Monday 19 March 2018

मुंबई की शनाया की कुंवारी बुर की चुदाई-2

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मुंबई की शनाया की कुंवारी बुर की चुदाई-1


मेरा नाम शनाया है, मैं मुंबई शहर में रहती हूँ, मेरी उम्र इस वक़्त 27 साल है और ये वाकया मेरे साथ अभी कोई 6 महीने पहले घटित हुआ, मैं इस अन्तर्वासना साइट की सभी कहानी रोज़ पढ़ती हूँ और काफी सालों से पढ़ती हूँ.
मुंबई शहर की हूँ तो थोड़ी मॉडर्न भी हूँ पर सेक्स जैसे मामले में थोड़ा पुराने विचारों की हूँ, शायद मेरी पारिवारिक सोच का परिणाम हो.
मैं बहुत गोरी तो नहीं, फिर भी मेरा रंग साफ है, 34-28-34 मेरे बदन का साइज है, मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती हूँ जो बांद्रा-कुर्ला काम्प्लेक्स में है.
सेक्स स्टोरी पढ़ती हूँ तो लाज़मी है कि उनका असर भी मेरी जिंदगी में होता होगा… पर कभी हिम्मत नहीं हुई कि शादी से पहले मैं सेक्स कर लूँ. पर मैंने कर लिया, सच कहूं तो बहुत दर्द हुआ लेकिन बर्दाश्त किया. जब किसी छोटे से छेद में कोई मोटी सी चीज़ डाली जाएगी तो उस छेद का क्या हाल होगा ये आप समझ सकते हो. हल्की सी पिन चुभती है तो हम चीख पड़ते हैं, यहाँ तो मोटा सा लंड घुस रहा है तो दर्द तो होगा ही… शायद इस स्थिति से हर लड़की को एक बार गुजरना पड़ता है.
मैं रोज़ की तरह घर से ऑफिस जाती थी तो एक शख्स जो मेरे से कुछ बड़ी उम्र के थे, रोज़ ट्रेन में मिला करते थे, अनजान थे मेरे लिए, उनकी उम्र शायद करीब 40 साल की होगी. हम दोनों की ट्रेन एक, समय एक और जगह एक!
धीरे धीरे हम दोनों ही एक दूसरे को नोटिस करने लगे. करीब एक साल तक ऐसा ही चलता रहा हम दोनों एक दूसरे के बारे में कुछ भी नहीं जानते थे. कई बार स्टोरी पढ़ते वक़्त उनको सोच कर चूर में उंगली जरूर की.
ऐसे ही एक दिन किसी कारणवश ट्रेन लेट थी काफी… तो वैसे ही उन्होंने पूछ लिया- टाइम क्या हुआ है?
और इस तरह हमारी बातचीत भी शुरू हो गई. तब पता चला कि उनका नाम आशीष है, वो विधुर थे, उम्र 37 साल और एक बेटा है जो दादी के साथ रह कर पढ़ाई कर रहा है मुंबई में.
वो मेरे घर के पास ही एक 2 बी एच के फ्लैट में अकेले रहते हैं, खाना वो ऑफिस की कैंटीन में ही खाते थे.
खैर जान पहचान बढ़ी तो एक दूसरे को जानने समझने भी लगे, ऑफिस के बाहर, ट्रेन के अलावा भी मिलने लगे, कभी मॉल या फिर कभी मूवीज या कभी किसी रेस्टोरेंट में. सही कहूँ तो हम दोनों को एक दूसरे का साथ अच्छा लगने लगा था.
इस तरह काफी महीने निकल गए, हम लोग एक दूसरे से काफी खुल से गए पर लिमिट उन्होंने कभी क्रॉस नहीं की. आशीष एक सज्जन पुरुष थे, कभी निम्न स्तर की बात नहीं करते थे, अच्छी पोस्ट पे थे, काफी विषयों पे वो बात कर लेते थे. फायनांस उनका पसंदीदा विषय था. उन्होंने मुझे बताया कि कैसे और कहाँ पैसा इन्वेस्ट करूं जिसका मुझे 6-7 महीनोन में काफी फायदा भी हुआ.
ऐसे ही एक दिन हम दोनों की छुट्टी थी तो हमने घूमने का प्लान बनाया. करीब 12 बजे हम दोनों मिले और मूवी देखने चले गए. फिल्म के दौरान गलती से मेरा हाथ उनके हाथों में चला गया, मैंने तुरंत पीछे खींचा भी पर देर हो चुकी थी आशीष ने मजबूत हाथों में मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी तरफ एक बार देखा और फिर फिल्म देखने लगे जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो.
पूरी फिल्म में मेरा हाथ उनके हाथ में था हम दोनों की हथेली पसीने से तर-बतर! इस दौरान मेरा मन भटक गया, पहली बार था कि कोई पुरुष मेरा हाथ पकड़ रहा था, उसके हाथों की पकड़ उसकी मजबूत मर्दानगी की अहसास दिला रही थी. मेरे दिल में अन्तर्वासना की कई सारी कहानियों के फ़्लैश बैक चलने लगे, मेरे जिस्म में एक गर्मी सी भरने लगी, तनाव सा आ गया, चूचियों में भारीपन आ गया, जांघों के बीच कुछ गीलापन भी आ गया.
मेरा मन अब फिल्म में नहीं था, पता नहीं मैं क्यों कमज़ोर पड़ने लगी… मैंने एक दो बार कोशिश की, फिर भी आशीष ने हाथ नहीं छोड़ा. यह पहला मौका था कि हम दोनों एक दूसरे को टच कर रहे थे, उनका दूसरा हाथ भी मेरे हाथ को सहलाने लगा, मैं पिघलने लगी. कोशिश भी की पर कामयाब नहीं हुई हाथ छुड़ाने में. उनके सहलाने से मेरे जिस्म में तनाव सा आ गया, पहले मर्द का स्पर्श; आशीष की हरकतें थोड़ी वाइल्ड हो गई, उन्होंने मेरे को अपने पास कर लिया, दूसरे हाथ से मेरी बाँहों को सहलाने लगे. हम दोनों की नज़र स्क्रीन पर थी पर दिल कहीं और था.
मुझे भी अच्छा लग रहा था; बीच बीच में वो मेरी कमर को भी सहला देते. मैं गर्म हो गई थी और समर्पण भी कर चुकी थी, मेरे को अब कुछ और चाहिए था; जी हाँ कुछ और…
फिल्म खत्म हुई तो मैं उनसे नज़र नहीं मिला पा रही थी.
हाल से निकल कर उन्होंने एक जगह से खाना पैक करवाया और मुझे लेकर अपने फ्लैट में आ गए, मैं एक दो बार पहले भी उनके फ्लैट में आ चुकी थी तो मेरे मन में कोई डर सा नहीं था; फिर भी मेरा दिल कहा रहा था कि शनाया ‘आज कुछ जरूर होगा.’
हम दोनों ने खाना खाया, फिर मैंने कॉफी बनाई और लिविंग रूम में बैठ के टीवी चालू कर दिया. हम बातें कर रहे थे, बीच में उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया और साथ में बैठा लिया. दिल आशीष का भी बैचैन था और शनाया का भी यानि मेरा भी; बस एक हल्की सी झिझक या यह कहो एक मर्यादा की लकीर थी जो हम दोनों जी नहीं पार कर पा रहे थे परन्तु कुछ चाहते जरूर थे.
आशीष ने फिर से मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया, मेरी आँखो में देखा, मैंने शर्म से आँखें झुका ली, आशीष ने उसको मेरा समर्पण समझा और मेरी कमर में हाथ डाल के अपने पास कर लिया; इतना पास कि मुझे उनके जिस्म की मदहोश कर देने वाली गंध का अहसास होने लगा, मैंने अपने जीवन में ऐसी गंध को महसूस नहीं किया था.
बेशक वो मेरे से बड़े थे पर मैं उस मर्दानी खुशबू के आगे अपने को बेबस मसहूस करने लगी. क्या करती… पहली बार था! और पहला पुरुष स्पर्श सब कुछ उत्तेज़ना से भरा था, मैं कमज़ोर पड़ रही थी.
‘उफ्फ…’
पुरुष ही पहल करता है तो आशीष ने भी पहल कर दी, मेरे गाल को प्यार से चूमा, मैं सिहर सी गई. गीले होंठों के स्पर्श से और फिर मेरे गालों को दोनों हाथों से पकड़ कर मेरे लरज़ते होंठों पे अपने होंठ रख दिए; उफ्फ्फ… कितना गर्म स्पर्श!
कितनी देर हम ऐसे ही रहे, मुझे पता नहीं… पर जब हम दोनों अलग हुए तो हम दोनों की सांसें बेकाबू थी. जहाँ मैं शर्म से आंखें झुका कर बैठी थी, वहीं आशीष मेरे चेहरे को कामुक अंदाज़ से निहार रहे थे.
मेरा तो पहली बार था ये सब… पर आशीष अनुभवी थे परन्तु काफी सालों से सेक्स से दूर थे तो वो भी कुछ कम उत्तेजित नहीं थे. उनकी पहल मेरे को कमज़ोर कर गई. सच ही है, लड़की तब तक मज़बूत होती है जब तक उसको पुरुष स्पर्श न करे पर उसके स्पर्श के बाद सब कुछ खत्म सा हो जाता है और ऐसी फीलिंग उसी के साथ आती है जिसके साथ आप सहज और सुरक्षित महसूस करे! और वो आपकी इच्छाओं का दिल से सम्मान करे!
ऐसा ही कुछ मेरे साथ था.
मैं आशीष के साथ सहज और सुरक्षित महसूस करती थी पर जो कुछ हुआ शायद मेरी भी सहमति थी.
उस दिन आशीष आगे नहीं बढ़े पर हम दोनों ही समझ गये कि आगे और भी बहुत कुछ दोनों के बीच संभव है.
दिन निकलते रहे, हम दोनों रोज़ ट्रेन टाइम पे मिलते, थोड़ी बहुत बातें करते और अपने काम पे चले जाते.
फिर एक दिन वो नहीं आये, फिर दूसरे दिन भी नहीं आये तो मैं ऑफिस से हाफ डे लेकर उनके घर गई. तो देखा कि उनको बुखार है.
मुझे गुस्सा आया कि फ़ोन तो कर सकते थे पर कैसे इतनी मुलाकातों के बाद भी हम दोनों ने एक दूसरे का फ़ोन नंबर नहीं लिया था.
“थी न अजीब सी बात?”
खैर वो दो दिन में बिल्कुल ठीक हो गए. इस बीच मैं रोज़ उनके पास जाती, उनके खाने और दवा का भी ख्याल रखती. शायद कोई भी होता वो ये सब करता और मैं तो एक लड़की हूँ और एक लड़की या स्त्री जो अपने से ज्यादा दूसरों के सेवा में अपना जीवन निकल देती है.
