरे से अच्छा कोई और लड़का हो नहीं सकता था क्युकी एक तो किसी को शक नहीं होता और हम दोनों आसानी से मिल भी सकते थे

मीना -- बोल न आशु उसके वो दबाये थे की नहीं.. उसने अपनी चूचिया मेरी पीठ पे रगड़ते हुए पुछा

आशु -- दीदी मत करो कुछ होता है

मीना -- फिर दीदी कहाँ होता है कुछ, कह कर मेरे लण्ड के ऊपर हाथ रख दिया

अब कुछ और सोचने और समझने की जरूरत भी नहीं थी मीना मेरे लण्ड के ऊपर हाथ फरते हुए बोली 'तू तो बड़ा हो गया है रे'

और क्या क्या किया एक बार फिर मीना ने पुछा

आशु -- मैंने दबाये भी और चूसे भी और उसने भी मेरा खूब सहलाया

मीना -- तू तो काफी आगे निकल गया रे

आशु -- तुम्हें किया है किसी के साथ क्या

मीना -- नहीं रे डर लगता है कोई देख लेगा और कोई मेरे को तेरे जैसा मिला ही नहीं जो इतना समझदार हो

आशु -- मेरे साथ कर लो कसम से बड़ा मज़ा आता है

मीना -- सच तू मेरे साथ करेगा तेरे को आता है कैसे करते है मंजू के साथ किया है कभी

एक साथ कई सारे सवाल मीना ने पूछ डाले

आशु -- हाँ किया ना

मीना -- तू तो बड़ा छुपा रुस्तम है रे

आशु -- आप करोगी मेरे साथ  कह कर मैंने हाथ पीछे ले जा के उसकी बड़ी सी चूची को सहला दिया  मीना सिसकारी भर के रह गई गांव का रास्ता था कोई दूर दूर तक नहीं दिख रहा था सो मैंने भी सोचा कुछ करते है शाम का धुंधलका सा हो गया था सूरज डूब चूका था सो मैंने एक सही जगह देखी जहाँ ढेर सारे पेड़ थे खेत भी था सो थोड़ी पगडण्डी में उतार कर स्कूटर खड़ी कर दी मीना कुछ बोली तो नहीं पर डर सी गई मेरी हाइट 5.11 थी और मीना भी करीब 5.5 की थी मैंने धयान से देखा तो समझ गया की शायद ही कोई मेरा स्कूटर देखेगा मीना को डरा हुआ असमंजस में देख कर समझ गया की इसने अभी तक कुछ भी नहीं किया है 

मैंने मीना का हाथ पकड़ के पेड़ के झुरमुट में ले गया और उसका चेहरा पकड़ के उसकी होंठों को चूसने लगा मीना कसमसाई पर मेरे से दूर नहीं गई थोड़ी देर में वो भी मेरा साथ देने लगी मीना का एक हाथ मेरे सर पे जा के मेरे लम्बे बालों को जोर से पकड़ कर मेरे होंठों को चूसने लगी मैंने अपना हाथ फ्री किया और उसकी चूचियां सहलाने लगा मीना ने जोर से सिसकारी ली आअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह अहह उफ्फ्फ

मैंने एक हाथ से अपनी ज़िप खोल के लण्ड बाहर निकला और उसका हाथ पकड़ के उस पे रख दिया मीना ने अकबका कर अपना हाथ हटा लिया

मीना ये क्या है

आशु -- ये आपके लिए है पकड़ो आपको अच्छा लगेगा कह कर मीना का हाथ एक बार फिर लण्ड पे रख दिया   

मीना उसको दबा कर कर देख के बोली "ये तो काफी बड़ा है और बहुत कड़ा कड़ा है'' मैंने उसके कुर्ते के ऊपर से उसके चूतड़ दबाने लगा मीना बिलकुल बेकाबू सी हो गई थोड़ी देर में कुर्ते के गले से हाथ डाल कर उसकी नग्न चूचियों को पकड़ के दबाने लगा थोड़ा मुश्किल था फिर भी मीना बेबस सी सब करने दे रही थी कभी चूची दबाता तो कभी निप्पल चुटकी से मसल देता हर बार मीना सिसकारी भरने लगती दर्द से कराहने लगती

आह्ह्हआशु. ये क्या कर रहे होआह्ह्ह.........मैं मर जाऊँगीमत करोउम्म्म्म बहुत मज़ा आ रहा है ओह्ह्हउम्म्मआह्ह्ह. सीईईआह्ह्ह…’

उफ़ आशु लगती है दर्द हो रहा है

आह्ह्हओह्ह्ह्हउम्म्म्म.....…आह प्लीज रुको...धीरे से ह्म्म्म......ओह्ह.....उफ्फ्फ्फ़ कुछ हो रहा है कोई देख लेगा...

