Tuesday 28 January 2020

तलाकशुदा सिल्क की बाँहों में संदीप part 1


मैं राहुल श्रीवास्तव एक बार फिर आपके सामने हूँ जैसा की आप जानते मेरी कहानी मेरे अपने अनुभव या मेरे साथ घटित घटनाओ पर आधारित होते है मैं अपनी नौकरी की वजह से सम्पूर्ण भारत का भर्मण करता हूँ अनगिनत लोगों से मिलता हूँ उनके किस्से सुनता हूँ कुछ किस्से मेरे साथ भी यात्रा के दौरान घटित होते है जिसको मैं आपके सामने कहानी के रूप में ले कर आता हूँ
 
ऐसी ही एक सेक्सी दास्ताँ ले के, मैं आपके सामने हूँ एक ऐसी दास्ताँ जिसमे आपको जीवन की कुछ सच्चाई और और जिंदगी के सबक दे जाएगीहुआ कुछ ये की दिल्ली से मुंबई आते वक़्त राजधानी एक्सप्रेस में एक शख्स संदीप से मेरी मुलाकात हुई, 16-17 घंटे के सफर में मेरी अच्छी दोस्ती हो गई संदीप से, और ऐसी दोस्ती हुई की उसने पूरा जीवन अपना खोल के रख दिया मेरा लेखक दिल नहीं माना और फिर उसकी अनुमति से उसकी दास्ताँ मैं आप तक पंहुचा रहा हूँ, आशा है की आपको भी पसंद आएगी ये कहानी आप संदीप की जुबानी ही पढियेगा, इसमें कामुकता और वासना का तड़का मैंने लगाया है जो उम्मीद है आपको पसंद आएगा
मेरी कहानियों पे जो प्यार आपका मिलता है वो अभूतपूर्व है, अकल्पनीय है। आप सब का इस प्यार के लिए मैंराहुल श्रीवास्तवदिल से आभार प्रकट करता हूँ आशा है आप अपनी राय कमैंट्स बॉक्स में या ईमेल के जरिये मुझे देते रहेंगे
मेरा नाम संदीप है मैं उत्तरप्रदेश का रहने वाला हु और आज कल मुंबई में हूँ,
मैंने शादी 21 साल की उम्र में कर ली और मेरा एक बेटा 12 साल का बेटा भी है मेरी पत्नी का नाम निधि है  शादी से पहले मैं निधि से नहीं मिला था वो कानपूर के पास के गांव शुक्लागंज की थी, निधि बहुत ही तेज़ तर्रार लड़की थी हम दोनों शादी के बाद आगरा गए शादी के बाद कुछ साल तो सब ठीक चला पर बाद में हमारे झगड़े बहुत होने लगे कभी पैसो को लेकर तो कभी बेसिक सुख सुविधाओं को ले कर मैने भी और मेहनत करनी शुरू कर दी और ताकि मैं और पैसे कमा सकू और निधि को और ज्यादा सुविधाय उपलब्ध करा सकू इन सब का नतीजा ये हुआ की मैं काम में इतना मसरूफ होता गया की मेरी अपनी जिंदगी नरक हो गई,  सेक्स सम्बन्ध तो के बराबर हो गए
निधि की ख्वाइश बढ़ती जा रही थी की इस बीच मेरी नौकरी चली गई निधि ने कुछ दिन तो बर्दाश्त किया पर अंत में वो मुझे छोड़ कर अपने माता पिता के पास चली गई, बात तलाक तक पहुंच गई, मैं भी अंदर से टूट सा गया अब मेरे पास नौकरी थी बीवी और मेरा बेटा इन सब ने मुझे तोड़ कर रख दिया मेरी मदद को करने से हर उस शख्स ने इंकार किया जिसको मैं अपना समझता था
ऐसे में एक आदमी फरिश्ता बन के आया वो था मेरा एक पुराना बॉस उन्होंने मुझे नौकरी दी बल्कि मुझे इन सब से दूर मुंबई भेज दिया, कहते है मुंबई सपनो का शहर है  मैं भी गया और मैने न्यू मुंबई एरिया में 1 रूम सेट रेंट पे ले कर रहने लगा यहाँ मुझे कोई नहीं जनता था मेरा एक तरह से निधि और मेरे बेटे से नाता टूट सा गया था और सेक्स तो जीवन में था ही नहीं, अब मैं घर से फैक्ट्री और फैक्ट्री से घर तक सिमित रह गया मेरी तरक्की होती गई 1 रूम से रूम  फ्लैट में गया पूरी फैक्ट्री मेरे भरोसे हो गई