शनिवार मेरा ऑफिस नहीं होता फिर भी मैं घर से ऑफिस की बात करके उनके पास सुबह ही आ गई. मैंने लाल रंग का पटियाला अनारकली सूट पहना था और हल्का मेकअप भी किया था. आशीष भी पूर्ण रूप से स्वस्थ थे, नाश्ता मैं घर से लाई थी, उनको मेरे आने की कोई उम्मीद नहीं थी तो वो सिर्फ शॉर्ट्स में थे जो मुझे लगा कि शायद डोरबेल के आवाज़ सुन कर ही पहना था.
उनके बदन के ऊपर का हिस्सा पूर्णतया बिना कपड़ों के था. ‘उफ्फ… बालों से भरी चौड़ी छाती… बाजू की मजबूत मसल्स, चौड़े और सुडौल कंधे, थोड़ा पेट निकला था, उस पर से गहरी नाभि, सीने से नीचे शॉर्ट्स के अंदर जाती एक बालों से भरी सीधी रेखा, क्लीन शेव घनी मूछें…
उफ्फ्फ कितने सेक्सी लग रहे थे आशीष! दिल मेरा भी डोल गया.
लाल रंग मेरे ऊपर अच्छा लगता है, साथ में मैचिंग ब्रा और पैंटी, हल्का मेकअप होंठों पे लाली माथे पे बिंदिया… मैं भी सुबह सुबह आशीष से कम सेक्सी नहीं लग रही थी.
मैंने चाय बनाई और हम दोनों ने साथ में नाश्ता किया, फिर साथ में बैठ कर बाते करने लगे.
मेरा दिल कर रहा था कि आशीष मुझे चूमें, सहलायें.
आशीष को भी मेरी स्थिति का आभास हो चला था, वो मेरे पास आ गए फिर और पास इतने पास के मुझे उनके जिस्म के वही गंध महसूस होने लगी, मेरी आँखें बंद होने लगी कि तभी उनके गर्म होंठों का अहसास हुआ, मेरे हाथ उनकी नग्न पीठ पे चले गए और हम दोनों एक दूसरे के होंठों का रस पीने लगे. कभी आशीष मेरे निचला होंठ तो कभी ऊपर का होंठ चूसते रहे, कभी तो दोनों होंठों के एक साथ चूसने लगते. मेरे हाथ उनकी नग्न पीठ को तो कभी सर के बालों को सहला रहे थे.
मेरी ब्रा के अंदर का तनाव बढ़ गया था कि तभी उनके हाथों को अपनी चूचियों पे महसूस किया. मैं मदहोश हो रही थी. पहले हल्के से, फिर जोर से वो मेरी चूचियों को दबाने लगे, मैं कसमसाने लगी.
पर फिर वो अलग हो गए… मैं अपनी सांसों पे काबू करने में लगी रही, मेरी चूचियां तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थी. मैं समझ गई कि वो शायद अपनी हरकत को जरूरत से ज्यादा बढ़ जाना महसूस कर रहे हैं; तब मैंने पहल की और उनके छाती के बालों को सहलाने लगी; बीच बीच में उनके निप्पल को मसल देती.
पर वो उठ खड़े हुए.
क्यों?
उन्होंने मुझे उठाया और अपने बलिष्ठ बांहों में उठा कर बैडरूम के तरफ बढ़ चले, मैंने भी शर्म से उनसे लिपट कर अपनी आँखें बंद कर ली.
बैडरूम में आशीष ने धीरे से मुझे लिटा दिया, मेरा दुपट्टा न जाने कहाँ गिर गया था.
मैंने भी खुल कर उनके स्वागत में अपनी बाँहों को फैला दिया, कुछ ही पलों में उनका जिस्म मेरे जिस्म के ऊपर बिखर सा गया; मैं उनके बोझ तले दबी थी जो हर लड़की और स्त्री की नियति है कि वो अपने प्रियतम के भार को महसूस करे!
आशीष बेसब्र हो गए, उन्होंने मुझे हर जगह चूमना शुरू कर दिया, आंख, गाल, गर्दन, क्लीवेज हर जगह… तो हाथों से मेरी चूचियों को मसलने लगे.
मैं होश खो बैठी… उफ्फ्फ्फ़ आअह्ह्ह आह की मंद सिसकारियाँ हम दोनों को उत्तेजित कर गई.
धीरे धीरे मेरे कुरते के अंदर उनके हाथ प्रवेश कर गए, मेरे नंगे जिस्म पर मरदाना हाथों का स्पर्श… ‘उफ्फ…’ मैं बयां नहीं कर सकती उस सनसनाहट का आपसे!
मेरी ब्रा की स्ट्रिप में रुके हाथों ने एक बार टटोला और फिर ब्रा के हुक को खोल दिया. सभी कुछ मेरी मर्ज़ी से हो रहा था.
उन्होंने कुछ पल रुक कर मुझे उठाया और मेरे कुरते को ऊपर करने लगे. मैंने भी शर्म और लाज से भरी आँखों को झुका कर सहयोग किया, कुछ ही पलों में वो कुरता और ब्रा एक साइड में उन्होंने रख दिये.
मेरी नग्न चूचियाँ उनके सामने थी जिन्हें मैंने हाथों से छुपा के रखा था. मुझे धीरे से लिटाकर मेरी बगल में लेट कर आधे मेरे ऊपर आ गए, उनकी मज़बूत जाँघे आधी मेरे ऊपर थी.
और फिर मेरे दोनों हाथों को मेरी चूची से हटा एक चूची को मुँह में भर कर एक बच्चे की भांति चूसने लगे.
‘ओफ़्फ़…’ क्या अहसास था… क्या सिहरन थी!’
कितने गर्म होंठ… धीरे धीरे मेरी चूची उनके मुँह में समा गई.
उनके चूसने का अंदाज़ इतना अच्छा था कि मैं होश खो बैठी, कभी वो मेरे निप्पल को दांतों के बीच दबा के काटते, कभी खींचते.
“उफ्फ मैं मर जावां…”
‘आअह उफ्फ्फ्फ़ ओह्ह्ह आह्हः अह्ह्ह…’ की आवाज़ ही निकल रही थी. जब वो मेरे निप्पल को काटते, मेरे मुँह से निकल ही जाता- उई मा माँ माँ… धीरे से यार लगती है!
वो तो कुछ अलग ही मूड में थे और मैं भी! मेरे हाथ न जाने कब उनकी पीठ पे कस गए और उनको बाँहों में लेकर जकड़ लिया.
मुझे मेरी जांघों के बीच उनके लंड का अहसास हुआ. ‘आह्ह्ह्ह कितना गर्म था वो…’ न जाने क्यों मैं आतुर हो गई.
पहला अहसास जो शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.
मेरे बाकी कपड़े उतरते चले गए, मेरा सहयोग आशीष को मिल रहा था, कभी वो मुझे सहलाते तो कभी मुझे प्यार करते, चूमते, कभी बेदर्द बन के मेरे जिस्म को रगड़ देते. मेरे बर्दाश्त के बाहर था माहौल, मैं बस आँखें बंद कर के हर पल का आनन्द ले रही थी. कुछ पल के लिए सब कुछ शांत सा हो गया, समझ में नहीं आया तो हल्की आँखों को खोल के देखा तो वो अपने वस्त्र उतार रहे थे. शॉर्ट्स और अंडरवियर एक साथ उतार दिया.
उफ्फ… अचानक कुछ भूरे रंग का उछल के बाहर आया बिल्कुल तन्नाया हुआ ओह्ह “लंड” ऐसा होता है क्या??
मैंने डर के मारे आँखें बंद कर ली. आशीष मेरे ऊपर आ गए, हम दोनों ही सम्पूर्ण नग्न थे जिस्म की गर्मी, मैंने भी अपने जांघों को खोल के उनको सहयोग किया.
पहली बार बुर के पास एक मज़बूत सुडौल लंड को महसूस किया था, मेरी बुर की लकीर में लंड चिपक सा गया, आह्ह क्या नैसर्गिक अहसास… पहले कभी पूर्णतया विकसित लंड आँखों के सामने तो आया नहीं था, सिर्फ xxx फिल्मों में ही देखा था. काफी बड़ा लगा, कुछ टेड़ा सा लंड, उस पे नसें उभरी दिख रही थी और उसका मुंड गुलाबी सा आधा झांक रहा था.
डर भी लग रहा था और देखने का, छूने का भी मन कर रहा था. पर स्त्री सुलभ लज्जा मुझको रोक रही थी.
मेरे अंदर मादक से अंगड़ाई जन्म लेने लगी, सोच रही थी कि इतना विशालकाय लंड मेरी छोटी सी कुंवारी बुर में कैसे जायेगा.
आशीष मेरे ऊपर लेट कर मेरी चूचियों को चूसने लगे… आअह जिस्म में तरंग दौड़ने लगी… नीचे अजीब सी सनसनी सी हो रही थी. चूचियों चूसते हुए उनके हाथ मेरे को सहला कर मुझे और मेरे जिस्म गर्म कर रहे थे, मैं उस मुकाम पे आ गई थी जहां से वापस लौटना मुश्किल था.
मेरे जिस्म को चूसते चूसते वो नीचे को बढ़ने लगे, नाभि के अंदर जीभ का अहसास, जांघों का सहलाना, बुर के ऊपर का चुम्बन, उफ्फ… बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मेरी बुर से पानी से भीग चुकी था. तभी मुझे मेरी बुर पे कुछ गीला गीला सा अहसास हुआ. शर्म से मेरी आँखें बंद थी… पर जिस्म गर्म था, चाह दिल में थी कि आशीष मेरी प्यासी बुर में लंड डाल दें!
पर मैं कह नहीं पाई.
बुर पे जीभ का अहसास… बहुत प्यार से आशीष मेरी बुर चाट रहे थे. ये उत्तेज़ना के पल मैं सह न पाई और मेरी बुर ने पानी छोड़ दिया. यह मेरा पहला परम आनन्द का अहसास था. मेरी सासों अस्त व्यस्त हो रही थी, हर साँस में मेरी चूचियाँ उठ और गिर रही थी. मैं आनन्द से सराबोर थी, मेरी आँखें बन्द थी, मैंने आशीष के हाथों और जीभ को सब कुछ करने दिया.
मैं भरपूर जिस्म की एक सम्पूर्ण नारी थी तो मुझे आनन्द भी भरपूर मिल रहा था.
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Sunday 18 March 2018

मराठी मुलगी की प्यासी चूत में लंड की सेक्सी कहानी - 3

कोमल मेरी हर हरकत को प्यार से देख रही थी…
हम दोनों वैसे ही निर्वस्त्र बेड पर लेटे थे… एक दूसरे से बाते कर रहे थे, एक दूसरे को सहला रहे थे …ओर ..एक दूसरे होंठों को चूम रहे थे. पहले दौर को लगभग 45 मिनट हो चुके होंगे, हम दोनों ही फ्रेश थे और अपनी काम इच्छा को भड़का रहे थे क्योंकि हम दोनों का दिल अभी भरा नहीं था.
कोमल मुझे रह रह कर चूम लेती, मेरे होंठों को चूसने लगती तो कभी मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगती. मैं समझ रहा था कि कोमल एक दौर और चाहती है.