मेरे हाथ उसकी बुर तक पहुंच गए सलवार के ऊपर से ही उसक बुर सहलाने लगा पैंटी कपडे के ऊपर से ही साइड करके उसकी छूट की लकीर को सहलाने लगा चूत उसकी गीली थी काफी अँधेरा हो चूका था हम दोनों ही सब से बेखबर अपनी वासना में खोये हुए थे

मीना बोली बस आशु, मैंने बोला बस थोड़ी देर कह कर उसकी सलवार का नारा थोड़ा ढीला किया और अपना हाथ अंदर डाल के उसकी चूत में ऊँगली अंदर बाहर करने लगा

मीना तो शायद सातवे आसमान में उड़ रही थी

उफ्फ्फ्फ़ आह दर्द हो रहा है निकालो ऊँगली मत करो अह्ह्ह उम्म्म,,,,,,,,,,आह अच्छा लग रहा है  आह्हः आह्हः आह आह उफ़ धीरे धीरे आह्ह उफ्फ्फ्फ़ आशु कहाँ से सीखा ये सब  उफ्फ्फ और तेज करो अहह अह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह तेज करो और तेज करो उफ्फ्फ्फ़ आउच लगती है उफ्फफ्फ्फ़ तेज़ और तेज़ कहते हुए मीना ने अपना रस छोड़ दिया

मेरे लिए ये सब नया नहीं था थोड़ी देर में मीना के होश ठिकाने आये तो मैंने उसको अपने लण्ड पे उसका हाथ रखवा कर उसको आगे पीछे करना बताया मीना वैसा ही करने लगी मैंने उसके बाल पकडे और उसके होंठ चूसने लगा कभी होंठ तो कभी गर्दन तो कभी उसकी क्लीवेज थोड़ी देर में मेरा रस भी छुट कर उसके हाथों में भर गया थोड़ा नीचे गिरा मीना भी सेफद रस को गौर से देखती रही फिर हम दोनों ने पानी से हाथ धोया कपडे सही किये और वापस घर की तरफ चल पड़े

मीना – कहां से सीखा तूने ये सब

आशु -- किताब पढ़ कर दोस्तों से और मंजू के साथ कर के सीखा

मीना -- मंजू के साथ भी तूने ऐसा ही किया क्या?

आशु -- हाँ

मीना -- मेरे लण्ड को दबा कर बोली इसको भी अंदर डाला क्या?

आशु -- नहीं मौका नहीं मिला पर पूरी नंगी करके देखा है आप डलवाओगी अंदर?

मीना -- हाँ पर डर लगता है कुछ हो गया तो

आशु -- क्या होगा

मीना -- मैं माँ बन गई तो

आशु -- फिर

मीना -- देखते है पर करेंगे कहाँ

आशु -- पता नहीं मौका देखता हूँ कोई, पर आप तो करोगी ना, धोखा तो नहीं दोगी

मीना -- नहीं मेरा भी मन है

आशु -- अभी कैसा लगा

मीना -- बहुत अच्छा तेरे हाथों में तो जादू है और तेरा ‘’वो’’ तो बहुत मस्त है गरम भी भी बहुत था मन कर रहा था की चूम लू

आशु -- हाँ मैंने भी एक किताब की फोटो में देखा था की एक अंग्रेज लड़की ने पूरा लण्ड मुँह में ले रखा था आप करोगी वैसा

मीना -- कैसी किताब थी मुझे भी दिखाना

ठीक है पुरे रास्ते मीना मेरे शरीर से चिपक के बैठ के मेरे लण्ड को सहलाती रही फिर हम लोग घर आ गए स्कूटर उसके घर खड़ा करके मैं घर आ गया पर दिल और दिमाग में मीना अभी छाई हुई थी मेरे को उत्सुकता भी थी की जब लण्ड चूत में जायेगा तो कैसा लगेगा यही सब सोचते हुए खड़े लण्ड के साथ ना जाने कब सो गया

अगले दिन संजय से जब मिला, तो उससे पुछा की लण्ड चूत के अंदर जाता है और अंदर रस निकलता है, तो क्या लड़की माँ बन जाती है क्या?

संजय -- हाँ यार ज्यादा तो पता नहीं पर बन सकती है

आशु -- तेरे को कैसे पता?

संजय -- यार गांव में एक बहुजाइ पटाई है और उसको चोदा भी है वही बताती है हाँ वो हर बार मेरे लण्ड पर निरोध चढ़ा देती है जिससे सारा रस उसी के अंदर रह जाता है और बहुजाइ माँ भी नहीं बनेगी सारा खेल वही सिखाती है उसी ने बताया की जब भी किसी कुवारी लौंडिया को चोदो तो निरोध लगा कर चोदना

आशु -- ये निरोध कहाँ मिलेगा

संजय -- मेडिकल स्टोर में और हॉस्पिटल में तो फ्री मिलता है

आशु -- पर हमको कहाँ मिलेगा हम लोग तो बच्चे जैसे है और घर में पता चल गया तो ना बाबा ना मैं नहीं जाऊंगा मेडिकल स्टोर