जब मेरे बॉस ने एक नई फैक्ट्री दमन में डालने का फैसला किया तो मैं दमन गया
मेरा घर फैक्ट्री साइट से मात्र 1 km की दुरी पर था मैं कभी पैदल तो कभी कार से जाता था साइट पर, यहाँ दमन में मेरी ज़िंदगी में रंगीन पल आया ऐसे ही एक दिन काफी देर रात लगभग 12.30 का टाइम होगा फैक्ट्री में ओवरटाइम करवा के जब मैं घर वापस रहा था तो मुझे एक लड़की या ये कहिये एक महिला ने हाथ दे कर रोका मैने कार रोक कर पुछा तो पता चला की वो मुंबई से आई थी और उसका पर्स और कपडे एक का बैग कोई ले कर भाग गया है उसके पास अब कोई भी आइडेंटिटी, रूपए, मोबाइल,और कपडे नहीं थे वो मदद चाहती थी की मैं उसकी मुंबई तक पहुंचने में मदद करू
पता नहीं क्या सोच के मैं मदद को तैयार हो गया फिर, मैंने उसको अपने साथ लिया और एक रेस्टोरेंट में खाना खिलाया वापी स्टेशन तक ले गया जहाँ मैंने उसको टिकट दिलवाया और उसको कुछ पैसे भी दिए उसने मेरा नंबर माँगा वो भी दे दिया 
इस बात को काफी दिन हो गए और मैं भूल भी गया था और तो और मैने उसका नाम भी नहीं पुछा था, करीब एक साल बाद मुझे एक कॉल आई, उस समय मैं मुंबई में ही था
बहुत मीठी से आवाज़ आई हेलो मिस्टर संदीप जी बोल रहे है
संदीप.. जी हाँ बोल रहा हु आप कौन?
आपने मुझे पहचाना नहीं मेरी काफी दिन पहले मदद की थी तब मुझे उस लेडी की याद आई
संदीप... ओह्ह अब आपको याद आई मेरी वो भी साल के बाद
नहीं याद तो मैने आपको बहुत किया पर फ़ोन नहीं किया क्युकी मैं आपको परेशान नहीं करना चाहती थी
अच्छा आप बताइये कैसे याद आई आपको मेरी
कुछ नहीं याद तो आपको बहुत किया, क्युकी आपने जो निस्वार्थ मेरी मदद की वो मैं भूल नहीं सकती, मैं मुंबई में हु और आपसे मिलना चाहती हु..क्या आप फिर से हमसे मिलना चाहेंगे..
"मुंबई में हूँ से क्या मतलब" आप तो शायद मुंबई में ही रहती थी...
जी नहीं अब मैं चंडीगढ़ में रहती हूँ मैं सब कुछ छोड़ कर मैं अब अपने माता पिता के साथ रहती हु किसी काम के सिलसिले में आई थी तो सोचा आपसे मिल कर आपका शुक्रिया अदा कर दू
"बताइये आप कहाँ है" मैने पुछा
मैं इस समय बांद्रा में एक फ्रेंड के यहाँ हूँ क्या हम लोग लिंकिंग रोड में मिल सकते है...
करीब एक घंटे बाद मैने पहुंच के फ़ोन किया.. हम वहां मिले... आज कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी... उस दिन परेशानी में ठीक से देखा नहीं होगा मैने
सिल्क ये उसका नाम नहीं है पर मैं उसको इस कहानी में सिल्क ही बुलाऊंगा
सिल्क इस लिए वो सिल्क जैसी ही दिखती थी... बहुत गोरी तो नहीं थी पर आप उसे गोरी कह सकते है  फिर भी स्किन का ग्लो बहुत था करीब 30-31 साल की, सिल्क एक आकर्षक महिला थी जो किसी भी मर्द को दीवाना बना दे..
