ये एक काल्पनिक कहानी है
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ये कहानी वैसे तो मेरे साथ की है पर लिखा इसे मेरी एक फैन ने है... जिसका नाम
ऋचा झा है... ऋचा एक २२ साल की बिंदास लड़की है जो दिल्ली से है वो इतनी बिंदास लड़की
थी की मुझे खुद आश्चर्य हो रहा था, मेरे को उसने एक मेल भेज था और मेरी पंजाबी गर्ल
वाली कहानी की बहुत तारीफ करी थी.. मैंने उसको रिप्लाई भी दिया था... करीब ३ महीने
तक हम दोनों इमेल्स से बात करते रहे.. और फिर हैंगआउट से बात करना शुरू किया वो पूरा
दिन हैंगआउट पर रहती कभी कभी तो मुझे बहुत गुस्सा आता उसपर क्योंकि मेरा काम और ऑफिस
सब डिस्टर्ब हो जाता था... पर प्यार भी आता था उसपर..क्योंकि वो मेरी एक फैन थी.. मासूम
सी थी वो..पर कुँवारी नहीं थी..मैं चाहूंगा की आगे की बात आप ऋचा से सुनी....
हाई दोस्तों मैं ऋचा झा हूँ.. दिल्ली से हूँ २२ साल
की हूँ मैं अन्तर्वासना की शौक़ीन नहीं हूँ मेरी किसी दोस्त ने मुझे अल्हड़ पंजाबन लड़की संग पहला
सम्भोग का लिंक भेज था मेरी वो दोस्त (लड़की दोस्त) इस साइट के बहुत बड़ी फैन हैं और
वो रोज़ यहाँ कहानी पढ़ने आती हैं...मैंने जब राहुल जी की वो कहानी पढ़ी तो मेरे होश उड़
गई सच बोल रही हु इतनी बारीकी से कहानी को
लिखा की मैं पागल हो उठी..और फिर रोज़ रोज़ उस कहानी की मैंने कई बार पढ़ा..और फिर मैंने
राहुल जी को एक मेल किया
मैं बहुत ही बिंदास लड़की हु मेरा अंदाज़ बहुत निराला है लड़के मेरे इसी अंदाज़
पे मर जाते है,, पर मुझे लड़को को तड़पना बहुत
पसंद है मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है.. मैं अपनी रूप से हर किसी को दीवाना बना लेती
हु मेरी चूची 34B कमर 28 और चूतड़ 34 है...मैं कुवारी नहीं हु.. मेरे को सेक्स का ज्ञान
मेरे हर्ष सर ने दिया मुझे सिर्फ और सिर्फ हर्ष सर ने ही भोगा है..
तब मैं सिर्फ 18 की थी उस वक़्त मैं बहुत मासूम सी थी सम्भोग क्या होता है ये
नहीं पता था हाँ सेक्स के नाम पर बस ये पता था की कोई लड़का यदि चूची दबाये या बदन को
सहलाये तो मज़ा आता है और लड़की चूची को छूने के लिए कुछ भी कर सकते है पर जैसे ही मैं
सेक्स के बारे में और उसकी मज़े के बारे में जाना तब से हर्ष सर क्या और कोई
लड़का मुझे नहीं भोग सका.. शायद कच्ची उम्र में हर किसी से गलती हो जाती है.. मेरे से
भी हुई पर इस सेक्स ज्ञान ने मुझे बहुत बिंदास बना दिया,,,मेरा रंग गोरा है दूध सा..
बड़ी बड़ी काली काली आँखै.. गर्दन तक मेरे बाल..लाल मेरे होंठ, सपाट पेट, चिकनी और लंबी
भरी भरी टाँगे.. मस्त भरी हुई जांघ
मैं आपको अपनी
पहली चुदाई की बाते सुनाती हु कैसे मेरी पहली चुदाई हुई...
तब मैं 18 साल
की थी और 12 की स्टूडेंट थी मेरी क्लास में अटेंडेंस काफी कम थी और मेरे इंटरनल पेपर
में भी मार्क्स कम आये थे तब मैंने हर्ष सर से
संपर्क किया
हर्ष सर करीब
28 साल के मस्त एथेलेटिक बॉडी वाले थे..स्कूल की हर लड़की उनकी दीवानी थी चौड़ी छाती, गठीला बदन, भरी हुई बाहें,
कुल मिला के हर्ष सर एक मस्त और जवान मर्द थे और मैं भी उनकी दीवानी थी मुझे अपनी जवानी
पे बहुत गर्व था मेरे चेहरे की मासूमियत में हर कोई खो जाता था... मुझे मेरे गोरे गाल पतली कमर और चौड़ी गांड पे बहुत यकीन था ... मैंने हर्ष सर को टीज़
करके फायदा उठाने की सोची...तब मैं सेक्स के अधूरे ज्ञान को पूरा ज्ञान समझती थी...