संजय -- रुक कल मैं गांव जाऊंगा भाभी से तेरे लिए मांग लाऊंगा उसके पास बहुत सारे है एक डिब्बे में

संजय का गांव कोई 40 km शहर से वो अक्सर चला जाता था

पर जब से ये पता चला की संजय तो बहुजाइ को चोद है तो उस साले से जलन होने लगी, साले ने पहले चुदाई कर ली खैर सारी जानकारी मेरे लिए नई थी पर काम की थी मेरा सेक्स ज्ञान धीरे धीरे बढ़ रहा था

इस बीच मैंने कृष्णा कोचिंग ज्वाइन कर ली वहां वीनम मधु और मीता मेरी फ्रेंड बन गई मधु और वीनम को तो मैं पहले से जनता था मधु मेरे चाचा के घर किरायदार थी और वीनम मेरे दूसरे मामा की साली थी पर मीता बहुत खूबसूरत लड़की थी 5.6 लम्बी, दुबली सी, नीली आंखे, लम्बे बाल उसकी चूचियां बहुत उठी हुई थी कमर पतली सी थी मेरे को उससे पहली नज़र में प्यार हो गया...

ये सब मैं आपको आगे चले के बताऊंगा अभी तो आपको मंजू और मीना के साथ मज़े करवाता अगले दिन मेरा मन कहीं नहीं लगा मीना का घर पुरे मोहल्ले में सबसे बड़ा था, या ये कहिये सबसे ऊँचा था वैसे तो मंजू का माकन भी बड़ा था फिर भी मीणा का घर काफी बड़े एरिया में बना हुआ था उसके सामने मंजू का घर काफी छोटा लगता था, वो ४ बहने थे बाकि सारी बहने उससे करीब १२ साल छोटी थी दरअसल वो सब उसकी दूसरी माँ की संतान थी मीना की माँ नहीं थी, मीना के घर में नीचे प्रिंटिंग प्रेस चलता था और दूसरी मंजिल में वो सब रहते थे तीसरी मंजिल में दो कमरे में गोदाम था और 4th फ्लोर में छत, शाम को जब मैं अपनी छत पे गया तो देखा की मीना खड़ी है तो उसने मुझे घर आने का इशारा किया मैं फटाफट उसके घर गया तो उसकी सौतेली माँ ने पुछा कहाँ जा रहा है? मैंने कहा पतंग लूटने कह कर भाग लिया पर उनके बड़बड़ाने की आवाज़ सुनाई देती रही तब तक मीना नीचे आ गई और मेरे से चिपक के मुझे चूमने लगी मैं भी साथ देने लगा फिर मैंने पुछा क्या सोचा करोगी मेरे साथ?

मीना -- हाँ रे वादा किया न तेरे से

आशु -- आपको निरोध पता है क्या होता है?

मीना -- हाँ मैंने पढ़ा है के बारे में उससे लड़की माँ नहीं बनती

आशु -- हाँ वही तो हम उसको लगा कर करेंगे

मीना -- हाँ मैं पापा के कमरे से उसको निकाल लुंगी तेरे को पता है उसको कैसे लगाते है?

आशु -- नहीं आप मत निकलना पकड़ी गई तो सब गड़बड़ हो जाएगी मेरा एक दोस्त है वो मुझे गांव से ला के देगा

इतना तो आप समझ ही गए होंगे की 16 से 18 साल की उम्र (वो भी बिना इंटरनेट के) में सेक्स के बारे में जानने की लड़के और लड़कियों में कितनी उत्सुकता होती है हम दोनों की कमर के नीचे का हिस्सा छत की दीवाल से ढाका हुआ था तो मैंने उसकी बुर छूने की कोशिश करने लगा तो मीना ने मेरा हाथ पकड़ के कहा की मेरे माहवारी आई हुई है

अब ये माहवारी क्या होती है ये अलग विषय सामने आ गया खैर मीना ने मुझे समझाया शायद आप लोगो को इस बारे में ज्ञान देने की जरूरत नहीं है

तभी उसने बोला की हम दोनों सोमवार को उसी गांव में फिर से चलेंगे पापा ने इज़ाज़त दे दी है और मुझे साथ ले जाने को बोला है पर रुकने को मना किया है पापा कल सरपंच से बात करेंगे फिर देखते है

मेरा मासूम सा चेहरा जो मुझे मेरी उम्र से मुझे छोटा दिखाता था और शायद यही कारण था की मोहल्ले में कोई मुझे बड़ा और एडल्ट मानने को तैयार भी नहीं था और मैं बेरोकटोक सब जगह चला जाता था सबको लगता था की मैं अभी बच्चा हूँ पर ये बच्चा कितना गुल खिला रहा था ये किसी को नहीं पता था मोहल्ले की 3 लड़कियों के जिस्म से मैं खेल चुका था, अगले दिन बाद संजय ने मुझे 4 निरोध ला के दिया मेरा दिल तो ख़ुशी से झूम उठा उसको मैंने अपनी किताबों की अलमारी में छिपा दिया