काफी सालोँ से मैं सेक्स से दूर था.. एक तरह से मैने अपने ख्याल से सेक्स जैसे शब्दों को निकाल दिया था, निधि से भी तलाक हो चूका था, मुंबई आने के बाद अपने आप को काम में इतना मसरूफ कर लिया था की सेक्स का ध्यान भी नहीं आता था दिनचर्या कुछ ऐसी थी की सुबह उठना फ्रेश हो के ऑफिस और वहां से के सो जाना खैर सिल्क को देखने के बाद मेरे मन में सिल्क के साथ सेक्स की इच्छा हुई खैर किसी तरह अपने पे कण्ट्रोल करके उसकी खूबसूरती को निहारने लगा
सिल्क "कहाँ खो गए"
मैं "कुछ नहीं बस आपकी खूबसूरती में खो सा गया था सॉरी" जाने मेरे मुँह से ये सब निकल गया इसपे वो थोड़ा सा शरमाई.. फिर बोली की "मैं इतनी भी खूबसूरत नहीं हु की आप झूठी तारीफ करो"
"अरे नहीं मैं सच बोल रहा हूँ" कहा 
"अच्छा ठीक है" पर मुझे पता है की मैं इतनी खूबसूरत नहीं हूँ पर आप ने कहा है तो मान लेती हूँ, 
मैं सच कह रहा हूँआप सच में खूबसूरत लग रही है
सिल्क – “अब जाने भी दीजिये मत कीजिये इतनी तारीफ
फिर मैंने पूछा कीआप कॉफी लेंगीऔर फिर दो कॉफी आर्डर कर के उनसे बात करने लगा
सिल्क एक स्वतंत्र नारी थी शादी का अनुभव उसका भी बुरा था कुछ मेरी ही तरह, उसका पति से तलाक हो चूका था और अब वो चंडीगढ़ में रहती थी एक विदेशी कंपनी में बड़ी अघिकारी थी और काफी समय के बाद मुंबई आई थी
उस दिन भी वो दमन पिछली कंपनी के काम से गई थी कुछ संयोग ऐसा हुआ की मेरे से मुलाकात हुई मैंने उनकी मदद कर दी
सिल्क ने बताया की उस दिन उसके साथ उसका एक सहकर्मी था पर उसके घर में कुछ अनहोनी हो जाने के कारण उसको सिल्क को अकेले छोड़ के जाना पड़ा और उस बुरे दिन में उसकी कार सॉरी टैक्सी भी ख़राब हो गई उसको सुनसान रास्ते में अकेले चलना पड़ा और फिर कुछ लोगों ने उसका पर्स और सब कुछ छीन लिया
खैर ये सब बाते मेरे साथ हुई जिसको मैंने संछेप में आपको बताया मैंने भी अपनी राम कहानी सिल्क को सुनाई आप ऐसा मान लीजिये की दोनों एक ही नाओ में सवार थे
कब 3 घंटे बीत गए पता ही नहीं चला बीच में ये भी पता चला की उसकी वापिसी की फ्लाइट भी थोड़ी देर बाद थी वो चंडीगढ़ वापस जा रही थी उसने मेरे से मिलने के लिए अपना काम जल्दी ख़त्म कर लिया था ये सुनकर मैं कुछ उदास सा हो गया जिसको सिल्क ने समझा उसने अपना नंबर दिया और कहा की हम फ़ोन पे कनेक्ट रहेंगे खैर ये छोटी सी मुलाकात मेरे सुने जीवन में कुछ उम्मीद जगा गई
क्युकी मैं जीवन से इतना निराश था की काफी सालो से अकेला रहता हुआ अपनी एक अलग दुनिया बसा लिया था खर्चे मेंरे थे नहीं सो सारा पैसा मेरे जुड़ जाता था किसके लिए जोड़ रहा था ये मुझे भी नहीं पता था, परिवार से नाता कब का टूट चूका था हाँ माता पिता को हर माह पैसा मैं भेज देता था साल में एक बार मिल भी आता था
सिल्क से मेरी बात फ़ोन पे तकरीबन रोज़ ही होने लगी शायद दोनों ही विवाहित जीवन के कष्टमय दौर से गुजर चुके थे सो दोनों एक दूसरे का दर्द जानते थे और धीरे धीरे करीब भी आने लगे पर सेक्स जैसी कोई बात नहीं थी 
अब, सब कुछ ठीक हो चूका था कई बार माता पिता शादी के लिए भी कह चुके थे पर हर बार मैं आदर के साथ मना कर देता था, इस बीच मेरा दिल्ली का एक हफ्ते का प्लान बना जिसे मैं सिल्क को बताया  मंडे पहुंच कर फ्राइडे को वापस आना था जब सिल्क को प्रोग्राम पता चला तो उसने कहा की मैं संडे को वापस जाऊ साथ ही ये भी बोला की वो फ्राइडे को दिल्ली जाएगी और वो साथ में दो दिन गुजरेंगे, पहली बार मुझे लगा की सिल्क मुझे पसंद करती है बहुत सालो बाद लण्ड में कुछ हरकत सी महसूस हुई और काफी सालो बाद पहली बार सिल्क को सोच कर मुठ मारी ढेर सारा गाढ़ा वीर्य निकला और निकले भी क्यों नहीं इतने सालों से इक्कठा जो हुआ था