इस बार कोमल ने पहल कर ही दी.. क्योंकि वो झिझक अब खत्म हो चुकी थी, कोमल मेरे ऊपर आकर मेरे होंठों को चूसने लगी… मैंने भी पूरा साथ दिया, उसे बाँहों में लेकर उसके निचले होंठ को चूसने लगा. उसकी जीभ ने मेरे मुख में दस्तक दी, मैंने स्वागत किया और उसकी जीभ को होंठों में दबा कर चूसने लगा… अपनी जीभ उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और कोमल उसको दबा दबा के चूसने लगी.
हम दोनों एक दूसरे की लार पी रहे थे, मेरे हाथ उसकी चूत को सहला रहे थे और कोमल तो लंड को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी, कभी सहलाती तो कभी मसलती तो कभी आगे पीछे करती.
उतेज़ना का दौर बढ़ रहा था मेरी उंगली चूत के अंदर थी मैंने उसको फिंगर फ़क करना शुरू कर दिया.
कोमल भी बेचैनी में मेरे होंटो को कस के चूसने लगी.. कभी बीच में रुक कर…‘आआह्ह्ह्ह… स्स्स्स्स स्साआ अह्ह्ह्ह… म्म्म म्म्माआआह्ह… ओह येस… उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह येस… ओह येस… ओह येस आशीष..आआह.. आह.. म्म्म्म्म्म और तेज.. हाँ हाँ.. आशीष अअह.. अअअर..र और तेज.’ कहने लगी।
उसकी चूत से अमृत बरस रहा था… और मेरा लंड अकड़ रहा था.
अब मेरी बारी थी… मैंने कोमल को उल्टा लेटा कर उसकी गांड को उठा दिया… अब उसकी चूत साफ दिख रही थी.. टांगों को हल्का सा चौड़ा किया और थोड़ा झुक कर उसकी चूत को चाटने लगा मुँह में लार भर के… चूत में ढेर सारा तरल अमृत था.
मैंने अपने आप को एडजेस्ट किया और लंड को चूत के मुहाने पर रख कर एक बेहराम शॉट लगाया…
कोमल… ओह्ह आई ई ई मर गई…असे दिसते आहे… थोडे मंद घालावे. आम्ही वेदना आहेत!
मैंने मराठी लिखी है पर यदि कोई त्रुटि हो तो माफ़ कीजियेगा. कोमल मराठी मुलगी थी तो वो मराठी में बहुत कुछ कह रही थी जिसको मैंने यहाँ नहीं लिखा…
बेहरमी पता नहीं क्यों मेरे अंदर आ गई. मैं जोर जोर से चूत में लंड को अंदर बाहर कर रहा था, एक हाथ से कमर को पकड़े था तो दूसरे से उसके लम्बे बाल… बस चोदे जा रहा था ‘आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह… अअह.. अअअर..र’
और फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च की आवाजें!
जब मेरा लंड चूत की जड़ तक जाता तो उसके चूतड़ से टकराकर आवाज़ आती पट पट… पट पट… पट पट… तो कभी फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह हहा हहह!
अय्य… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आईईईई ईईईई, ऊऊऊ युयुयु ऊऊऊयू हाआआ अहा हह औय्या शहस हेहः ओह आह आहः
वो उम्म्ह… अहह… हय… याह…
ये दौर लम्बा चलना था… कोमल झड़ चुकी थी उसको अब उस अवस्था में खड़े रहना मुश्किल था.. तो वो लेट सी गई थी… मैंने एक तकिया उसके नीचे लगा दिया और शुरू थी मेरी चुदाई.. न रुकने वाली… बस कमर उठा उठा कर मेरे से ताल से ताल मिला कर चूत में लंड ले रही थी ‘आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह… म्म म्म्माआह्ह… ओह येस आशीष … ओह येस् आशीष…’
आ… हआआ… हुम्म हुम्म्म्म… फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च…
स्स्स्स्स स्साआ अह्ह्ह्ह… म्म्म म्म्माआआह्ह… ओह येस… ओह येस… ओह येस… ओह येस … ओह येस
आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह… अअह.. अअअर..रै और तेज
उम्म्ह… अहह… हय… याह…
काफी देर बाद मुझे लगने लगा की मैं भी कभी भी ब्लास्ट कर सकता हूँ- कोमल, मेरा होने वाला है थोड़ा और साथ दो…
सुनते ही कोमल एकदम से उछल कर पलट गई… अब चूत सामने थी… चूत से सफ़ेद सफ़ेद रस बह रहा था, मैंने देर न की और फिर से लंड उसकी टांगों को कंधों पर रख कर चूत में डाल दिया ‘आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह…’
उसके मुँह से ‘आआह्ह्ह्ह… स्स्स्स्स स्साआ अह्ह्ह्ह… म्म्म म्म्माआआह्ह… ओह येस…
मेरा रक्त संचार बढ़ चुका था, सारा खून एक जगह इकट्ठा होने को था, मेरे शॉट में भी तेज़ी आ गई थी.
उतनी ही तेज़ी से कोमल अपनी गांड उछल रही थी और मैं जोर से चीखते हुए.. उस पर ढेर हो गया.
फिर वही अहसास, चूत का खुलना बंद होना… मेरे लंड का फूलना अमृत बरसाना…
कोमल भी मुझको बाँहों में भर के मेरे मुँह को चूम रही थी.
कुछ पल में सब शांत हो गया बस सांसों का व्यवस्थित होना बाकी था!
मैं उसके ऊपर लेटे लेटे ही नींद की आगोश में कब चला गया, पता ही नहीं चला.
वो भी कुछ मेरे जैसी हालत में थी..
जब आँख खुली तो कोमल नंगी मेरे से चिपट कर लेटी थी और उसकी जाँघें मेरे पैरों के ऊपर थी और उसकी जांघ के नीचे मेरा लंड दबा था.. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि एक कमसिन कन्या को दो बार चोद चुका हूँ… वाइल्ड सेक्स हो चूका था… और ये चुदाई अब रुकने वाली नहीं थी… दो दिन थे हमारे पास…
उसका तराशा सा बदन .. निर्वस्त्र शरीर मेरी आगोश में था और मैं निर्वस्त्र उसके आगोश में.. बस लग रहा था कि ये पल यहीं रुक जायें!
और दो दिनों में कई दौर चुदाई के चले… बाथरूम, टेबल, बालकनी रूम के हर हिस्से में चुदाई हुई… वो शादी के बाद जितना 15 दिन में न चुदी थी, उससे कहीं ज्यादा इन दो दिन में चुद चुकी थी और हम दोनों का दिल नहीं भर रहा था.
जब जाने का वक़्त आया तो हम दोनों ही बेचैन हो गए…
कोमल ने अपने पापा को बताया कि देर होने के कारण बस छूट गई है तो आशीष सर अपनी कार से छोड़ने आ रहे है… और फिर रात के अँधेरे में हम दोनों ने कार में भी दो बार सेक्स किया. सुबह उसको घर छोड़ कर मैं होटल चला गया.
कोमल भी जॉब के बहाने थोड़ी देर जॉब करके मेरे होटल आ गई, जहाँ फिर चुदाई का दौर चला पर इस बार सिर्फ एक ही बार चुदाई हुई. हम दोनों बात करते रहे, शाम को कोमल घर चली गई और मैं वापस मुंबई आ गया और इस धुआँधार ट्रिप के बाद तो मुझे और कोमल को चुदाई का चस्का लग गया, जब मेरा या उसका मन करता, मैं औरंगाबाद चला जाता दिनभर चुदाई के कई दौर चलते.. उसको सेल्स ट्रेनिंग, सेल्स मीटिंग के बहाने पुणे या मुंबई बुला लेता और हम एक दूसरे के निर्वस्त्र जिस्म में खोकर प्यास बुझाते!
दोस्तो, यह रिश्ता बहुत दिन तक चला… तकरीबन तीन साल… फिर उसका हस्बैंड लौट आया, हमारा मिलना कम हो गया पर मैं उसे भूल नहीं पाया, आज भी उसके साथ बिताये पल भूलते नहीं हैं, आज उसकी एक बेटी भी है और वो अपने पति के साथ खुश है, कभी कभार बात हो जाती है.. पर मैं उसकी जिंदगी को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता! और यही मेरा उससे पहले मुंबई ट्रिप में किया गया वादा था कि उसकी लाइफ में मेरी वजह से कोई टेंशन नहीं आएगी.

तो दोस्तो, कैसी लगी आपको यह चूत में लंड की सेक्सी कहानी… अपने विचार कहानी से सम्बंधित, अपने अनुभव से सम्बंधित, मेरे ईमेल पर जरूर भेजना.

मैं एक अच्छा सलाहकार भी हूँ, आप मेरे से सेक्स सम्बन्धी, जीवन सम्बन्धी परेशानियों का हल पा सकते हैं… आपकी हर बात मेरे तक ही सीमित रहेगी.
rahulsrivas75@gmail.com

मराठी मुलगी की प्यासी चूत में लंड की सेक्सी कहानी part 2


प्यासी चूत में लंड लेने को तड़प रही मराठी मुलगी की यह सेक्सी कहानी अब बस से निकल कर होटल के कमरे में पहुँच रही है. आप भी मजा लीजिये!
हमारी आंख खुली जब सायन पहुंचने वाले थे.
क्योंकि हमको वहाँ उतरना था तो मैंने कोमल को जगाया और थोड़ी देर में हम सायन में उतर कर मरीन ड्राइव की ओर चल पड़े जहाँ हमारा सी फेस रूम बुक था.
होटल में चेक इन करके हम रूम में पहुंचे, जहाँ वो वाश रूम चली गई.. इस बीच हम दोनों के बीच कुछ भी बात नहीं हुई. कोमल नज़र नहीं मिला रही थी.
खैर वो वाशरूम से आई तो वो खिड़की से समुद्र देखने लगी. बहुत प्यारा व्यू था, मैंने पीछे से उसको हग कर के उसकी गर्दन में किस कर के पूछा- कैसा व्यू है?
कोमल धीरे से बोली- अच्छा है!
उसने मेरी बाँहों से निकलने कि कोई कोशिश नहीं की, वैसे ही खड़ी रही.
फिर घूम कर मेरी तरफ मुँह कर के बोली- आप मेरा कितनी दूर तक साथ दोगे?
मैं- जहाँ तक तुम चाहो!
कोमल- मैं बहुत अकेली फील करती हूँ, मैं चाहती हूँ आप मेरा दूर तक साथ दो… पर मेरी लाइफ में कोई टेंशन नहीं आनी चाहिए.
मैं- ओके, जैसा तुम चाहो!
कह कर मैंने उसके लबों पर हल्का सा चुम्बन किया. कोमल ने मुझे कस के पकड़ लिया या यह कहो कि बाँहों में जकड़ लिया. मैं उसको बाँहों में भर कर उठा, कोमल ने भी अपनी बाँहों का हार मेरे गले में डाल कर अपने पैरों को मेरी कमर में कस लिया, अब हम दोनों के होंठ आपस में मिलकर एक दूसरे का चुम्बन करने लगे, उसके चूचुक खड़े होकर मेरे सीने में दब गए.