रविवार को मीना के पापा आये और पापा से कुछ बात करने लगे मैं तो डर गया कही इस लोगों को कुछ पता तो नहीं चल गया खैर थोड़ी देर में पापा ने बुला के कहा की कल तुम मीना को लेकर उसी गांव में चले जाना और रुकने की व्यवस्था अच्छी न हो तो वापिस आ जाना दूसरे दिन फिर चले जाना

मैं तो खुशी से पहला नहीं समाया मेरी तमन्ना जो पूरी होने वाली थी

इतना तो पता था की मीना को सेक्स के बारे में पता होगा की लण्ड को बुर में कैसे डालते है क्युकी उसके साथ उसके कॉलेज में कई शादी शुदा भी लड़किया थी

सोमवार को हम दोनों सुबह सुबह निकल गए मीना का तो पता नहीं पर मैं तैयारी के साथ था निरोध रख लिया था

घर से दूर से होते ही मीना मेरे से चिपक गई मैंने मीना से पुछा कब अंदर डलवाओगी तो मीना बोली की मन तो मेरा आज का ही है देखते है

मैंने पुछा आपको पता है कैसे करते है

मीना बोली हाँ मैंने अपनी सहेली से पुछा था तो उसने बताया था, साथ ही ये भी बोली की पहली बार में खून निकलता है दर्द भी होता है बहुत पर थोड़ी देर में अच्छा लगने लगता है

मैंने पुछा दर्द कैसा दर्द?

तो मीना बोली मेरे को क्या पता? आशु मुझे बहुत डर लग रहा है कुछ गड़बड़ तो नहीं होगी ना

आशु -- मुझे पता नहीं आप तो मेरे से बड़ी हो आप डर रही तो मैं कुछ कैसे करूँगा

मीना -- बड़ी हूँ मैं फिर भी तेरा बहुत बड़ा है और मैंने देखा था मेरा छेद तो छोटा सा है

आशु -- आपने वो किताब में देखा था न कैसे कितना मोटा सा उसके अंदर घुसा हुआ था

मीना -- हाँ रे तेरे को ये सब कहाँ से मिलती है तू तो बहुत बदमाश हो गया है इतनी सी उम्र में

बात करते करते हम दोनों गांव पहुंच गए सबने बहुत अच्छे से हम दोनों का आदर सत्कार किया गुड़ और पानी पी कर मीना बच्चों को पढ़ाने लगी मैं इधर उधर घूम रहा था तभी वो ही आदमी आया आइये मैं आपको आपका कमरा दिखा देता हूँ

वहां एक कमरा था कमरे के सामने एक खुली जगह थी उसके आगे एक दिवार थी उसमे भी एक दरवाजा था इसको आप आँगन कह सकते हो कुछ कच्चा सा था कमऱा भी मिटटी से लीपा हुआ नीचे फर्श भी मिटटी का ही था बस दिवार ईट की थी जिसपर मिटटी पोती हुई थी एक दरवाज़ा था जमीन में २ गद्दे बिछे थे जिसमे एक साफ सी चादर थी हाँ नहाने के लिए छोटा सा बाथरूम था, कमरे के सामने की खाली जगह में, जिसमे पर्दा पड़ा था कुल मिला के पर उस मकान के आस पास कोई दूसरा मकान नहीं था मकान के तीन तरफ खेत थे वो व्यक्ति बोला की ये सारे खेत उसके है और जब मैं खेत में रुकता हूँ तो इस मकान में रहता हूँ आप को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी कुल मिला के देखे तो काफी सेफ और ठीक जगह थी और एकांत में भी थी किसी बात का कोई डर नहीं था और कोई देखने वाला भी नहीं था हाँ गांव में इस तरह रात कभी बीते नहीं थी सो अजीब सी फिल्लिंग्स थी

फिर मैं उसके साथ स्कूल चला गया वहां से 4 बजे फ्री जब हुए तो सरपंच जी के यहाँ खाना था हम करीब 7 बजे तक खाना खा के उसी मकान में आ गए इस बीच सरपंच जी ने भी मीना के पापा से बात करके उसको हम दोनों का के लिए परेशान नहीं होने को बोला

एक बात तो थी जो अपनापन उस समय में था विस्वास था वो शायद आज काम ही देखने को मिलता है

वो आदमी जो हमको, जिसका मकान था उसने एक टोर्च दी और कहा की दोनों दरवाज़ा अच्छे से बंद कर लेना लाइट तो थी नहीं एक लालटेन थी जिसकी पीली रौशनी में हम दोनों एक दूसरे को देख के मुस्कराय

मीना ने कहा तू बाहर जा जब मीना ने दरवाज़ा खोला तो देखता हूँ की वो साडी में खड़ी थी गोरा पेट पतली कमर, उसको हमेशा सलवार सूट में देखा था सो साड़ी में देख कर मैं तो हक्काबक्का रह गया