सब कुछ प्लान के मुताबिक फ्राइडे गया
आज मैं कुछ रेस्टलेस या ये कहिये बेचैन था सिल्क का बहुत बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था मैं कुछ जल्दी ही होटल वापिस गया क्युकी सिल्क कार ड्राइव कर के रही थी
करीब 5 बजे सिल्क ने होटल में कदम रखा और चेक इन किया ये एक स्टार होटल था कनाट प्लेस के बहुत पास और उसकी बुकिंग मैंने अलग से करवा के रखी थी अपने रूम में पहुंच के सिल्क ने मुझे कॉल किया हम दोनों के रूम की फ्लोर अलग थी, खैर उसने रूम नंबर पुछा थोड़ी देर में मेरे रूम पे बेल बजी और जिसका मुझे इंतज़ार था वो मेरे सामने थी, वाइट जीन्स और रेड टॉप में, गले में स्कार्फ, खुले कर्ली बाल, आँखों में काजल, रेड और सुर्ख होंठ, वाइट हील वाली सैंडल, उफ्फ्फ्फ़ क़यामत तक समय रूक जाए, रूपसी अप्सरा किसी भी तरह से 30 या 32 साल की वो नहीं लग रही थी वो सिर्फ 24 या 25 साल से ज्यादा की लग रही नहीं थी वो एक चंचल सी अल्हड सी नवयौवना सी लग रही थी, सबसे पहला रिएक्शन मेरे लण्ड का हुआ वो अचानक से ठुमकने लगा 
बहुत जिंदादिली से वो मिली मेरा मन तो बाँहों में लेने का था पर कण्ट्रोल करके सिर्फ शेक हैंड किया
पर मुझे लगा की वो भी मुझे बाँहों में लेने को मचल रही थी या ये कहिये की एक आग थी जो दोनों तरफ लगी थी, पर पहल कौन करे ये दोनों को समझ में नहीं रहा था,
फिर शुरू हुआ बातों का सिलसिला साथ में कॉफी तकरीबन करीब बजे हम दोनों घूमने के लिए निकले जहाँ कनाट प्लेस में एक खूबसूरत रिस्ट वाच खरीद के मैंने उसको गिफ्ट की जिसको उसने तुरंत पहन लिया साथ ही सिल्क ने भी ठीक वैसी ही घडी मेरे लिए ली जिसको मैंने भी तुरंत पहन लिया, पुरे समय सिल्क ने मेरा हाथ अपने हाथों में लिया हुआ था कोई भी देखा कर समझ सकता था की हम दोनों पति पत्नी है, उसके बाद वही कॉफी हाउस में हमे डिनर लिया साथ में एक एक का वोडका तड़का लगाया और होटल गए,
मैं सोच ही रहा था की उसको कैसे अपने साथ और देर तक रोकू तभी सिल्क ने कहा 'आप मेरे रूम में चलिए ना, मेरे ना करने का कोई सवाल ही नहीं था
ये बात तो तय थी की अगर मैं पहल करता तो सिल्क ना नहीं करती, क्युकी सेक्स की उतनी तड़प उसमे भी थी जितनी आज मेरे में थी पर मैं पहल करने में घबरा रहा था की मेरे सुने जीवन में इतने सालों के बाद बहार आई है कही वो फिर पतछड़ में ना बदल जाए, इसमें कोई शक नहीं की सिल्क एक साधारण, पर सुलझी हुई महिला थी, वक़्त ने उसको काफी परिपक्व बना दिया था काफी प्रैक्टिकल भी वो थी, परिपक्व तो मैं भी था पर मैं उसको चोट नहीं पहुंचना चाहता था, फिर दिल ने कहा की समय के साथ बह के देखो
रूम में पहुंच के हम दोनों सोफे पे अगल बगल बैठ गए,
सिल्क - आप इतने चुप क्यों है, आप को मेरा साथ अच्छा नहीं लगा क्या
मैं - नही ऐसी बात नहीं है काफी सालों से अकेला रहता आया हूँ सो आपका साथ तो मेरे लिए एक नए जीवन की तरह है,
सिल्क - तो फिर खुल के रहिये ना जो बीत गया उसके साथ आप कब तक जीते रहेंगे, उसको बुरा सपना समझ के भूल जाइये आज पे अपना ध्यान दीजिये जैसे मैं
मैं - सिल्क अपने सही कहा एक बात कहू आप बुरा तो नहीं मानियेगा
सिल्क - आप कहिये ना आपकी बात का बुरा मानना होता तो इतनी दूर सिर्फ आप से मिलने घर में झूट बोल कर नहीं आती,
मैं - मतलब?