सेक्स ज्ञान मतलब होंठ चूसना चूची दबाना कमर सहलाना... जैसा कुछ..पर मैं कितना गलत
थी ये मुझे बाद में पता चला सो मैंने उनसे संपर्क किया...और रिक्वेस्ट की मेरा फेवर
करे...
उस दिन जब मैं
उनके स्टाफ रूम में गई तो अपनी शर्ट का ऊपर का बटन खोल दिया था मेरी सफ़ेद ब्रा साफ
दिख रही थी मेरी गोरी गोरी स्किन से मेरी चूची के बीच की दरार साफ साफ वो देख सकते
थे उस दिन मैंने अपनी पुरानी स्कर्ट भी पहनी थी जिसमे मेरी जाँघे भी दिख रही थी...सर
के चेहरे से साफ दिख रहा था की वो मेरे रूप के जाल में फस रहे है .. सर की अभी शादी
नहीं हुई थी और वो एक कमरे के मकान में रहते
थे शाम को ट्यूशन भी लेते थी... मैंने भी उनको कहा की मुझे वो अलग से पढ़ा दे वो मान
गए ... मैं भी एक कातिल से मुस्कान उनको दे दी और उनकी बाँहों को जोर से पकड़ कर थैंक्स
बोली...
सर आप जो कहेंगे वो मैं करुँगी बस आप मुझे पास करवा
दो.. जिसके सहारे मैं
बोर्ड का एग्जाम दे सकूँ जो फीस मांगोगे वो मैं दूंगी...मैं जानती थी की मेरा जादू
उनके ऊपर चल गया है सोचा थोड़ी ऊपर से जिस्म सहलावा दूंगी मेरी चूची दबा लगे सर तो मेरा
काम बन जायेगा मुझे फिर भी कही न कही डर था की कहीं किसी को पता न चल जाय या मेरे घर
में किसी को पता न चल जाय...पर मैं गई उनकी पास
शाम को मैं खूब
सज़ के उनकी घर गई.. शार्ट पेंट और टी शर्ट पहन कर..मेरी गोरी मसल जांघ और मेरी 32 साइज
की चूची साफ दिख रही थी पिंक टी में से ब्लैक ब्रा साफ दिख रही थी... मैं भी ऐसे टाइम पर गई जब उनकी क्लास ख़तम होने
को थी थोड़ी देर में सारे स्टूडेंट चले गए...
अब मैं और हर्ष
सर घर में अकेले थे... मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था ,, शरीर में कम्पन था डर के
मारे हर्ष सर की तो और भी हालात ख़राब थी...उसका मुह खुला का खुला रह गया मेरे को देख
कर शायद मैं उस दिन बहुत हसीं और सेक्सी लग रही थी.. मेरे निप्पल डर से बिलकुल खडे
हो गे थे...जो टी से साफ साफ दिख रहे थे तभी मेरी नज़र उनके पेंट पर गई.. वहां कुछ उभर
सा था अचानक हर्ष सर ने वहां हाथ ला कर कुछ एडजेस्ट किया ...
हर्ष सर..बताओ
क्या पढ़ना है..
रिया सर मैथ्स
ओके बोल के वो
मुझे चैप्टर समझाने लगे..फिर मुझे कुछ सवाल दे कर वो बोले की तुम ये सवाल करो तब तक
मैं कॉफ़ी बना के लाता हु
रिया.. अरे सर
आप क्यों बनाओगे.. मैं बना कर आप को पिलाती हु कह कर मैं किचन की तरफ बद गई और उनको कुछ बोलने का मौका नहीं दिया..फिर
वो मेरे पीछे आ कर खडे हो कर ऊपर से कॉफ़ी और चीनी निकल के दी.. तब उनका लण्ड मेरी गांड
में लगा दिया.. मैं सिहर के उनकी लण्ड से अपनी गांड सटा कर ग्रीन सिग्नल दिया...सर
भी थोड़ी देर तक वैसे ही खडे रहे...फिर वो अंदर चले गई...मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा
थी की आगे कैसे टीज़ करू और इसी सोच में मैं कॉफ़ी कप में निकलने लगी... तभी बेखयाली
में अंत में कुछ कॉफी किचन स्लैब में गिर कर मेरी जांघ में गिर गई.. मैं जोर से चिल्लाइ
आई ओह्ह्ह्ह्ह
माँ
सर दौड़ कर आए
तब तक मैं जलन के मारे फर्श पर बैठ गई थी... मेरी जांघ लाल हो गई थी वैसे मुझे इतना
दर्द नहीं हो रहा था जितना मैं नाटक कर के रो रही थी..