चुम्बन करते करते मैं बिस्तर की तरफ बढ़ा और फिर उसे बिस्तर पर लिटा दिया.
कोमल ने मेरी तरफ देखा और बाँहों को फैला कर मुझे बुलाया. मैं भी अपने ऊपर के बदन के कपड़े उतर कर उससे पास जाकर चिपक गया और उसकी चूचियों को मसलने लगा.
‘उफ्फ्फ्फ़ आआह्ह…’ फिर उसने मुझे पकड़ कर मेरे होंठों को पीना शुरू कर दिया.
अब हम दोनों को कोई डर नहीं था कि कोई देख न ले, बेफिक्र होकर एक दूसरे के जिस्म का स्वाद ले सकते थे.
मेरे हाथ उसके कपड़ों के अंदर से ब्रा के ऊपर से चूची मसलने लगे. मैंने उसकी टीशर्ट निकाल दी, वो लाल ब्रा में कयामत सी लग रही थी… मैं ब्रा के ऊपर से ही चूची को मुँह में भर कर चूसने लगा. दूसरे हाथ से मैंने उसकी ट्रैक पेंट नीचे कर दी और पेंटी के ऊपर से ही चूत सहलाने लगा.
‘आआआ.. नहीं …आआह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह.. म्म्म्म्म्म … आआह.. आआह!’
‘लाल पेंटी ऊऊ.. गोरा बदन और लाल रंग!’ क़यामत तक याद रहेगा मुझे!’
लाल ब्रा के अंदर गोरे-गोरे और उठे हुए मम्मों के ऊपर उसके गुलाबी निप्पल भी अच्छे लग रहे थे। मैंने उसको पलट दिया, उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया. कोमल की लाल रंग की छोटी सी पेंटी पहनी थी, जिसके ऊपर से उसकी गांड मस्त और उठी हुई लग रही थी।
फिर मैंने जब उसकी पेंटी खिसकाकर उसके चूतड़ पर हाथ लगाया तो लगा कि मुलायम रुई का गोला मेरे हाथ में आ गया.. मैं उसके गुन्दाज़ चूतड़ों को मसलने लगा जीभ निकल कर उसकी पीठ पर चाटने लगा मेरे ऐसा करते कोमल का जिस्म कम्पन होने लगा, उसके मुँह से लंबी ‘आ..आह..’ की आवाज़ निकली आआह.. आह.. म्म्म्म्म्म की आवाज़ आने लगी.
फिर मैंने उसकी गर्दन पर चुम्बन करना चालू कर दिया। कोमल के मुँह से सिसकारी निकल गई- स्स्स्स आशीष आह्ह्ह..आआआ.. नहीं…
मैंने पेंटी उतार दी और फिर से उसकी पीठ पर चाटने लगा, चुम्बन लेने लगा, कभी काट लेता… उसकी आआह.. अह्ह अह्हह अह्ह अह्ह्ह… उम्म अम्म… उम्म..’ सीत्कार निकलने लगी।
मैंने उसके चूतड़ पर प्यार से हाथ फेर दिया.. जोर से दबा दिया, झुक के चुम्बन किया, चूस लिया उसके मस्त भर भरे चूतड़ों को.. बेचैनी के आलम में दांत से काट लिया.
कोमल- आउच… क्या कर रहे हैं आप?
मैंने देखा कि उसके चूतड़ पर एक लाल रंग का खून का थक्का जम सा गया है.
लाल निशान गोरा बदन… उफ्फ्फ… क्या कहूँ, कंट्रोल नहीं हो रहा था!
पर बहुत दूर तक जाना था मुझे तो कण्ट्रोल तो करना ही था!
कपड़े उतर चुके थे… उसको पलट कर मैंने उसके नंगे जिस्म पर निगाह फेरी तो मेरा लंड उछल सा गया… बेपर्दा कोमल का कमाल का हुस्न, तराशा हुआ बदन, पतली कमर, मदमस्त जाँघें, तने हुए निप्पल गुलाबी से और उनके चारों ओर बड़ा सा भूरा घेरा… न चाहते हुए भी उफ्फ निकल ही गया!
कोमल आँखें खोल कर मेरे चेहरे का हर रंग बदलते देख रही थी… वो धीरे से उठी और मेरा लोअर उसने खींच दिया. मेरा जॉकी जिसमें मेरा लंड छुपा था, उसका उभार नज़र आ रहा था. लंड का टोपा थोड़ा सा ऊपर झांक रहा था.
कुछ ही पलों में मेरा जॉकी कहीं दूर पड़ा था, मेरा 6 इंच का लंड कोमल के हाथ में था.
उसने मुझे धीरे से धक्का दे कर लिटा दिया और मेर ऊपर आकर लेट गई… दो निवस्त्र जिस्म आपस में मिल गए थे.
अब बारी मेरी सिसकारी की थी, कोमल मेरे निप्पल को मुँह में भर कर चूसने लगी… मेरे मुँह से ‘आआह्ह्ह्ह… स्स्स्स्स स्साआ अह्ह्ह्ह… आआह्ह… ओह येस… ओह येस… ओह येस… ओह येस बेबी सक इट… ओह येस बेबी सक इट’ जैसी आवाज़ें निकलने लगी।
कोमल जंगली बिल्ली बन गई थी.
‘जंगली बिल्ली’ यही नाम देना चाहूंगा कोमल को… उसका अंदाज़ बहुत आक्रामक था, वो मेरे जिस्म को चूम रही थी, चूस रही थी, काट रही थी, मेरे जिस्म में लव बाईट बनते जा रहे थे और मैं सिसकारी भर रहा था.. दर्द भरे मज़े से!
आज मेरे मुँह से से वो आवाज़े निकलवा रही थी जो मैं कभी मैं अपने सेक्स पार्टनर से सुनता था- आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह…आआह्ह ओह्ह ओ आआह्ह… ओह येस कोमल स्स्स स्साआ अह्ह्ह्ह… उफ्फ अहह आह्ह आआह्ह ओह्ह ओ ओ ओ आह अहह कोमल… आआह्ह… ओह येस… ओह येस… ओह येस बेबी सक इट… ओह येस बेबी सक इट… आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह… अअह.. अअअर..रे और तेज को.. म.. .ल मेरे को काट लो चूस लो!
कोमल का एक हाथ मेरे जिस्म को सहला रहा था तो दूसरा लंड को मसल रहा था. लंड में तनाव था, हार्ड था, फुल मूड में था लंड!
कोमल नीचे सरकती हुई आई और मेरे लंड के आस पास चूमने लगी… काटने लगी…
बर्दाश्त से बाहर थी उसकी हरकतें… फिर भी मैं तड़पते हुए कण्ट्रोल कर रहा था ‘हय… याह… अह हहा हहह!’ मेरा दिल कर रहा था कि मेरे लंड को कोमल मुँह में लेकर चूसे और कोमल थी कि मुझे तड़पा रही थी.
अचानक कोमल में मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया.
‘आऊ वो आह्ह उफ्फ्फ ये आ आआ आ आ ह ह ह बे बे बी…’ उसने मेरे लिंग की चमड़ी नीचे खिसकाई और मेरे गुलाबी लंड के टोपे पर थूक से सनी जीभ को चारों तरफ फेरा- उफ़ उफ्फ्फ आह्ह आआह्ह्ह्ह!
कभी वो पूरा लंड मुँह में लेकर चूसती तो कभी लंड के टोपे को चूसती, पूरा लंड गीला सा हो गया था, उसकी लार पूरे लंड पर बह रही थी.
‘कोमल.. मेरी जा जा न… चूसो और चूसो… उफ्फ्फ्फ़…’
वो मेरी गोटियों को मसलने लगी.
‘उफ्फ्फ आआह्ह…’ मेरे अंदर का प्रेशर बढ़ने लगा, लगने लगा कि मैं अब रोक नहीं पाऊँगा.
‘कोमल, मैं अब रुक नहीं पाउँगा.. मेरा हो जायेगा!’
कोमल ने मेरी तरफ देखा.. मुस्कुराई और फिर जोर जोर से चूसने लगी.
‘आअह्ह आह्ह्हह अह्ह्ह हहह हहह उफ्फ फ्फ्फ…’ मैंने सोचा कि शायद वो पीना चाहती है.
मेरा जिस्म भी थरथराने लगा, कंपाने लगा, तभी कोमल ने लंड को मुँह से निकला और मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत को रगड़ने लगी. चूत की दरार में लंड फिसल फिसल कर रगड़ रहा था, उसकी चूत भी पानी बहा रही थी.
जवान चूत में लंड की सेक्सी कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
कोमल जोर जोर से मेरे निप्पल को चूसने लगी ‘अह्ह्ह कोमल आअह्ह कोमल… और जोर से आअह्ह्ह उफ़ कोमल…’
मैंने उसके चूतड़ को पकड़ कर मसल दिया… उसके चूतड़ को लंड पे दबा कर चांटे मारने लगा.
कम्पन के साथ मेरे शरीर ने लावा उगल दिया… मैंने कोमल को कस कर भींच लिया.
रह रह कर लंड फुदक फुदक के लावा उगल रहा था… मेरा जिस्म हल्का होता चला गया.
मैं कोमल को बाँहों में भरे गहरी सांसें ले रहा था, कोमल भी आँख बंद करके मेरे सीने पर रखे थी. कोमल साथ में अभी भी अपनी कमर और चूतड़ को मेरी कमर से रगड़ रही थी. मेरे सारे चिपचिपे से लावे की मालिश कर रही थी.
‘ओफ्फ फ्फ्फ…’ क्या फीलिंग थी… ऐसी चुसाई मेरे जीवन में कभी नहीं हुई. सच कहूँ तो ऐसी जंगली बिल्ली मेरी लाइफ में आई ही नहीं!
ऐसा आक्रमक अंदाज़ तो सिर्फ मेरा होता था.
कोमल- मेरा भी हो गया!
मैं- क्या?
कोमल- हाँ, मेरा भी दो बार हो गया!
मैं- सच?
कोमल- हाँ.. आपका ये बहुत अच्छा है, गणेश (उसका पति) का आप जैसा ही है पर काफी काला है, आपका ऊपर का गुलाबी सा देख कर ही मेरा हो गया.
मैं- अच्छा? इतना अच्छा लगा तुमको?
कोमल- गणेश मुझे कुछ भी करने नहीं देता था, सब कुछ वही करता था, कभी जब मैं शुरू करती थी तो वो बीच में रोक कर मुझे लिटा कर मेरे अंदर आ जाता था, मैं मन मार के रह जाती थी, कुछ नहीं कह पाती थी, सोचती थी कि वो क्या सोचेगा! पर आपने मुझे नहीं रोका, दर्द सह कर भी मुझे वो करने दिया जो मैं चाहती थी. थैंक यू!