सिल्क - मैंने घर में आपके बारे में कुछ नहीं बताया है बस इतना बोला की ऑफिस का काम है तो दिल्ली जा रही हूँ
मैं - ओह्ह
सिल्क - आप बोलिये ना क्या कहने वाले थे आप, सिल्क ने आम लड़की की तरह चंचलता दिखते हुए पुछा
मैं - सिल्क प्लीज आप बुरा मत मानना आप बहुत खूबसूरत लग रही शायद मैं आपकी खूबसूरती मैं खो सा गया हूँ, दिल करता है.... कहा कर मैं रूक गया उसकी प्रतिक्रिया देखने को
सिल्क - क्या करता है दिल.... सिल्क ने एक अल्हड नवयौवना की भाती इठलाते हुए पुछा
मैं - दिल करता है की मैं आपसे दूर ना जाऊ ये पल यही रुक जाये बस आपके पास बैठा रहूं और आपकी निहारता रहूं
इन सब के बीच सिल्क कही से भी परिपक्व, परित्यक्ता नारी नहीं लग रही थी वो एक 18 साल की चंचल अल्हड, नासमझ सी लड़की लग रही थी और उसी तरह का व्यहवार कर रही थी, जिसको पता था उसके सामने वाला मर्द किसी भी पल उसको अपना बनाने के लिए कह सकता था
सिल्क - तो मत जाइये मेरे पास ही रहिये मेरे दूर मत रहिये कह कर वो मेरे उसके बीच का जो फासला था वो ख़तम कर के मुझसे सट के बैठ गई साथ ही मेरा हाथ अपने दोनों हाथ में लिया
सच कहूं तो सिल्क ने अपना निर्णय सुना दिया था परिपक्व होने के कारण उसको पता था शायद मैं पहल ना करू पर ये भी वो जानती थी की अगर उसने शह दी तो मैं कहने से भी नहीं हिचकूंगा
मेरे हाथ की हथेली पसीने से भीगी थी कम्पन उसके हाथों में भी था तभी सिल्क ने अपना सर मेरे कंधे में रख दिया और मेरे और करीब गई.. मैं उसके बदन की उठती खुशबू को महसूस कर सकता था मरे हाथ भी खुद बा खुद उसके कमर से लिपट गए
 
उफ़ क्या मखमल सा अहसास था शर्ट के ऊपर से भी कमर में जो मास था वो बहुत गुन्दाज़ था मैं उसको और करीब खींच लिया और काफी  देर  तक  सिर्फ  एक दूसरे के बदन की खुशबू में खोय रहे  एक दूसरे  की  धड़कनो को सुनते रहे और फिर  कब हमारे होंठ आपस में मिल गए और सांसो के गर्मी एक उफान लाई की काफी पल वैसे ही गुजर गये जब अलग हुए तो उसका चेहरा लाल था सासें हम दोनों की उखड़ी हुई थी और हो भी क्यों सालो बाद दोनों विपरीत लिंग के संपर्क में रहे थे फिर भी उसको टटोलने के लिए उसको बोला 'सॉरी सिल्क कुछ ज्यादा बेकाबू हो गया था आपके हुस्न को देख कर'
सिल्क – ‘संदीप आप पर बहुत विश्वास करती हूँ मैं बस आप मेरा विश्वास मत तोडना, हम दोनों ही शायद बहुत कुछ चाहते है पर दोनों ही हिचक रहे है पर आज आप मत रुको आप अपने दिल की कर लो और शायद जो आपके दिल में है वही मेरे दिल में है
कह कर सिल्क ने मेरे होंठों से अपना होंठ जोड़ दिया और फिर एक लम्बा स्मूच और ये शुरुआत थी एक नए सफर की एक नए शरीर के मिलन की
मेरे हाथ उसके गुंदाज चूतड़ या ये कहिये की गांड पे गए उसको जोर से मसल दिया
अह्ह्ह्हह सिल्क सिसक पड़ी
मै रुकने वाला नहीं था चुम्बन और जिस्म की गर्मी ने कमरे का माहौल भी गर्म कर दिया मेरे हाथ शर्ट के अंदर उसके जिस्म के पिछले अंग पीठ को सहलाने लगे सिल्क के मुँह से जोर जोर से ईइ इशशश्श्श्श शशअआआह्ह्हईइशशश्श्श्श शशअआआहहहकी आवाजें निकलने लगी