साड़ी में उसका बदन खुला खुला नज़र आ रहा था गोरा बदन गहरी नाभी तनी हुई चूचियां,लम्बी गर्दन सुर्ख होंठ कयामत सी लग रही थी इसमें कोई शक नहीं की मंजू, अंजू, से मीना ज्यादा खुबसुरत थी भरपूर जवान जिस्म  की थी मेरे लिए वो एक सपने के सामान था मीना की चूची दोनों से ज्यादा बड़ी और भरी हुई थी मीना उन दोनों से बड़ी थी पर थी पर वो भी मासूम सी थी दोनों के जैसी जिनको सेक्स का abcd उसको भी नहीं पता था कमसिन कुवारी अछत यौवन था उसका मैं अंदर आया तो उसने दरवाज़ा अच्छे से बंद कर दिया और मेरे पास आ गई

एक चीज़ जो मैंने इतने सालों में नोट की की लड़किया जब पहले बार चुदाई करती है है तब वो साड़ी में भरपूर श्रृंगार करना पसंद करती है, ये बात तब लागू होती है जब कोई प्लान करके चुदाई करता है, वैसे अच्चानक पहले दूसरी या तीसरी चुदाई का मौका मिल जय तो कुछ भी पहन के चुद लो या छोड़ लो क्या फर्क पड़ता है थोड़े देर में तो सब कपडे एक तरफ पड़े होंगे, मुझे लड़किया साडी में बेहद कामुक उतेज़क और सेक्सी लगती है

मीना लालटेन की पीली रौशनी में इतनी खूबसूरत लग रही थी की में खुद बेकाबू सा हो गया

मैंने मीना को जोर से पकड़ा की वो खुद को संभाल भी न पाई मेरे साथ जमीन पे बिछे गद्दे पे गिर गई

मैं उसके ऊपर आ गया मना का जिस्म मेरे जिस्म के नीचे था ऐसा लग रहा था की खवाब देख रहा हूँ मीना के रसीले होंठों को मैंने चूसना शुरू किया तो मीना ने भी मुझे गनगना के पकड़ लिया और मेरा साथ देने लगी, आग तो दो नौसिखियों को लगी थी, साथ ही ये भी पता था की ऐसा मौका दोबारा शायद न मिले सो आज क्यों न फायदा उठाया जाए

हम दोनों एक दूसरे काफी देर तक किस करते रहे कभी होंठ तो कभी गर्दन तो कभी ब्लाउज़ के ऊपर जिसे क्लीवेज कहते है वहां.., मीना और मैं दोनों ही सबसे बेखबर अपने सेक्स के ज्ञान को एक दूसरे पे आज़मा रहे थे

मैंने भी उसकी चूचियों को दबाना शुरू किया तो उसके अधरों से सिसकारियां छूटने लगी आह ह ह ह आ आ उफ़ आशु शु शु शु शु शु धी धीधीधीधी रे रे रे रे दर्द ददददद करता है 

आह्हह्ह ओह्ह्ह आऊचच्च्च

उम्म्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह्हं……

मीना ज्यादा खुबसुरत थी भरपूर जवान जिस्म की थी मेरे लिए वो एक सपने के सामान था मीना की चूची अंजू और मंजू से ज्यादा बड़ी और भरी हुई थी मीना उन दोनों से बड़ी थी पर थी पर वो भी मासूम सी थी, अंजू और मंजू के जैसी, जिनको सेक्स का ABCD उसको भी नहीं पता था कमसिन कुवारी अछत यौवन था उसका,

साड़ी तो अस्तव्यस्त हो चुकी थी, बाल बिखर चुके थे, भीगे होंठ मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए लाल ब्रा थी आज कल के जैसी डिज़ाइनर नहीं थी पर उसकी चूची उसमे उभर के आ रही थी ब्रा के ऊपर की क्लीवेज में मैंने अपने गीले और गर्म होंठ लगा दिए मीना सिसक सी पड़ी

उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह कह कर मेरे बालों से सर को पकड़ कर अपनी चूची को दबा दिया गर्मी सी लगने लगी थी मैंने अपनी शर्ट उतार दी और मीना की साड़ी भी खीच के अलग कर दी मीना पेटीकोट और खुले ब्लाउज में और मैं निक्कर में, सपाट पेट को मैं चूसने लगा मीना सिहरन से कांप रही थी हर चुम्बन पे मीना की सिसकी बढ़ जाती 

वो आह्ह आआ ऊओऊऊच ऊउईइम्म्मांउम्म्ह्ह्ह उफ्फफ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह्ह्हं……

आशु कुछ हो रहा है

मेरा लण्ड भी सॉलिड खड़ा था मीना ने भी उतेज़ना वश उसको पकड़ लिया और मेरा पेंट खीचने लगी कुछ ही पल में मेरा जिस्म नंगा था, हम दोनों ऐसे चिपके थे जैसे गोंद से चिपका दिया हो मीना मेरा लण्ड को हथेली में जकड के मुठ मार रही थी मैंने भी मीना का ब्लाउज उतार दिया साथ में पेटीकोट भी वो मेरे सामने लाल ब्रा और वाइट पैंटी में थी जहाँ तक मुझे याद है पैंटी उसकी गीली सी थी