मैं- कोमल जिंदगी में पहली बार मुझे ऐसा मजा आया! जो आवाजें मैं आज तक सुनता था, वो आवाजें आज तुमने मेरे मुँह से निकलवा दी… तुमने मुझे जीवन भर का आनन्द दे दिया, तुम्हारा मन नहीं करता सेक्स करने का?
कोमल- बहुत करता है… बिस्तर पर करवटें बदलती थी, मोबाइल में मूवी देखती थी.. उंगली से रगड़ती थी पर सकून नहीं मिलता था! फिर आप को देखा मैंने… पहली बार में मुझे आप बहुत अच्छे लगे, आपका अंदाज़, बात करने का अंदाज़. पता नहीं क्यों मैं आपकी तरफ एक आकर्षण सा महसूस करने लगी थी. पहली ही बार में आप मुझे अच्छे लगे थी.. पर ये सब मैंने नहीं सोचा था!
मैं- तुमको यह नहीं लगा कि मैं तुमसे उम्र में काफी बड़ा हूँ और तुम बहुत कमसिन सी हो?
कोमल- मुझे अपने से उम्र में बड़े लोग पसंद हैं, मेरे पति भी मेरे 11 साल बड़े हैं.
मैं- ओह्ह्ह तुमको बुरा तो नहीं लग रहा है न!
कोमल- नहीं, बल्कि मुझे न जाने क्यों कल घर से निकलते हुए ऐसा लग रहा था कि कुछ होने वाला है… पर ये सब हो जायेगा, नहीं सोचा था! बस में आपके बदन की खुशबू ने मुझे विचलित कर दिया था, मेरा मन कर रहा था कि आप कुछ करो… पर लड़की हूँ न, आपसे कह नहीं पाई, पर आप सब समझ गए जब आपने अपनी गर्म सांसों से मेरे ऊपर वार किया तो मैं बह गई, मैं चाहने लगी कि आप मुझे प्यार करो!
कोमल एक साँस में वो सब कह गई जो वो चाह रही थी.
हम लोग इसी तरह बात करते हुए एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे!
जिस्म दोनों के निर्वस्त्र थे हम दोनों के भीतर नई ऊर्जा का संचार हो चुका था, अब मेरी बारी थी..
मैं कोमल के ऊपर आ गया और उसके लब चूसने लगा, साथ ही साथ उसके बदन को सहला रहा था, कोमल अब मचलने लगी थी.
मैंने अपने होंठ उसके होठों पर चिपका दिए और उसके गुलाबी होठों का रसपान करने लगा, कोमल भी मेरे होठों को पीने लगी, मैं उसके कभी ऊपर के होठों को चूसता तो कभी नीचे के होठों को। करीब दस मिनट तक मैं उसके होठों में चिपका रहा यार उसके होंठ थे ही इतने रस से भरे तो कैसे छोड़ देता!
तभी जंगली बिल्ली ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मुझे बेसब्री से चूसने लगी- हुम्म हुम्म्म्म!
मेरे हाथ उसकी चूचियों पर थे, मैं उन्हें दबा रहा था, मसल रहा था, धीरे धीरे मैं नीचे सरक रहा था और जंगली बिल्ली मेरे सर के बालों को पकड़ कर नोच रही थी.
‘आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊह्ह आह…’
उसकी नाभि पे मैंने अपनी उँगलियों को घुमाना चालू किया तो कोमल मचल गई. फिर मैंने अपनी जीभ को नाभि की गहराई में ले जा कर उसे चाटना शुरू किया.
कोमल हर पल मचल रही थी, सिसकारियों से कमरा संगीतमय था- ओह्ह्ह उफ्फ फ्फ्फ़ क्या कर रहे हो आप? रुको ओ ओ ओ ओ बस करो प्लीज!
कोमल के जिस्म का एक एक अंग मैं चूमना चाहता था मैं चाह रहा था कि उस बिल्ली को इतना तड़पा कर मज़ा दूँ कि वो मेरी दूर तक साथी बनी रहे.
मैं जैसे जैसे नीचे आ रहा था, कोमल के दोनों पैर खुलते जा रहे थे, मैं सर उठा कर कोमल को दिन के उजाले में देखने लगा.
उफ्फ्फ… उसका बदन पूर्णतया विकसित 32 साइज की चूची.. पतली कमर, गोरा बदन और चेहरे पे बिखरी जुल्फें…
मेरा लंड भी अकड़ सा गया.
उसकी सफाचट चूत में बहुत हल्के से रोयें जैसे बाल के साथ फूली हुई चूत चूत लबों के बीच में एक लम्बी रेखा… आह्ह्ह्ह क्या नज़ारा है! मैंने झुक कर चूम लिया और जीभ से चाट लिया.
और नीचे आया, कोमल के पैरों को और फैलाया, उसके चूतड़ों के नीचे एक तकिया लगा दिया, चूत अब उभर कर सामने थी और मेरे होंठों ने उसको चूमा तो कोमल एकबारगी उछल सी गई ‘आआहऽऽ …आआऽऽऽ… ऊऊऊऊ… ऊओफ्फ!
मेरे होंठ उसकी गीली और चिकनी चूत के लबों में पहुंच कर उस रस का स्वाद लेने लगे… कोमल की चूत की चिकनाई में वासना से भरे बुलबुले भी उभर आये थे, जैसे चूत में रस का मन्थन हो रहा हो।
चूत से पानी बह रहा था और मैं उस अमृत रस को पी रहा था. कोमल की चूत का मुख खोल कर जीभ मैंने चूत के अन्दर तक चाटना शुरू किया चूत का दाना फूल कर लाल हो गया था। बार बार होंठों से चूसने के कारण कोमल के तन की आग भड़कने लगी थी और वो सेक्सी सेक्सी आवाजें निकालने लगी- आह्ह… आह… ऊऊ ऊऊ… ईई ईश शर… आआआआ… ऊऊओफ़ फफ… ऊऊऊ फफ फअआ ह्ह्ह!
कोमल की आवाज़ तेज़ होती गई और मेरी जीभ चूत के अंदर जाकर गोल गोल घूम कर उसकी चुदाई कर रही थी. कोमल मचल रही थी, काँप रही थी, सिसकारियाँ भर रही थी- अय्य… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आईई ईई, ऊऊ युयुयु ऊऊऊयू हाआआ अहा हह उफ्फ शस हेहः ओह आह आहः
कोमल मचली जोर से कांपी और शांत हो गई.. मेरे मुँह पे एक अमृत रस की फुहार रह रह कर आने लगी जिसको मैं आराम से चाट चाट कर पी रहा था.
कोमल शांत हो चुकी थी.
मेरा लंड तैयार था और उसकी चूत लंड लंड पुकार रही थी, मैंने उसके ऊपर आकर उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया, कोमल ने भी साथ दिया, एक हाथ नीचे ले जा कर लंड को चूत की दरारों में घिसना चालू किया तो कोमल के तन में भी जान आ गई, उसकी कमर उचकने लगी, मैं समझ गया कि वो अब तैयार है.
मैंने नीचे आकर उसकी चूत में लंड को रगड़ा फ़िर कंडोम चढ़ाने लगा ही था कोमल ने मना कर दिया- नहीं ये नहीं.. बाद में… मेरे सेफ दिन हैं.
मैंने कोमल के बात मान कर लिंग को चूत के द्वार पर टिका दिया. लंड को रगड़ते हुए एक बार फिर से कोमल को देखा, हमारी नज़रें मिली पर उसने शर्मा कर अपनी आँखें बंद कर ली.
अगले पल मैंने उसके कंधे पकड़े और थोड़ा दबाव बढ़ाया, लंड का टोपा अंदर प्रवेश किया था कि कोमल के चेहरे का रंग बदलने लगा, मुँह खोल कर वो जोर से साँस लेने लगी, मेरा लंड धीरे धीरे चूत की गुफा में प्रवेश करता गया.
कोमल- उफ्फफ्फ अह्ह्ह थोड़ा धीरे… आह्ह..सी.. सीअ.. अह ह उम्म्ह
उसने कस कर एक हाथ से चादर को पकड़ लिया और दूसरे हाथ से मेरे कंधों को पकड़ा.
आप सभी लोग जानते हैं कि यदि चूत में काफी दिन तक लंड का प्रवेश न हो तो चूत पुनः अपना आकार वापस लेने लगती है, यह कुदरती है.
धीरे धीरे मेरा दबाव बढ़ता गया, लंड चूत में जाने लगा, कोमल की बंद आँखों से पानी आ गया था, वो जोर जोर से साँस ले रही थी, चेहरा लाल हो गया था और फिर कुछ पलो में मेरा लंड चूत में पूरा अंदर चला गया.
कुछ पल को रुक कर मैंने अपनी स्थिति को एडजेस्ट किया और कोमल को भी संभालने का मौका दिया. अब तक चूत मेरे लंड के हिसाब से अपने को एडजेस्ट कर चुकी थी.
मैंने एक बारगी लंड निकाला और इस बार चूत पे एक दमदार झटका दिया और लंड एकबारगी पूरा चूत के अंदर..
कोमल- उफ्फ फ्फ्फ धीरे आ आ आ आ शू शू उफ्फ फ्फ्फ उम्म्ह… अहह… हय… याह…
चूत में लंड की यह हिंदी सेक्सी कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
फिर तो बिना रुके मेरी स्लो स्पीड से मेरा लंड कभी चूत के अंदर तो कभी बाहर… अब कोमल भी मदहोश हो कर सिसकारी भर भर पागल हो रही थी, उसके चूतड़ भी मेरे साथ मेरे साथ उछल रहे थे, मैं भी जोर सी सांसें ले रहा था- ओह्ह ओह्ह्ह आह!
वो कामुक आवाजें निकालने और कहने लगी- सी.. सीअ.. अह ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह उअह उउउ..
मैं दम साधे शॉट पे शॉट लगाए जा रहा था.
कोमल मुझे खींच कर मेरे होंठ को चूम कर चूसने लगी, दूसरा हाथ मेरी कमर को कस के पकड़े थी- फक्क मी.. आआह.. आह.. म्म्म्म्म्म और तेज .. अअह.. अअअर!
कोमल का शरीर बार बार झटके लेने लगता था, मेरा अनुभव बता रहा था कि वो दो बार पानी छोड़ चुकी थी.
मैं उसको लेते हुए पलट गया और अब कोमल मेरे ऊपर थी.. मैंने उसके चूतड़ को पकड़ा और ऊपर उछाला…
और मेरा लंड बाहर.. और उतनी तेज़ी सी उसे नीचे खींच लिया.
‘मर गई ई ई ई ई धी ई रे आशू ओफ़्फ़्फ़ मर गई मैं… धीरे आशू! मेरा लंड एकबारगी अंदर तक मुझे और उसको दोनों महसूस हुआ. कोमल भी चूतड़ उछालने लगी थी मेरे हाथों का सपोर्ट उसके रिदिम को बरकार रखे था ‘आ…ह आआआ आआआ… हुम्म हुम्म्म्म!’
फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च की कुछ आवाज़े कमरे में गूंजने लगी… कभी फच्च फच्च फच्च तो कभी पट पट पट… एक न थमने वाला शोर!