सर घबरा कर मेरे
पास आए पुछा की क्या हुआ
मैं बोली की
कॉफ़ी गिर गई मेरे पैर बहुत जल रहा है..
सर.... ओह्ह
मैं अभी दवा लगा देता हु कह कर मुझे उठाने लगे पर मैं दर्द से चिल्ला कर फिर से बैठ गई... अब हर्ष सर के सामने कोई और दूसरा रास्ता
नहीं था तब उन्होंने मेरी कमर से मुझे उठा लिया मैं भी अमर बेल के तरह उनसे लिपट गई
...मेरी बाहें उनकी गर्दन पर.. और मेरी चूची उनकी छाती से दब गई थी... उनकी और मेरी
सांसे एक दूसरे को उतेजित कर रही थी.. यह मेरा पहला पुरुष स्पेर्श था..तभी मुझे चूत
से कुछ निकलता प्रतीत हुआ..मेरी पैंटी गीली होने लगी..
कुछ ही पल में
सर ने मुझे दीवान पर लिटा दिया सर दवा ले कर आए और बोले लो लगा लो.... मैं बोली सर
आप लगा दो
सर थोड़ी से हिचकिचाहट
के बाद मेरे पैर अपनी गोदी में रख कर वही दीवान पर बैठ गई... ऊँगली में दवा ले कर मेरे
लाल निशान पर लगाने लगे.. उनकी स्पेर्श से ही मेरी सिसकारी छूट गई.... आआह्हः
सर.. क्या हुआ...
मैंने शर्म से आँख बंद कर बोली कुछ नहीं आप लगाओ बहुत अच्छा लग रहा है.. ठंडा ठंडा
सर को भी थोड़ी
हिम्मत आ गई.. शायद वो समझ गए की मैं कोई बुरा नहीं मानूगी...और फिर वो पूरी हथेली
से मेरी जांघ सहलाने लगे.. मैं तो आसमान में उड़ रही थी मेरे शरीर में सनसनी से दौड़
रही थी चूत से कुछ निकलता हुआ लग रहा था... सर का हाँथ अब आसानी से मेरी चिकनी जांघ
पैर फिसल रहा था
मेरा जिस्म उनके
स्पेर्श से सिहर रहा था और मैं आनंद के सागर में थी की मेरी आंख बंद थी...कि अच्चानक
उनका हाँथे जांघ से ऊपर की तरफ बढ़ता हुआ लगा मैं साँस रोक कर अगले पल का इंतज़ार कर
ने लगी .. वो मेरी चूत के पास पहुच कर रुक गई.. शायद वो मेरा रेअक्शन देख रहे थे पर
मैं आंख मुंड कर अगले पल का इंतज़ार कर रही थी... की उनका हाथ मेरे शॉर्ट पेंट के अंदर
जाता महसूस हुआ,, और मैं सिहर उठी...
फिर उनका हाथ मेरी पैंटी को छूने लगा सर में मेरी
और देखा हम दोनों की आंख मिली और मैं शर्म से आंख बंद करली सर भी समझ चुके थे थी मेरी
तरफ से कोई विरोध नहीं होगा...अब वो मेरी चूत की दरार पे सहला रहे थे...
आह्हः उफ्फ्फ्फ़ सर... प्लीज मत करो ओह्ह्ह सर अच्छा
लग रहा है.. आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह
तभी उनकी उँगलियों ने मेरी पैंटी के अंदर प्रवेश
कर मेरी गीली चूत को सहला दिया..मेरे चूत को गिला देख कर समझ गए की मैं चुद जाउंगी...पर
चुदना क्या होता है ये तो मुझे पता नहीं था उस वक़्त..और मैं उसकी स्पेर्श को ही सेक्स
समझ रही थी .
उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ आह्ह्ह्ह्ह्ह सर...
सर ने मेरी और झुक गए और दूसरे हाथ से मेरी टी के
अंदर से मेरी सपाट बैली को सहलाने लगे ,, मैं दोनों हाथो का स्पेर्श सह नहीं पाई..
और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया..(तब मुझे पता नहीं था की चूत भी झाड़ती है.पर आज पता
है और उस मोमेंट को याद करके आज भी सिहर जाती हु)
अचानक मैं
उठ कर उनसे लिपट गई और.. बोली सर मुझे न जाने क्या हो रहा है.. हर्ष सर.. यदि .. तुमको
अच्छा लग रहा है तो लगने दो न अभी तुमको और अच्छा लगेगा..”पर सर मैं पास तो हो जाउंगी
न”
हर्ष सर.. अगर हमको भी उतना ही अच्छा लगा जितना
तुमको लग रहा है तो जरूर पास हो जाओगी...कह कर उन्होंने अपनी शर्ट उतार दी
उफ्फ्फ क्या बॉडी थी उनकी घने बालो वाली,,चौड़ी छाती...