पीठ को सहलाते सहलाते मेरे हाथ उसकी ब्रा तक पहुंच गए मैंने उसकी ब्रा की स्ट्रेप को पकड़ा और जोर से खीच के छोड़ दिया 'चट की आवाज़ के साथ सिल्क की दर्द से भरी कामुक आवाज़ भी सुनाई दी आआह्ह्हह्ह्ह्ह'
फिर एक झटके में उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसको गोदी में उठा कर बिस्तर की तरफ चल दिया सिल्क ने अपना मुँह मेरे चौड़ी छाती में छिपा लिया और बाहें मेरे गले में डाल दी
उसको प्यार से लिटा कर उसके ऊपर गया एक तरफ मेरे होंठ चुम्बन में व्यस्त थे वही मेरे हाथ शर्ट के बटन खोल रहे थे बटन खुलते ही लाल रंग की लेस वाली ब्रा सामने गई जिसका हुक पहले ही मैं खोल चूका था, ढीली ब्रा के ऊपर से ही उसके मांसल चूची अपनी हथेली में भर लिया
सिल्क की सिसकारी अआहह्ह्हईइइशशअआआहहह्ह्ह
सिल्क बेकाबू हो रही थी और मैं भी 
'संदीप जो भी करना हो जल्दी करो मेरे से रुका नहीं जा रहा है' कह कर सिल्क ने मेरे को हटा के मेरे ऊपर बैठ गई इस समय सिल्क आप कल्पना कर सकते है की कितनी हसीं और सेक्सी लग रही होगी शर्ट के बटन खुले हुए, ढीली ब्रा, बिखरे बाल, आँखों में लाली, लिपस्टिक तो मैं खा ही चूका था मेरे लण्ड पर बैठ चुकी थी थोड़ा सा हिल के अपनी गांड की दरार में उसको फिट किया और झुक के मेरी शर्ट खोलने लगी शर्ट निकलते  ही मेरी बालों से भरी छाती उसके सामने थी जिसपर उसने वासना से भर के हाथ फेरा और झुक के मेरे निप्पल को मुँह ले लिया
उफ्फ्फ्फ़ ये अहसास आज भी जिन्दा है मेरे में
मैंने उसकी पैंट के बटन खोल दिए और पीछे हाथ डाल कर पैंटी के ऊपर से उसके चूतड़ों को मसलने लगा
अआहह्ह्हअआआहहह्ह्ह के शोर से कमरे माहौल वासना से भर उठा
मेरे से रहा नहीं गया उतेज़ना में मैंने उसको निचे लिटा कर उसकी ब्रा और शर्ट को उतार कर एक तरफ फेक दिया
उफ्फफ्फ्फ़ क्या चूची थी 34D मसाल भरी हुई गोल तनी हुई, उसपे से भूरे रंग का निप्पल जो काफी बड़े थे गोरे रंग में भूरे निप्पल और एक बड़ा सा गोल एरोला क़यामत से भी बढ़ कर उसकी कमनीय काया जो ऊपर से निवस्त्र थी मेरी ऑंखें खुली रह गई उसका ये कमनीय यौवन देख कर हलक पूरा सूख सा गया आंखे फटी रह गई
सच है काफी सालों के बाद निवस्त्र यौवन से भरी लड़की देख रहा था जीवन में पहली बार अपनी पत्नी को ही नंगा देखा था और अब सिल्क

सिल्क ने मेरी शर्त उतार फेंकी थी  ऊपर का जिस्म नंगा था सिल्क ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया मेरे 80 किलो का वज़न और चौड़ी छाती पे उसकी चूची दब गई जिस्म पे वासना का ज्वर चढ़ गया था मैंने उसको अपनी बलिष्ठ बाँहों में बीच लिया की सिल्क की आह्हः अह्ह्ह निकल गई...मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से जोड़ दिया कभी ऊपर का तो कभी नीचे का लिप्स चूसता सिल्क भी पूरा साथ दे रही थी उसकी बाहें मेरी पीठ को सहला रही थी और मुझे टांगो  में जकड के रखा था जैसे मैं भाग जाऊ
कभी गर्दन में चूमता तो कभी कान की लौ को
अहह ईशश आह्हः संदीप उफ्फ्फ मत तड़पाओ