मैंने उसको थोड़ा अपनी ओर खींचा ओर थोड़ा उठ कर उसकी चूची को मुँह में भर के चूसने लगा. उफ्फ्फ़… उछलती चूचियों को मुँह में भरना आअह्ह!
कोमल की सांसें उखड़ने लगी तो मैंने उसको फिर से पलट दिया, उसके ऊपर आकर मिशनरी स्टाइल में चूत में लंड घुसा दिया.
मैंने फिर शॉट पे शॉट कभी अंदर कभी बाहर ‘ओह्ह कोमल आह्ह आह उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ ये ये हुम्म हुम्म्म्म…’
कोमल भी मस्त हो कर चुदवा रही थी
मैं कभी उसकी चूची चूसता तो कभी चूत पर हाथ ले जाकर चूत का किनारा रगड़ता ओर इसका नतीजा यह हुआ कि अब कोमल फिर से झड़ने को तैयार थी.
कोमल की मदमाटी आवाज़ ‘अय्य… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आईई ईईईई, ऊऊऊ युयुयु ऊऊऊयू हाआआ अहा हह औय्या शहस हेहः ओह आह अहह… याह… हाय हाय रे… आऽऽऽह ओऽऽऽह ओह्ह्ह आशु … हाऽऽऽय… जोर से मेरा हो जायेगा!
मैंने जोर जोर से शॉट लगाने शुरू किया अपने मन को एकाग्र किया जिससे मैं भी उसके साथ झड़ जाऊँ…
दो नग्न जिस्म पसीने से सराबोर… कोमल के बिखरे बाल उसके चेहरे पर… कुछ और शॉट… कुछ और चुम्बन…
मैं उत्तेजना में धक्के लगाये जा रहा था और उनकी चूत का पानी फ़च फ़च की आवाज कर रहा था।
कोमल मुझे जकड़े जा रही थी, हर पल कोमल की पकड़ बढ़ती जा रही थी… मुझे लगा कि कोमल अब झड़ने वाली हैं… मैंने उनकी चुची से हाथ हटा दिया।
तभी कोमल ज़ोर से चिल्लाई- जल्दी… आऽऽऽह… मैं गई… आह रे… मैं गई… आशू … मुझे कस लो…
कह कर उसने मुझे जकड़ने की कोशिश की ओर मैंने भी उसी जकड़न में दो ओर धक्के मारे ओर अह्ह्ह उफ्फ्फफ्फ्फ़… आऽऽऽह के आवाज़ करते हुए अपना सारा अमृत उसकी चूत में छोड़ दिया.
हम दोनों एक दूसरे को जोर से जकड़े हुए थे… उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी छोड़ रही थी… मेरा लंड रह रह कर फूलता ओर अमृत को छोड़ता!
कुछ पलों तक यह सिलसिला चलता रहा.
मेरी सांसें काबू में नहीं थी… मैं जोर जोर से सांसें ले रहा था, कोमल तो निढाल सी मेरे को जकड़े हुए पड़ी थी.
कुछ पल और बीत गए, कुछ जान वापस आई… कुछ हरकत हुई हम दोनों के नग्न जिस्म में… लंड के पास से कुछ बहता सा लगा… ओह्ह्ह चूत ओर लंड के रस अद्भुत संगम.. इतना अमृत तो आज बहुत दिन बाद निकला था!
मैं थोड़ सा उठा था कि लंड सिकुड़ कर बाहर आ गया बेचारा लंड बेजान सा, जो एक जीत के बाद भी हारा हुआ सा लग रहा था.
मैं कोमल के बगल में गिर गया, वो भी गहरी सांसें ले रही थी…
हम दोनों एक दूसरे की बाहों में थे… आँखें बंद किये हुए… सिर्फ एक दूसरे की तेज़ धड़कन को सुनते रहे!
थोड़ी देर बाद…
मैं- कोमल तुम ठीक तो हो न?
कोमल- हम्म!
कह कर मेरे होंठों पे चुम्बन देकर अपनी मौजूदगी का अहसास कराया उसने!
मैं- चुप क्यों हो?
कोमल- आप कुछ पूछो मत… बस मुझे आनन्द के इस समुन्दर में गोते लगाने दीजिये! आप बहुत कमाल के हैं… मैंने ऐसा कुछ भी नहीं सोचा था पर आपने मुझे न जाने कितने सारे अहसास करा दिए..
मैं- सच.. क्यों ऐसा क्या कर दिया मैंने?
कोमल- क्या नहीं किया आपने… आपने मुझे वो करने दिया जो मैं करना चाहती थी!
मैं- ओह्ह्ह… और?
कोमल- आपने मुझे इतनी बार डिस्चार्ज करवाया, इतना तो मैं अपने पति के साथ एक बार में नहीं हुई.
मैं- सच में… वो दिख रहा था, महसूस हुआ मुझे!
कोमल.. थैंक्स आपका!
मैंने बिना कुछ बोले एक फ्रेश टॉवल लिया और वाशरूम में गर्म पानी से गीला करके सबसे पहले उसकी चूत को अच्छे से साफ किया, फिर अपने लंड को भी ठीक से साफ किया.
सम्भोग के बाद साफ टॉवल से चूत ओर लंड को ठीक से साफ करना चाहिए गर्म पानी में डूबी टॉवल से, अगर वो उपलब्ध न हो तो वाशरूम में जाकर साफ पानी से धो लेना चाहिए. यह आपको किसी भी यौन संक्रमण से बचाता है.
 ये सिलसिला जारी रहेगा.......... leave ur comments

Wednesday 3 January 2018

मराठी मुलगी की प्यासी चूत में लंड की सेक्सी कहानी-1

यह सेक्सी कहानी एक सेक्स को तड़पती तरुणी की है जो शादी के 15 दिन बाद से ही पति का वियोग सह रही थी. ऐसे में उसके सहकर्मी ने उसकी कामवासना को भड़का कर उसकी चूत में लंड उतार दिया.
कोमल… जी हाँ कोमल नाम था उस मराठी मुलगी का! मैं उससे औरंगाबाद में मिला, 19 साल की तरुणी नवयौवना हिरणी सी मदमदाती नवयुवती शादीशुदा थी, सिर्फ एक साल हुआ था शादी को उसका पति 3 साल के लिए शादी के कुछ ही दिन बाद ट्रेनिंग के लिए चेन्नई चला गया था.
कोमल से मेरी मुलाकात औरंगाबाद के मॉल में हुई, जहाँ वो मेरी कंपनी जहाँ मैं काम करता था, उसकी सेल्स गर्ल थी, दूध सी सफ़ेद 32-28-34 साइज का बदन आँखें भूरी भूरी सुर्ख होंठ तराशा सा बदन कद 5 फुट 6 इंच वज़न तकरीबन 50 किलो!
मुझे एक बारगी तो उसको देख कर यकीन नहीं हुआ कि इतनी खूबसूरत तरुणी मेरी सेल्स गर्ल है, चंचल और नटखट स्वभाव था उसका, बचपना कूट कर भरा था उसमें… पर वो सेल्स गर्ल बहुत बढ़िया थी शायद उसकी खूबसूरती उसकी मदद करती थी.
मैं आशीष मुंबई से एक बहुत बड़ी कॉस्मेटिक कंपनी का सेल्स मैंनेजर हूँ, उम्र 45 कद 5.11 सर पर बल थोड़े कम है, पर आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक हूँ मेरी बॉडी बिल्कुल परफेक्ट है स्लिम सी बॉडी, तोंद तो बिल्कुल नहीं थी, रंग साफ, आँखें काली, शादीशुदा हूँ, दो बच्चे भी हैं।
मेरी सेक्सुअल लाइफ थोड़ी डिस्टर्ब है मेरी जॉब की वजह से… पर जितना भी मेरी सेक्स लाइफ है वो बहुत रंगीन, कामुकता से भरी हुई है।
हाँ, मेरी बीवी थोड़ी सी सेक्स के मामले में उतनी उत्सुक नहीं रहती जितना मैं रहता हूँ।
पर मुझे इसका कोई गम नहीं.. जितनी भी सेक्स लाइफ मेरी है उसमे मैं खुश था.. पर कोमल ने मेरे अंदर की आग को भड़का दिया.. मेरा दिल उस पर आ गया.. कैसे भी उसको चोदने, कोमल के कोमल से बदन के साथ सेक्सी कहानी बनाने का मन हो गया।
मेरी और कोमल के उम्र में बहुत बड़ा अंतर था, दुगने का फर्क था पर पता नहीं क्यों मेरे दिल में एक आग सी जल उठी कि कोमल को चोदना है चाहे कुछ भी हो जाए, पर कैसे?
कोमल मात्र 19 साल की थी, उसका बायोडाटा मैंने देखा, उसकी पसंद और न पसंद भी देखी, मैंने देखा की उसको घूमना और चॉकलेट बहुत पसंद है।
उससे मैंने बहुत प्यार से बात की उससे बहुत सारी बातें की, करीब करीब हर रोज़ फोन करता.. प्यार से और फ्रेंडली बातें करता, हफ्ते में एक बार मिलने जाने लगा।
कोमल एक मदमस्त लड़की थी, जवान थी, शादीशुदा थी, सेक्सी थी।
इतना तो वो समझ ही गई थी कि मैं क्यों बार बार आ रहा हूँ.. मुझे लगता था कि कोमल भी मेरी तरफ आकर्षित थी.. पर मैं कोई निश्चय नहीं कर पा रहा था कि कैसे अगला स्टेप लूँ!
खैर इसी तरह दो महीने बीत गए, मेरे बार बार जाने से उसको बहुत फायदा हुआ, अब वो सभी सेल्स गर्ल में नंबर वन हो गई थी। उसको पाने के लिए और अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए मैंने पैसा बहुत खर्च किया, साधारण सी बात है और मनोवैज्ञानिक तरीके से उसे सेड्यूस किया।
इतना तो पता था कि वो बहुत काम आमदनी वाले परिवार से आती है, पैसे की चकाचौंध शायद उसे मेरी बाँहों में ले आए!
आम तौर पर सेल्स गर्ल की मासिक आमदनी उस वक़्त करीब तीन से पाँच हजार होती थी, मैंने वो दस हजार कर दी। इन सब का नतीजा यह हुआ कि कोमल और कोमल का परिवार मेरे से बहुत प्रभावित हो गया था।
आखिर बहुत सोचा, फिर मैंने उसको एक दिन उसके अच्छे काम के लिए उसको बहुत सारी चॉकलेट और दो दिन का मुंबई दर्शन का गिफ्ट भेजा।
कोमल ने तुरंत मुझको फ़ोन किया- सर थैंक्स!
मैं- क्यों किस बात का?
कोमल- सर गिफ्ट का… पर मैं मुंबई अकेली कैसे आऊँगी?
मैं- ओह्ह वो… वो तो आपके अच्छे काम का रिवॉर्ड है.. और आप अकेली कहाँ हो, और भी लड़कियां होंगी.. आप ट्रेन या बस से आ जाओ, मैं आपको वहाँ से पिक कर लूंगा।
कोमल- पर मेरे पापा शायद न आने दें?