लालटेल की पीली रौशनी में मीना का बदन कुंदन सा दमक रहा था। मैंने उसको पेट के बल पलट दिया और उसके चूतड़ पे बैठ कर कमर से दोनों हाथ डाल के उसकी चूची दबाने लगा, साथ में उसपे झुक के उसकी गर्दन को चूमने लगा

उफ्फ्फ आशु बहुत अच्छा लग रहा है तू तो बहुत कुछ जानता है आअह्ह बस ऐसे ही करो आह आ आ आ ऊओऊऊच ऊउईइम्म्मां

‘’आह्ह्ह ओह्ह्हउफ्फ्फ्फ्फ़. उईई मम्म्मऔर जोर से आशु … आह्ह.. जोर से मजा आ गया…”

आह्हह्ह. आराम से दर्द भी होता है आशु धीमे दबाओ न उउउ उ उ उ ई ई ईई

मैंने उसकी ब्रा खोल कर उसको एक तरफ फेंक दिया मेरा लण्ड उसकी गांड में पैंटी सहित घुसा जा रहा था

मैंने उसको घुमा दिया और उसकी मोटी चूची अपने मुँह में भर के चूसने लगा, याद तो ज्यादा नहीं पर चूसना कैसे है, ये भी पता नहीं था सब कुछ खुदबखुद होता जा रहा था यकीन मानो सेक्स की कला किसी से सीखनी नहीं पड़ती खुदबखुद अपने आप आ जाती है और समय के साथ उसमे परपक्वता आ जाती है

मीना -- ओह आशु ये क्या कर दिया उफ्फ्फ्फ़ इस बीच मीना ने पैंटी खुद ही उतार दी और कमर उचका के अपनी बुर को मेरे लण्ड पे रगड़ने लगी, हम दोनों ही नंगे एक दूसरे से लिपटे एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे

‘’आआ.ई ईई ईईई ज़ऊऊर् या आ आ आ. आ आ आ आ अहहह एम्म्मएम्म्म. और जोर से चूसो या आ आ आमैं लॉलीपॉप की तरह उसके चूचियाँ चूसने लगा।

आशु, बड़ा मजा आआअहहह रहा है आ आहई ई ई ई

काटो मत इ इ आउच ई ई ई ई आह ऐसे ही करो आ आ शु शु शु शु  बस करते रहो

चूत लण्ड की रगड़ से मीना जोर जोर से कांपने लगी उसके चूतड़ जोर जोर से उछलने लगे कभी वो पूरी पीठ को धनुष के आकर में उठाने लगी उसने मेरे कमर में अपने पैरो में दाल कर कैची जैसा जकड़ लिया मेरे सर को पकड़ के चूचियों में दबा के जोर से चीखी

अह्हह्ह्ह्ह आशु कुछ निकला ला ला ला ला ला ओ ओ ओ ओ माँ आ आ आ आ आ आ आ कुछ हो रहा है ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई

हाययय आऊऊच्…… उइ मां आहाह्ह. श्श्श्ष्ह्ह्ह्वाऊउ हाय्य्य्यश्श्श्श्शह्ह्ह्ह्ह्

कहते हुए मीना ने हमको जकड़ सा लिया और शिथिल सी पड़ गई तब तो पता नहीं था पर बाद में पता चला और समझ में आया इसको ओर्गास्म कहते है जो मीना ने पा लिया था

मीना लम्बी लम्बी सांसे ले रही थी उसकी तेज़ धड़कन मेरे कानो में आज भी गूंजती है मेरा लण्ड  चूत के रस से भीगा था कुछ समय के बाद मीना ने आंख खोल के मेरी तरफ देखा और मेरे होंठ को चुम के बोला ''तेरे से प्यार हो गया, तू मेरे से बड़ा होता तो तेरे साथ शादी कर लेती'' कह कर मेरे पूरे चेहर पे को चूमने लगी फिर मीना मेरे ऊपर आ के मेरे सोये हुए लण्ड पे बैठ के मुझे चूमने लगी, चूत के रस और गर्मी से मेरा लण्ड एक बार फिर अपने आकार में आने लगा मीना मेरे होंठ गर्दन सीना चूमती हुई मेरे निप्पल को चूमने लगी मेरे अंदर भी एक सिहरन सी होने लगी ये मेरे साथ पहली बार हो रहा था मंजू के साथ कभी ऐसा नहीं किया था चूत से निकलता रस मेरे लण्ड को गिला कर रहा था चिकनाई से लण्ड चूत की दरार में फिसल रहा था