मसल बाहें और उनकी जिस्म की खुश्बु मेरे को पागल कर रही थी... मैं अपनी हाथो से उनकी
चौड़ी छाती सहलाने लगी जिसको सर ने मेरी रज़ामंदी मान ली
सर ने मेरे गालों को पकड़ कर उठाया और मेरे पास आ
गए.. मैं उनकी गर्म सांसो को महसूस करने लगी तभी.. मेरे होठ पर उनकी होठ और एक चुम्बन...
मैं कांप उठी और सर ने मेरे नीचे लिप्स को चुसना शुरू कर दिया... मेरे हाथ स्वतः उनकी
बालों को सहलाने लगे...कभी वो ऊपर का लिप्स चूसते तो कभी नीचे का अब मैं भी उनकी होंटों
की चूस रही थी काफी देर तक हम दोनों वैसे ही रहे तभी उन्होंने मेरी टी को ऊपर उठाना
शुरू की मैंने हाथ पकड़ केर उनको देखा..
हेर्ष सर.. क्या हुआ उतारने दो न..मुझे अच्छा लगेगा.. "सर क्या ऊपर से नहीं हो सकता"
हेर्ष सर... अगर मुझे अच्छा नहीं लगा तो.. फिर तुम.......
कह कर चुप हो गई,, मैं उनका मतलब समझ गई.. मेरे हाथ ऊपर उठे
और अगले पल मैं काली ब्रा में उनके सामने थी.. उन्होंने मेरे को लिटा दिया और मेरे
ऊपर आ गए.. मेरे होंटों को फिर से चूमना शुरू किया ,, मैं कमसिन सी कन्या उनके बोझ
तले दबी थी,, सर ने पीछे हाथ ले जा कर मेरी ब्रा को खोल दिया और मेरी ब्रा मेरे शरीर
से निकाल दी. LED की उजली रौशनी में मेरा ऊपर का गोरा जिस्म .पूरी तरह चमक रहा था.हेर्ष
सर भी मेरी चमक में खो कर रह गए मेरा बेदाग गोरा अछूता कमसिन बदन उनकी सामने बेपर्दा
था और उनकी आँखों की चमक बता रही थी की उनको अच्छा लग रहा था...
मेरा बदन आज से पहले किसी ने भी नहीं देखा था वो
हेर्ष सर देख रहे थे...वो मेरी चूची को मुह में भर कर चूसने लगे.. उनका हाथ मेरी चूची
पर आकर उसे मसलने लगे मेरी चूचियों को दबाने लगे कभी सर मेरी चूची दबाते तो कभी मेरी चूत से छेड़खानी करते और मैं आंखें बन्द किये हुये ये सब करवाती रही।
और फिर अपनी उंगलियाँ मेरी चूचियों की गोलाइयों
में चलाने लगे और बीच बीच में मेरे निप्पल को दबा देते मैं दर्द से तड़प कर आअह्ह्ह अतः आह आह करती
उसके बाद सर
मुझे चूमने लगे और फिर मेरी नाभि में
अपनी जीभ को घुमाने लगे सर जितने प्यार से
मेरे जिस्म से खेल रहे थे कि उन्हें किसी बात की कोई जल्दी नहीं है।
उसके इस तरह से मेरे जिस्म से खेलने के कारण मैं
पानी छोड़ चुकी थी या ये कहे के मैं कई कई बार झड़ चुकी थी
मेरी साँसे तेज हो चुकी थी मेरा अब तक का पहला अनुभव
बेमिशाल था मेरे मुख से सिर्फ और सिर्फ सिसकारियां ही निकाल रही थी... तभी उनकी हाथो ने मेरे शॉर्ट्स के बटन खोल कर
उसे उतारने लगे मैं अब मना करने की स्तिति में नहीं थी...मैंने भी गांड उठा कर सहयोग
किया और मेरी पैंटी के साथ मेरा शॉर्ट्स भी उतर गया.. मेरी बल रहित गुलाबी कुवारी चूत
उनके सामने बेपर्दा थी...हर्ष सर की आँखों के चमक बढ़ गई.... और उन्होंने भी अपना पैंट
और अंडरवियर निकाल दिया...मेरे सामने उनका लंबा सा लण्ड था गोरा गोरा उनकी ही तरह ऊपर
से गुलाबी... तब इस बात का अंदाज़ा नहीं था की ये मेरी चूत के अंदर जायेगा.. पर अच्छा
लग रहा था देखने में .