मैं- अपने पापा से मेरी बात करा देना, वो आने देंगे!
फिर उसके पापा से बात की मैंने और बताया कि और भी लड़कियाँ होंगी और आपके पास उसके होटल का डिटेल्स भी होगा। खैर किसी तरह मैंने उनको मना लिया और मेरा एक कदम बढ़ गया उसको चोदने की दिशा में!
फिर मैंने उसका और अपना स्लीपर बस में एक टिकट करा दिया पर अलग अलग, और बर्थ एक साथ थी उसको मैंने नहीं बताया कि उसके साथ मैं भी आऊंगा।
खैर उसके आने वाले दिन मैं भी औरंगाबाद पहुंच गया, कोमल मुझे देख कर खुश हो गई… उसको मैंने सिल्क चॉकलेट दी, खूबसूरत सी ड्रेस(सलवार सूट), और उसकी सैलरी के बढ़ने का लेटर… ये सब एक साथ देख कर वो खुश हो गई, खूब सारी बातें की और उसको एक बहुत महंगे से होटल में खाना भी खिलाया।
इन सब से वो मेरे साथ थोड़ा और खुल सी गई बीच बीच में मैं उसको छूता भी रहा पर वो कुछ नहीं बोली।
मैं- कोमल, आपकी शादी को कितने दिन हुए?
कोमल- सिर्फ 8 महीने!
मैं- ओह्ह आपको याद नहीं आती उसकी?
कोमल- आती है न.. पर क्या करूँ, तड़प के रह जाती हूँ..
मैं- कितने दिन साथ रहे?
कोमल- सिर्फ 15 दिन!
मैं- फिर तो मिलने का बहुत मन करता होगा?
कह कर मैंने उसकी तरफ देखा… कोमल भी शायद मेरा मतलब समझ गई थी तो उसने शरमा कए आंखें झुका ली.
मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसकी हथेली को सहलाने लगा, कोमल के शरीर कांपने लगा- बोलो न कोमल, दिल नहीं करता क्या तुम्हारा?
कोमल ने नज़रें झुका कर कहा- हाँ करता तो है…
मैं बातों को अगले लेबल तक ले गया और पूछा- फिर क्या करती हो?
कोमल- फ़ोन कर लेती हूँ उनको… और मैं क्या कर सकती हूँ!
मैं- दिल नहीं करता तुम्हारा कि वो तुम्हारे पास हो… कब आएगा वो अब?
कोमल- बहुत करता है.. अभी 3 महीने बाद ही वो आएंगे।
मैंने बात वहाँ ख़त्म की क्योंकि मुझे पता चल गया था कि उसको भी सेक्स की जरूरत है.. बस उसकी काम ज्वाला को भड़काना था और वो मैं आज रात सफर में करने वाला था।
मैंने उसको धीरे से बोला कि वो मेरे बारे में अपने घर में न बताए… पता नहीं उसके घर वाले क्या समझें।
दोस्तो, लड़कियों में एक खास बात होती है वो मर्द की आँखों से उसके हाव भाव से उसकी नियत को समझ जाती है, कोमल भी समझ गई थी कि मैं वहाँ क्यों आया और मैं उसको पसंद कर रहा हूँ।
कोमल अपने घर जा कर मुझे टेक्स्ट किया- मैं आपका खाना लेकर आऊँगी और आप नेक्स्ट स्टॉप से बस में चढ़ना, शायद मेरे पापा मुझको छोड़ने आएंगे!
मुझे मेरा काम आसान होने सा लगा क्योंकि मैं समझ रहा था कि वो भी जानती है कि मैं क्या चाहता हूँ।
मैंने अपनी सेक्सी कहानी को अन्जाम देने के लिए कुछ सेक्स XXX मूवी क्लिप भी अपने वीडियो फोल्डर में गाने के वीडियो के साथ बीच बीच में लगा के रख दी क्योंकि मेरा वो अंतिम हथियार था उसकी सम्भोग की इच्छा को जगाने का!
शाम को 7 बजे की बस थी हम दोनों अलग अलग स्टॉप से बस में चढ़े.. कोमल ने मुझे देखा तो मुस्कुरा कर मेरा स्वागत किया। वो टीशर्ट और ट्रैक पैन्ट में थी… ब्रा की लाइन साफ दिख रही थी मेरा लंड अंगड़ाई लेने लगा।
हम दोनों ऊपर की बर्थ में बैठ गए, पर्दा था बस में और चिल्ड भी थी AC के कारण!
मैं- कैसी हो? कैसा लग रहा है?
तभी कोमल के पापा का फ़ोन आ गया वो बस नंबर और टाइम बता रहे थे, मैंने उनको कहा कि मैं सही समय पर पहुंच जाऊँगा।
कोमल_ अजीब सा लग रहा है… मैं आज तक अकेली कहीं नहीं गई… डर लग रहा था.. पर आप अब साथ हो तो डर नहीं लग रहा..
मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा- मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ.. ये दो दिन शायद तुम्हारी जिंदगी में फिर कभी न आएँ… तो खूब एन्जॉय करो, मस्त रहो!
कोमल ने मेरी तरफ देख कर मेरी बातों का मतलब समझने की कोशिश की, मेरी आँखों में देखा और शर्मा कर आँखें नीची कर ली।
हम दोनों ने साथ खाना खाया और बातें करने लगे, हम दोनों बार बार एक दूसरे को देखते थे.. हर बार कोमल शर्मा के आँखें नीचे कर लेती थी।
AC के वजह से कोमल को ठण्ड लगने लगी तो मैंने उसको अपनी चादर दी जो मैं हमेशा अपने साथ रखता था।
कोमल- आपको भी ठण्ड लगेगी, आप भी आ जाओ!
अब हम दोनों के बदन काफी पास पास थे, हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को समझ रहे थे और मैं जल्दबाज़ी में कुछ नहीं करना चाहता था… तो आराम से बात करता रहा. बीच बीच में कभी उसके हाथ को पकड़ता, कभी कमर में हाथ डाल देता तो कभी उसकी बाँहों को सहला देता..
हर बार कोमल मुझे देखती पर कुछ बोल नहीं रही थी.. आखिर वो भी कई महीनो से सेक्स से दूर थी.. मैं धीरे धीरे उसकी सेक्स भावना को भड़का रहा था।
आप लड़कियाँ समझ सकती हैं जब कमसिन उम्र में सम्भोग का आनन्द मिल जाए तो सम्भोग की ज्वाला उसके बदन को ज्यादा तड़पाती है। ऐसा ही कुछ हाल कोमल का था।
हम दोनों एक दूसरे की तरफ मुँह करके बात कर रहे थे, हमारी सांसों की गर्मी एक दूसरे को बेचैन करने लगी. मैंने उसकी कमर में हाथ डाल कर उसको अपनी तरफ खींचा तो वो खुद मेरे पास आ गई.. मैंने भी अपना मुँह उसके मुँह के पास कर लिया और गर्म सांसें उसके ऊपर छोड़ने लगा।
कोमल ने आँखें बंद कर ली और वो मेरे अगले कदम का जैसे इंतज़ार कर रही थी।
कब मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू किया, पता ही नहीं चला… कोमल कसमसा के रह गई पर कोई रुकावट पैदा नहीं की… 19 साल की नवयौवना के शहद से भरे होंठ का मिलन सच में अद्भुत होता है, एक ऐसा अहसास जो ता जिंदगी न भूले… वैसा ही कुछ मेरा हाल था… न जाने कितनी देर उसके रसीले होंठों का रस पीता रहा!
कोमल के होंठ खुले और मैंने ऊपरी लब को मुँह में भर कर चूसना चालू कर दिया… दूसरे हाथ से उसको और नज़दीक ले आया।
अब मैं उसकी पूर्णतया विकसित चूची को अपने सीने पर महसूस करने लगा, मेरे हाथ उसके भरे भरे चूतड़ को सहलाने लगे, कोमल मेरे को समर्पित थी, उसके जिस्म को अब एक मर्द की दरकार थी.. उसकी जवानी मेरे जिस्म को अपने अंदर समेट लेना चाहती थी।
और हुआ भी ऐसा… उसके हाथ हरकत में आये और मेरी कमर में हाथ डाल कर मेरे सट गई… केबिन में, बस में अँधेरा था, बस तीव्र गति से भाग रही थी और हमारी सांसें भी एक दूसरे में समां रही थी.
केबिन में हल्की हल्की सिसकारियाँ… बदन में थरथराहट, उठती गिरती उसकी चूचियाँ, बीच बीच में आती हल्की रोशनी… माहौल बन चुका था पर जगह सही नहीं थी.
तभी बस वाले ने एक मोटेल में बस रोकी, बोला- बस 10 मिनट रुकेगी, फिर सीधे पूना रुकेगी।
लाइट जल चुकी थी, हम दोनों ही अपनी दुनिया से निकल कर वास्तविकता में आ चुके थे पर कोमल नज़र नहीं मिला रही थी.. शायद शर्म थी, उसका पहला परपुरुष संपर्क था!
पर वो गुस्सा नहीं थी या शायद बेचैन थी… आखिर वो भी जवान थी और वो संभोग भी कर चुकी थी.. सम्भोग से दूरी शायद समर्पण का कारण बनी… और मेरा केयर करने वाला स्वभाव, मेरा दीवानापन, मेरी बातों की मधुरता, मेरा मस्त मौलापन उसको अपने नज़दीक लाने में सहायक हुआ।
इसमें कोई शक नहीं कि यदि आपकी महिला, स्त्री लड़की या कुंवारी कन्या का जिस्म हासिल करना चाहते हैं तो सबसे पहले उसका दिल जीतें, फिर विश्वास और तब उसके साथ सेक्स की शुरुआत करें।
हाँ, इन सब में समय जाता है पर आपको अपना संयम बरक़रार रखना होता है।
एक बात और… सम्भोग से पहले अपनी मंशा अवश्य जाहिर कर दें कि ये रिश्ता किन जरूरतों बना है, उसको बता दें कि रिश्ता शायद शादी जैसे अंजाम तक न पहुंचे.. क्योंकि किसी को धोखा देना सही बात नहीं है, क्योंकि वही धोखा शायद आपको भी किसी और रूप में मिल सकता है।
यकीन मानें, सच बता कर जब आप सेक्स, सम्भोग करेंगे तब जो आनन्द आपको मिलेगा, वो आप जिंदगी भर नहीं भूलेंगे क्योंकि यदि झूठ की चादर के साथ जब आप किसी महिला, लड़की या कुवांरी कन्या का दिल तोड़ेंगे तो आपको कभी भी सुख नहीं मिलेगा… ऐसा मेरा मानना है।
मैं किसी के साथ भी सम्भोग से पहले सच्चाई बता भी देता हूँ। कई बार वो रिश्ता मेरा टूटा भी और कई बार सफल भी रहा पर मेरे दिल में कोई बोझ नहीं था।
ये तो था एक मशवरा सभी सम्भोग के लालायित लड़के और लड़कियों के लिए… आप मुझसे सेक्स सम्बन्धी, परिवार सम्बन्धी, वैवाहिक जीवन सम्बन्धी सलाह ले सकते हैं ईमेल के द्वारा!