उफ्फ्फ ये अहसास अह्ह्ह क्या अहसास था

मेरा लण्ड पूरा चूत के रस में भीग के चूत में जाने को बेकरार था शायद मीना भी बेचैन हो गई थी तो वो खुद ही लेट गई और पास में रखे बैग से कुछ निकला ओह्ह उसने तेल निकला था नारियल का और मेरे लण्ड पे लगाने लगी और अपनी चूत में भी खूब सारा लगाया पीली रौशनी में लण्ड तेल में नहाया हुआ चमक रहा था मैं भी उसकी चिकनी टांगों के बीच बैठ गया और उसकी चूत में एक ऊँगली डाल दी  मीना चिहुँक सी गई और एक सिसकी सी ली आआआआअहह

मैंने तेज़ी सी ऊँगली को अंदर बाहर करना शुरू किया ये मुझे मंजू ने सिखाया था कुछ ही पल में मीना के चूतड़ उछलने लगे और सिसकी भरने लगी उफ्फ़ आह.. आह आह म्म्म्म.. आह आह मा ऊऊऊऊईईईम्म्म्मा आआआअ

आशु कुछ करो मैंने ऊँगली निकल के लन्ड को चूत के पास लगाया था की वो फिसल गया शायद तेल और चूत के रस के कारण दोनों ही अनाड़ी थे बस इतना पता था की जहाँ ऊँगली करते है वहाँ लन्ड डाला जाता है

थोड़ा सोच के मैंने लन्ड को पकड़ा और थोड़ा चूत की लकीर को फैलाया तो वहां गुलाबी छेद दिखने लगा मैंने उसमे अपना लन्ड फिट कर दिया

उफ्फफ्फ्फ़ माथे पे पसीना आ गया मेरा पहला सम्भोग शुरू होने वाला था थोड़ी हड़बड़ी और थोड़ा डर  के बीच मैंने लन्ड को गुलाबी चूत के छेद में सरका दिया और मेरे लन्ड का सूपड़ा फस गया मीना की चीख    निकलते निकलते बची पर उसकी आंखे फ़ैल सी गई

 आआईईईईईईईई आअह्ह्ह्ह उफ्फ्फफ्फ्फ़ अहह हह हह हां मैंने डर से लन्ड चूत से निकाल लिया

मीना तुरंत बोली क्यों निकला डालो ना

मैंने फिर से लन्ड फसा कर वैसा ही किया अबकी बार लन्ड थोड़ा ज्यादा गुलाबी चूत में चला गया

मीना --  ईईई ईई ईई आआआ ऐई ईई ईइ हा ययय आऊऊच्…… उइ मां आहाह्हइफ्फ्फफ्फ्फ्फ़ ओह्ह्ह आईईईई धीधी धी रे रे रे रे  आशु शु शु

पर मैंने मन बना लिया की अब नहीं निकलूंगा सो लन्ड को धीरे धीरे अंदर डालता गया आधा लन्ड गया था की मीना चीखने लगी

निकालो इसको मर जाउंगी मैं निकालो प्लीज निकालो आशु

मैंने भी डर से थोड़ा सा लन्ड बाहर निकला पर थोड़ा अंदर ही रहने दिया

मेरे थोड़ा निकालते ही मीना की जान में जान आई आहआह हाँ अब ठीक है मेरा भी उतेज़ना के मरे बुरा हाल था पर घबराहट इतनी थी की कुछ समझ में नहीं आ रहा था सो मैंने सोचा की एक बार में ही पूरा डाल देता हूँ जो होगा वो देखा जायेगा

सो मैंने सास खींच के अपने चूतड़ पीछे किए और मीना के कन्धों को पकड़ के जोर से शॉट लगाया

मेरी चीख के साथ मीना की भी तेज़ चीख निकली पर पूरा लन्ड अंदर जा के फस गया

आशु -- आआ अहहह आआहईईईई

मीना – ”उई माँ आ आ आ आ मर गई ई ई ई ई मार डाला आशु तूने, नहीं करना मुझे निकालो”

मुझे उसकी चूत से कुछ बहता हुआ सा लगा मैंने अपना हाथ नीचे जा के टटोला तो हाथ में कुछ खून सा लगा दिखाई दिया जो लिसलिसा सा चूत के रस में मिला हुआ

पर एक चीज़ समझ में आई की पूरा लन्ड चूत के अंदर था इन सब में कुछ सेकेंड निकाल गए, तब तक मीना भी थोड़ा चुप सी हो गई थी पर मेरा लन्ड रॉक सॉलिड उसकी सकरी सी चूत में फसा हुआ था मैंने उसको थोड़ा बाहर निकाल के फिर से अंदर डाला

उइ मां आहाह्ह

फिर ऐसा ही कई बार किया तो मीना की दर्द भरी आवाज़ सिसकारियों में बदल सी गई

आह्हह्ह ओह्ह्ह आऊचच्च्च ओह्ह माय गॉड आह हाँ हाँ हाँ आ हाँ ओह्ह हां ये ये ये ओह्ह आअह उफ्फ अच्छा  लग रहा है फ्फ्फ़ उफ्फ्फ “आआ।ई ईई ईईई  आराम से आशु