सर फिर मेरे ऊपर आ गई पहली बार मेरा नंगा जिस्म
किसी मर्द के नंगे जिस्म के संपर्क में आया था मेरा कोमल मन और बदन में सिहरन से हो
गई थी उनका लण्ड मेरे जांघो के बीच में मेरी चूत में रगड़ खा रहा था .. . ..मेरे मुह से सिर्फ केवल ‘उईईई ईईईई…आअह्ह्ह आह उफ्फ्फ्फ़ ओह्ह सर
..आ… ओ… आ…की आवाज़ ही निकाल रही थी सर मेरी चूचियों को मुह में भर कर चूस रहे थे कभी
मेरे निप्पल को काट लेते तो मेरे मुह से दर्द भरी चीख़ निकाल जाती.. आउच आहः लगती है
सर
पर सर कहाँ रुकने वाले थे ... उनके हाथ मेरी चूत
की दरार में फिसल रहे थे... अचानक मैं चीख़ पड़ी...
आउच आय ओओह उफ्फ्फ उनकी एक ऊँगली मेरी कुवारी चूत
में प्रवेश कर चुकी थी मेरी चूत का गिलापन उनकी ऊँगली में प्रवेश में सहारा बनी...
पर मेरे जिस्म में दर्द की लहार दौड़ गई... ऐसा दर्द मैंने कभी महसूस नहीं किया.. मुझे
नहीं पता था की चूत में ऊँगली भी डाली जाती है ये सब मेरे लिए नया था और मैं पागल सी
हो रही थी.. न जाने कितनी देर तक वो मुझे चूमते सहलाते रहे ऊँगली को धीरे धीरे अंदर
बाहर करते रहे... फिर वो उठ कर मेरे पैरों के बीच में आ गए.. मेरी जांघो से मेरे पैरों
को पकड़ कर ऊपर उठा कर अच्छे से फैला दिया...और मेरी चूत पर झुक गए तभी उनकी जीभ ने
मेरी चूत को टच किया मैं आनंद और सिहरन से उछाल गई... पर उनकी पकड़ मजबूत थी.. मैं कसमसा
कर रह गई उनकी जीभ मेरी चूत के दरारों में अपना काम करने लगी....मैं आनंद से पागल हुई
जा रही थी...
आआह्ह्ह मत करो सर कुछ हो रहा है हमे आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
सर र र र र क्याकररहे आप हूऊऊओ"
मेरी चूत से पानी निकाल चूका था और मैं थक कर चूर
हो चुकी थी की सर अचानक उठ कर मेरी चूचियों पर बैठ गए सर का लण्ड मेरे मुह के पास था
एक अजीब से महक आ रही थे जो मुझे पागल कर रही थी.. फिर एक और नया अनुभव,, उनके लण्ड
मेरे होंटों पर रगड़ने लगा उसका दबाब मेरे होंटों पर था मैं वो सह नहीं पाई और मेरा
मुह खुल गया और उनके लंबा लण्ड मेरे मुह के अंदर था ... मैं उस मोठे और बहुत लम्बे लण्ड को ठीक से मुह
में ले भी नहीं पा रही थी पर सर की आवाज़ से
लग रहा था की उनको काफी मज़ा आ रहा था
उफ्फ्फ्फ़ ओह्ह आआह्ह्ह
ऐसी ही करो थोड़ा सा थूक लगा कर चुसो आअह्ह्ह्ह आजाद ऋचा तुमको मैं पास कर दूंगा बस
ऐसी ही चुस्ती रहो..
साथ में वो मेरे गाल को सहला रहे थे कभी हाथ पीछे
ले जा कर मेरे निप्पल को जो से मसल देते पर मेरी दर्द से भरी चीख बाहर नहीं आ पाती
... अचानक सर ने स्पीड बढ़ दी... वो जोर जोर से लण्ड को मुह के अंदर बाहर करने लगे...
अच्चानक उनके मुह से आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऋचा आ आ आ आ आ आ आ की आवाज़ निकली उन्होंने मेरी
सर जोर से पकड़ कर अपना लण्ड मेरे मुह में पूरा डाल
दिया और मुझे उसमे से कुछ निकलता हुआ लगा फिर मेरा मुह कुछ अजीब से स्वाद से भर गया..