अब हम कहानी पर वापस आते हैं।
हम दोनों ने एक दूसरे से नज़रें चुराते हुए अपने कपड़े ठीक किये और नीचे उतर के टॉयलेट में जाकर फ्रेश हुए।
मैं- तुम कुछ पियोगी?
कोमल- कॉफी!
मैंने दो कॉफी ली और बस के पास आकर पीने लगे।
थोड़ी देर में बस फिर चल पड़ी, सभी यात्री धीरे धीरे अपनी सीट पर जम गए, सन्नाटा भी हो गया, लाइट बुझ गई, नाईट बल्ब जल रहा था पर परदों के कारण रोशनी अंदर नहीं आ रही थी।
मैं- कोमल!
कोमल- हाँ सर?
मैं- तुम मुझे अब आशीष बुलाओगी या आशु क्योंकि अब मैं सिर्फ तुम्हारा दोस्त हूँ!
कोमल- हम्म्म ओके… पर सबके सामने आपको सर ही बुलाऊंगी!
यह सुनकर मेरा दिल हल्का हो गया क्योंकि कोमल रिश्ते को स्वीकार कर चुकी थी, मैं भी उस जैसी तरुणी को, नशीले यौवन को पाकर खुश था।
मैं- कोमल, तुमको बुरा तो नहीं लगा?
कोमल- किस बात का?
मैं- तुमको नहीं पता कि मैं किसकी बात कर रहा हूँ?
कोमल मुस्कुरा कर बोली- मुझे आप पहली नज़र में पसंद आ गए थे! पर ये सब मैंने नहीं सोचा था पर अच्छा लगा!
मैं- एक बात बोलना चाहता हूँ!
कोमल- बोलिये?
मैं- मुंबई में कोई और लड़की नहीं होगी… मैंने झूट बोला था, सिर्फ हम और तुम होंगे!
कोमल- क्यों झूठ बोला आपने? यदि आप कहते तो मैं खुद ही आ जाती..
मैं- ओके, आगे से ध्यान रखूँगा!
कह कर उसको अपने पास खींच लिया या यह कहो कि मैंने अपने पैर फैला उसको अपनी दोनों टांगों के बीच में ले लिया, उसकी पीठ मेरे सीने से लगी हुई थी, उसका सर भी मेरे सीने पर था, वो भी मेरे सीने पर सर रख कर अधलेटी से थी।
अब मेरे हाथ उसकी कमर को सहलाने लगे, उसके बदन में सिहरन सी होने लगी… मेरा लंड खड़ा होने लगा जो उसकी पीठ पर चुभने लगा था पर कोमल वैसी लेटी रही।
मेरे हाथ धीरे से उसकी टीशर्ट के अंदर जाकर उसकी नग्न कमर में अठखेलियाँ करने लगे तो कोमल ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैंने धीरे से उसके कान में पूछा- कोमल करने दो न?
कोमल- नहीं.. प्लीज कुछ होता है…
मैं- होने दो न… क्या तुमको अच्छा नहीं लग रहा है?
कोमल- हम्म्म पर…
मैं- रोको मत तुम मुझको… बस इस हसीन लम्हों का तुम लुत्फ़ उठाओ!
कह कर मैं उसके बदन से टीशर्ट को थोड़ा उठा कर अच्छे से सहलाने लगा।
कोमल ने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया। साथ ही साथ मैं उसकी गर्दन पर अपने होंठ रगड़ने लगा, किस करने लगा।
‘आअह्ह्ह कुछ हो रहा है आशु…’
मेरी हरकत बढ़ने लगी, अब मैं खुल कर उसके बदन पर हाथ फेर रहा था, धीरे धीरे उसकी चूचियों तक पहुंच गया, उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसको सहलाया।
कोमल- उफ्फ आअह… मत करो प्लीज, यह जगह सही नहीं है, कोई देख सकता है।
अब रुकना संभव नहीं था, मैंने उसको बाँहों में भर लिया और दोनों हाथ टीशर्ट में डाल के उसकी सुडौल चूचियों को पकड़ कर मसलने लगा… साथ ही उसकी गर्दन पे चुम्बन लेने लगा…कानो की लौ को चूसने लगा।
पल भर में ही कोमल ने समर्पण कर अपना जिस्म ढीला छोड़ दिया, मैं आराम से उसके जिस्म को सहला रहा था, मसल रहा था।
कोमल के हाथ मेरे को कस के पकड़ के रखे थे, हर दबाव पर उसके बड़े नाख़ून मेरे जिस्म पर महसूस होते, मीठा सा दर्द देते!
उसको ठीक से चादर में कवर करके उसकी टीशर्ट को ऊपर करके उसकी चूचियों को गिरफ्त में ले लिया और फिर…
कोमल- उफ्फफ्फ्फ़ आअह्ह्ह धीरे…रे…
पर मैं अपनी धुन में उसकी चूचियों को मसलता रहा। कोमल की हल्की हल्की सिसकारियाँ मेरे में तनाव पैदा कर रही थी।
मैंने उसकी गर्दन को चूमना चालू किया था कि- आअह ओह्ह्ह्ह आशु…शु मत करो! आह… आह… आह…
पर आशु कहाँ रुकने वाला था, मेरे हाथों का मचलना जारी था, धीरे धीरे मेरे हाथ नीचे बढ़ने लगे गोरे सपाट पेट पर रेंगते हुए जैसे ही ट्रैक पेंट के मुहाने पर पहुंचे, कोमल ने मेरा हाथ पकड़ लिया- नहीं आशु…
मैं- क्यों? मत रोको!
कोमल- ये गलत है… मैं अपने को रोक नहीं पाऊँगी..
मैं.. मत रोको न!
कोमल- नहीं.. ये मत करो प्लीज आशु!
मैं- कोमल मुझे करने दो.. तुमको अच्छा लगेगा और मैं जानता हूँ कि तुमको भी जरूरत है…
कोमल- नहीं.. बहुत अच्छा लग रहा है… बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. ये क्या कर दिया आपने… क्यों कर रहे हो..
कह कर वो पलट के मेरे से लिपट गई और मेरे होंठों को कस के चूसने लगी… पागलों की तरह!
इसी पागलपन में मैं अपना हाथ पीछे से उसकी पैंट में डाल कर उसके मस्त चूतड़ों को अपनी हथेली में भर कर मसल दिया। उफ्फ क्या गुदांज भरे हुए चूतड़ थे मुलायम से… मैं पैंटी के ऊपर से ही मसलने लगा।
अब कोमल का जिस्म कांपने लगा, मेरे हाथ और अंदर जाकर उसकी गुदांज, मसल जांघों को सहला रहे थे।
कोमल भी मदहोश थी और मैं भी!
वो पलट कर मेरे को चुम्बन कर रही थी, उसकी जीभ मेरे मुँह के अंदर तक जाकर मुझे में सनसनाहट पैदा करने लगी… मेरे हाथ उसके चूतड़ों को मसलने लगे।
‘आह.. उई… आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उ..ई उ.ई.. उई.. आह.. आह.. उई..’
उसकी दोनों चूचियाँ मेरी छाती से दब गई थीं, वो मुझसे पूरी तरह लिपट गई थी।
समय बीत रहा था, हर पल हम दोनों मदहोश हो रहे थे।
मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया, टीशर्ट को पहने पहने ही मैंने उसकी ब्रा निकाल कर लिटा कर उसकी टीशर्ट को ऊपर कर दिया।
हम दोनों काफी देर तक चुम्बन करते रहे, फिर मैंने अपने हाथ को उसकी नंगी चूची पर रख दिया।
‘आअह्ह्ह… क्या अहसास था.. कितने नर्म.. जैसी रुई का गोला हल्के से दबाया हो।’
आप सब समझ सकते हो कि 19 साल की जवान लड़की के विकसित चूचियाँ कितनी कठोर और वेल शेप होती हैं।
मैं चूची को मसलने लगा.. दबाने लगा और झुक कर एक चूची को मुँह में भर कर चूसने लगा, कभी काटता, कभी सहलाता, कभी मसलता!
कोमल की हल्की आवाज़ें- आह उफ्फ्फ ओह धीरे रे ए… काटो मत, दर्द होता है…
पर मैं रुका नहीं.. चूसता ही चला गया। मैंने फिर अपना हाथ उसके लव ट्रैंगल की ओर बढ़ाया, इस बार भी कोमल ने मेरा हाथ पकड़ लिया पर अबकी बार मैंने उसकी चूची में जोर से दांत गड़ा दिए, वो दर्द से मेरा हाथ छोड़ कर मेरे बाल खींचने लगी.. और मैं पैंटी के ऊपर से हाथ फेरने लगा उसकी चूत पर, चूत के ऊपर पेंटी गीली सी थी, उसकी चूत के रस में भिगो कर मैंने अपना हाथ निकाल कर जैसे ही मुँह में रखा, कोमल ने बंद आँखें खोल कर मेरी ओर देखा और शर्मा गई..
मैंने एक चटकारा लगा कर फिर से हाथ अंदर डाल दिया और इस बार पैंटी के अंदर जैसे हाथ गया, मुझे लगा ‘क्या मखमल सी साफ़ चूत है उसकी..’
धीरे से मैं उंगली उसकी चूत में डाल कर अंदर बाहर करने लगा।
कोमल ने भी अब शर्म छोड़ दी थी और उसके हाथों ने मेरे लंड को पकड़ के मसलना शुरू किया। मैंने देर नहीं की, लंड को बाहर निकाल दिया जो आसानी सी उसके हाथ में आ गया।
अँधेरा था तो खुल कर तो देख नहीं सकते थे फिर भी अंदाज़ा लगा सकते थे.
अब तूफान चरम पर था और हम दोनों की बेचैनी उबाल पर थी.. मेरी उंगली चूत में अंदर बाहर हो रही थी तो कोमल मेरे लंड की स्किन को आगे पीछे कर रही थी।
थोड़ी ही देर में उसका जिस्म थरथराने लगा, उसके हाथों की रफ़्तार बढ़ गई, लंड पर पकड़ मज़बूत हो गई। मैं समझ गया कि इसके क्लाइमेक्स का टाइम आ गया, मैंने भी उंगली की रफ़्तार बढ़ा दी और कुछ ही पलों में हम दोनों ने एक दूसरे को जकड़ते हुए अपने अपने चरम को पा लिया!
काफी देर से चल रहे उस आनन्द का अंत सा हो गया.. बाकी था तो सिर्फ सांसें, गहरे पसीने से लथपथ जिस्म और दिली सकून जो बेहतरीन था!
कोमल मुझे बाँहों में भर कर चिपक सी गई, मैं भी उसके बालों को धीरे धीरे सहलाता रहा, पता ही नहीं चला कब हम नींद की आगोश में चले गए।
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