मीना मेरे हर धक्के पे अपना सर कभी दाएं कभी बाएं करती एक हाथ मेरी कमर पे दूसरा चादर को पकड़े था मैंने उसकी उठी हुई टांगों को पकड़ के लन्ड को चूत में पिस्टन की भांति चला रहा था कमरा सिसकारी से भर गया था

हाययय आऊऊच्वाऊउ उइ मां आहाह्ह श्श्श्ष्ह्ह्ह्…… हाय्य्य्यश्श्श्श्शह्ह्ह्ह्ह्

लन्ड सट-सट..सट-सट...सटा.....सटचूत में अंदर हो रहा था

आआ ऊओऊऊच ऊउईइम्म्मांउम्म्ह्ह्ह करने उह्ह्ह्ह्ह्हं……आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्

सेक्स की भाषा और कला किसी को सीखनी नहीं पड़ती हम दो अनाड़ी खुदबखुद सीख कर लय से लय मिला के आगे बढ़ चले

तभी मीना ने मुझे खींचा और मेरे होंटो से अपने होंठ जोड़ दिये

मेरा लन्ड चूत में अंदर जाता फिर बाहर आता

पसीने से तरबतर दो नग्न जिस्म एक दूसरे में समां जाने को आतुर थे

आअह ओह्ह मीना आ आ आ आ आ अहह हह हह आह्ह आह्ह आह्ह आह आह आह आह

और मीना की चीख तो मेरे से भी तेज़ थी

ओह्ह आ आ आ शु शु आह अच्छा लग रहा है और तेज़ करो जल्दी। जल्दी करो आह्हह्ह ओह्ह्ह आऊचच्च्च जा ल ल दी करो …। आह्ह्ह मैं मर गयी ईईईइ। आः ह्ह्ह्ह   उफ्फ्फ्फ्फ़। तू तो बहुत मस्त है रेओह्ह्ह आह्हह्ह !”

एई ईएई ई आह अच्छा लग रहा है

करते रहो रुकना नहीं

चूत के पानी से मेरा लन्ड चिकना हो के सटासट अंदर बाहर हो रहा था मेरे आंड उसके चुतर से टकराते

चूत का पानी से एक अजीब सी आवाज़ कमरे में हो रही थी फच फच फच फच फच फच “आह्हह्ह आराम से आशु… तुम्हारा बहुत मोटा है” हह एई उफ्फ्फ उफ़ उफ्फ्फफ्फ्फ़ उफ्फ्फ आह आह हह ई ई ई ई ऐ आई माँ

मैं तो हाफने लगा था सारे बदन का खून जैसे लगा एक जगह इक्कठा हो रहा है

बस ऐसा लगने लगा की जिस्म से जान निकाल रही है मेरा लन्ड भी फूल सा गया था दर्द भी कर रहा था मैं भरभरा कर मीना के ऊपर गिर पड़ा मेरे लन्ड का रस निकाल कर निरोध में इक्कठा हो रहा था मीना मेरे को पैरो से और बाँहों में जकड़ सा लिया उसकी भरपूर चूचिओं पे गिर कर मैं हाफने लगा सांसे तो अनियंत्रित थी काफी समय लग गया हम दोनों सांसों को सँभालने में फिर मैं उसके बगल में गिर गया

दो जिस्म नग्न एक दूसरे से सटे हुए लन्ड मेरा निचुड़ कर छोटा सा हो गया था मैंने निरोध हटाया और वही किनारे फेक दिया

काफी देर बाद मैंने मीना को चुम के बोलै मीना मेरी जान हो गया

तब मीना बोली -- ''आशु मेरी तो जान ही निकाल गई थी बीच बीच में ऐसा लगता था की मेरे अंदर से सब कुछ निकाल गया पर बहुत मज़ा आया" कह कर मुझे बाँहों में भर कर चुम लिया मै रह रह कर मीना की चूची सहला रहा था उसके लिप्स को चुस्त रहा फिर लन्ड खड़ा हो गया पर जान नहीं थी जिस्म में सो आंख लग गई लेकिन हम दोनों ने करीब आधी रात को एक बार और बहुत सबेरे एक बार फिर सम्भोग किया

उस समय तो बस खेल लग रहा था पर एक दो साल बाद जब परिपक्वता आई तो समझ में आया की जो मीना कह रही थी उसका मतलब वो पहली बार में कम से कम हर बार झड़ चुकी थी

फिर ये भी पता चल गया की सेफ पीरियड कब होता है कब बिना निरोध के चुदाई कर सकते है

पर ये अनाड़ी वाला अनुभव आज भी दिलों में जिन्दा है

इसके बाद हम वापस आ गए पर दोनों एक अन्य अनुभव के साथ इस अनुभव से मैंने मीना के घर पे मंजू को चोदा मीना की मदद से फिर मंजू के घर पे अंजू को चोदा अंजू और मंजू को एक साथ चोदा ये सब आपको बताऊंगा