मैं उसको बाहर निकलना चाहती थी पर लण्ड पूरा मुह में था सो मुझे उसको अटकना पड़ा कसैला
सा अजीब सा स्वाद था अब उनका लण्ड सिकुड़ कर छोटा होकर मेरे मुह निकल आया और वो मेरे
बगल में गिर कर जोर जोर से साँस लेने लगे... मैं तुरंत बाथरूम में गई और पानी से मुह
के अंदर तक साफ किया पर वो स्वाद मुह से जा ही नहीं रहा था
सर का नग्न जिस्म को रौशनी में ठीक से देखा तो अच्छा
लगा मैं उनके पास गई तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के अपनी तरफ खींच लिया और मेरे लिप्स
लो चूसने लगे... मेरे अंदर फिर से कुछ होने लगा.पर मैंने रुक कर पुछा की सर मैं पास
तो हो जाउंगी ना सर ने कहा अगर तुम कल फिर आओगी तो मैं सोचूंगा... मुझे काफी देर हो
गई थी तो मैं अपने कपड़ो को समेट कर पहन लिया...
हेर्ष सर... कल इसी टाइम आना और आज जो भी हुआ उसका
जिक्र किसी से ना करना नहीं तो तुम पास नहीं हो पाओगी
में ..जी सर .. और मैं वहां से निकल कर घर आ गई..
मेरा मन किसी काम में नहीं लग रहा था.. जो कुछ हुआ वो इतना अच्छा लगा था की मैं उसको
शब्दो में बयां नहीं कर सकती.. ये सब सोचते सोचते मैं अपना बदन सहलाने लगी पर मुझे
वो मज़ा नहीं आ रहा था जो सर के हाथों से से आ रहा था और फिर मैं कब सो गई पता ही नहीं
चला .
दूसरे दिन मैं बेसब्री से वहां जाने का इंतज़ार करने
लगी स्कूल में भी मन नहीं लगा.. मैं ठीक समय सर के घर गई सारे स्टूडेंट जा चुकी थे
सर मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे.. जैसी ही उन्होंने दरवाज़ा बंद किया मैं उनको पीछे से
बाँहों में भर लिया
सर ने पलट कर मुझे बाँहों में भर लिया और उठा कर
बैडरूम के तरफ बढ़ गए मुझे अपनी बिस्तर पे लिटा कर गौर से देखने लगे... मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी पर दिल से कल जैसा ही कुछ होने
का इंतज़ार कर रही थी..सर मेरे पास आये और मेरे जिस्म पेर अपना हाथ फेरने लगे... मेरे
अंदर एक आग से भरने लगी..
मेरे मुह से सीत्कार निकल गए.. अतः ओह्ह आआह्हः सर..अच्छा लग रहा है.. ओह्ह आअह्ह्ह
आ आह्हः
आज मैंने एक हलकी कलर के शर्ट और रेड शॉर्ट पेंट
पहना था अंदर लाल रंग के ब्रा और पँटी थी .. सर ने अपनी सारे कपडे निकाल दिया वो सिर्फ
फ्रेंची में थे और उनका लण्ड का उभार मुझे साफ दिख रहा था,,और फिर....
उनकी जिस्म के नीचे मैं थी और मेरे लिप्स को वो
चूस रहे थे आज मैं भी उनको किस में साथ दे रही थी.. या ये कहो कल और आज में सिर्फ ये
फर्क था की आज मैं कल से ज्यादा समझदार थी...मैं भी उनके लिप्स को चूस रही थी...मेरे
खुले मुह में उनकी जीभ प्रवेश कर गई मैं उनके जीभ को चूसने लगी... उनके पीठ को सहला
रही थी मेरा हाथ सर की गांड पे गया और मुझे न जाने क्या हुआ उनके गांड को मैं जोर से
दबा कर apney से और जोर से चिपका लिया...
फिर सर ने मेरे सारे कपडे निकल दिए.. मैंने भी शर्म
छोड़ कर उनको भी नग्न कर दिया और लण्ड को हाथो में ले लिया
सर मेरे बेदाग कमसिन मासूम से बदन में खो से गए
सर.. ओह्ह ऋचा तुम कितनी अच्छी हो तुमको मैं पास
करवा दूंगा... उफ्फ्फ तुम्हारा बदन कितना सिल्की सा है मुलायम और बेदाग...आअह्ह्ह्ह्ह्ह
आह्ह सर की साँसें तेज होने लगी, आँखे बन्द हो गई
मेरी आँखों में भी लाल डोरे खिंच गये और उनमें नशा
सा उतर आया था और मैं जितना सर को देखती उतना ही नशा मुझ पर भी चढ़ रहा था।
सर ने मुझे लिटा दिया और मेरे पैरो के बीच आ गए
मैं भी आज चूत चुसाई के लिए तैयार थी.मैं कल वाला अनुभव फिर से चाहती थी.. मेरी चूत
से लगातार ..पानी निकल रहा था...जब सर ने मेरी चूत को को देखा, वो एकदम चिकनी थी, फ़ूली हुई सी, गुलाबी
से गोरी गोरी बीच की लंबी दरार मेरे चूत के होंठ बिलकुल चिपके थे
सर ने मेरी चूत को अपनी उँगलियों से चौड़ा किया और
सूँघा, ऐसा लगा को कि सर को मेरी चूत से बड़ी ही मादक सुगन्ध मिल रही है...जब सर बे
मेरी चूत को जैसे ही चूमा मैं तो ‘आहहहहईई…’ की आवाज़ के साथ उछल ही पड़ी सर मेरी चूत
को बेसब्री से चाट रहे थे,,, कभी दाँतों
से काट लेते मैं चीख पड़ती.. आह सर लगती है.. प्लीज न करो ऐसा आप सर....
पर सर कहाँ सुन रहे थे तभी सर ने जीभ मेरी चूत के
अंदर डाल दी और गोल गोल घुमाने लगे... मैं
सिसकारी भरने लगी... उफ्फ्फ सर र र र र
आअह्ह्ह्ह आह्हः ऑफ फ फ फ
मेरे जिस्म में बिजली सी दौड़ गए... जिस्म से लगा
कुछ निकल जायेगा .. मेरी कपकपाहट बढ़ गईं .. सर ने जोर से मेरी जांघो को पकड़ रखा था. मैं छटपटा
रही थी मेरी चूत से कुछ निकने को था... मैं जोर से चीख पढ़ी,,,,, सर र र र र र ओह्ह्ह्ह
आअह्ह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ मेरी सिसकारियां निकलने के साथ ही मेरी चूत से पानी कि फौवारा
छूट गया जिसे सर ने प्यार से चाट चाट कर पी
लिया.. मैं निढाल सी हो गईं थी जैसे मेरे जिस्म में जान ही नहीं हो...
सर मेरे बगल में आ गए और मेरे जिस्म को हलकी हलकी
सहलाने लगे मेरी आँख बंद हो गईं मैं लंबी सांसों के साथ हर पल का आनंद
लेने लगी.... सर के प्यार से सहलाने से मेरी चेतना वापस आने लगी,,,, मेरा हाथ उनकी
लण्ड पर चला गया उसको मैं सहलाने लगी.. सर समझ गईं थे कि मैं फिर से तैयार हु...सर
मेरे ऊपर आ कर मेरी गर्दन, मेरी चूची, मेरी नाभि मेरी जाघो को चूमने लगे चाटने लगे
उन्होंने मुझे उठाया और बेड पर बिठा कर जमीन पे खडे हो कर मेरे मुह के पास अपना लण्ड
लाये आज मैं जानती थी कि मुझे क्या करना है....मैंने झट से लण्ड को मुह में लिया और
चूसने लगी... करीब ५ मिनट्स में सर ने लण्ड को मुह से निकाल लिया... और फिर मेरे दोनों
पैरो के बीच में आ गईं मैंने सोचा कि वो फिर मेरी चूत चाटेंगे..... पर मैं कितना गलत
थी... आने वाले कष्ट का मुझे अंदाज़ा नहीं था ..सर ने अपना लण्ड मेरी चूत कि दरारों
पे रगड़ना चालू कर दिया... मेरी चूत पहले से ही पानी पानी थी...मैं उतेज़ना से कापने लगी...
ओह्ह्ह्ह सर र र र र बहुत अच्छा लग रहा है,,,,उफ्फ्फ सर आप कितनी प्यार
से करते हो.. आह ह ह ह ह ह उफ़ फ फ फ ओह्ह ह ह ह
तभी सर मेरे ऊपर लेट गए... मेरे कंधो को जोर से
पकड़ कर मेरे होंटों को अपनी होंटों से जकड लिया.. मैं उनकी जिस्म के नीचे दबी थी
,,, सर ने उसी अवस्था में एक हाथ से अपना लण्ड पकड़ कर चूत पर रगड़ा और फिर................. एकदम से मेरी चीख निकल ग- ऊईईई… मर गईईई…रेएए!आह्ह्ह… मरररर…
गई
मेरी चूत में कुछ घुस गया था.. मेरी चीख मेरे मुह
में रह गईं... मेरी आँखै बाहर आ गईं. सब कुछ धुंधला सा हो गया ... मैं छटपटाते हुए
निकलने कि कोशिश कि पर मेरी एक न चली..... …’ फिर ,,, एक झटका फिर लगा मैं दर्द से बिलबिला उठी...अपना होश खो बैठी...
लग रहा था कि मेरे गले तक कुछ फस गया था...
मैं रोना
चाहती थी,,, चिल्लाना चाहती थी पर मेरी आवाज़ मेरे मुह में ही रह गईं.. थोड़ी देर में सर ने अपने पकड़ ढीली कि और मेरी
चूची कि चुने लगे उनका हाथ मेरी कमर कि सहला रहा था सच कह तो इन सब से मेरी चेतना वापस
आने लगी... मेरे जिस्म में रक्त का संचार फिर से होने लगा... मैंने रोते रोते बोला
सर ये क्या कर दिया अपनी...
सर... ऋचा मेरी जान,,, अब दर्द नहीं होगा बस तुम
इस पल का आनंद लो ..कह कर सर ने अपना लण्ड थोड़ निकाल कर फिर से अंदर कर दिया....
मैं.... इ इ इ इ सर र र र र द र द होता है...
पर सर ने धीरे धीरे लण्ड को मेरी चूत में अंदर बाहर
करते रहे... दर्द खत्म हो गया था.. मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था लण्ड भी
फस फस कर चूत में अंदर बाहर हो रहा था .मेरी
सांसे तेज़ हो रही थी ///
. आह्ह… ओह्ह… उईईईई… उम्म्म्म... सर र र र … आह्ह्ह…
बहुत अच्छा लग रहा है उम्म्म्मसर
थोड़ी देर के बाद मुझे कुछ हो रहा है.सर .. सर ने ये सुन कर जोर जोर से लण्ड को अंदर बाहर करने
लगे उनकी हर चोट के साथ दर्द भरी मेरी सिसकारी निकाल जाती....
मैंने उनको जोर से जकड लिया और सर ने भी अचानक जोर
से चिल्लाते हुए मुझे जकड लिया... तभी मुझे
चूत में कुछ गरम गरम गिरता सा महसूस हुआ... सर मेरे ऊपर धप से गिर गए.... मैंने भी निढाल सी हो गई.. थोड़ी देर में हमको
होश आया ....सांसे ठीक हुई उनका लण्ड भी चूत से बाहर आ गया था,, मेरी चूत से गर्म गर्म
कुछ निकाल रहा था मैंने हाथ लगा कर देखा सफ़ेद और लाल रंग का गन्दा से लिक्विड था...
सर.... ऋचा तुमने आज मुझे खुश कर दिया... फिर उन्होंने
मेरे बदन को साफ किया...और बिठा कर दो गोली खाने को दी...और बताया कि एक गोली दर्द
कि है दूसरी प्रेग्नेंसी रोकने कि. फिर मुझे विस्तार से समझाया.. कि क्या क्या हुआ..
सेक्स क्या होता है...मैं हैरान रह गई सब सुन कर......
पर मैं खुश थी कि सर खुश हो गई...
फिर मैं उठ कर बाथरूम गई और चूत को अच्छे से धो कर बाहर आई तो सर वैसै ही नग्न खडे थे उन्होंने
मुझे बाँहों में ले कर समझाया कि जो कुछ भी हुआ वो सिर्फ हम दोनों के बीच में रहना
चाहिए भूल कर भी किसी को नहीं बताना,, अपनी किसी फ्रेंड को भी नहीं..
मैं सर जी सर जी सर करती रही,,, तभी मेरी नज़र बिस्तर
पर गई. पुरे बिस्तर पर ब्लड के निशान थे ..
मुझे चलने में थोड़ी परेशानी थी... पर मैं घर आकर
खाना. खा कर अपनी कमरे में आ गई...
घर आकर मैं सोचती रही जो हुआ वो सही था या गलत...मैं
तो नादाँ थी पर सर तो सब जानते थे फिर उन्होंने ऐसा क्यों किया...इसमे कोई शक़ नहीं
जितना दर्द, हुआ उससे ज्यादा मुझे मज़ा आया.. सुख मिला मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा था
पर फूल सा हल्का लग रहा था...
दूसरे दिन स्कूल में भी मन नहीं लगा. पर सर ने बताया कि उसकी अटेंडेन्स ठीक कर दी है
और मेरे अंक भी बढ़ा दिए है अब मैं बोर्ड के एग्जाम दे सकती थी... दिल में संतोष सा
था... पर दो दिन तक मैं नार्मल थी पर. दो दिन के बाद मुझे सर कि याद आने लगी मेरा जिस्म
फिर से वो सब मांगने लगा. बहुत कंटोल किया पर हुआ नहीं और मैं फिर सर के पास चली गई
.... हम दोनों के बीच फिर वो सब हुआ,,, और कई बार हुआ धीरे धीरे मुझे स्त्री
और पुरुष के बीच के संबंधों का ज्ञान हो गया सेक्स और चूत चुदाई लण्ड आदि का भी ज्ञान
हो गया 12 के एग्जाम में पास हो गई.. पर मैंने सर के पास जाना बंद कर दिया...सर ने
भी मुझे खुद नहीं बुलाया..पर मेरे इस ज्ञान ने मुझे एक मासूम नादाँ लड़की से बिंदास
बोल्ड लड़की बना दिया,,,,